लखनऊ । राममंदिर की नींव के लिए खोदे गए लगभग 50 फिट गहरे गड्ढे को भरने का काम तेजी से चल रहा है। अब तक 400 फिट लंबाई व 300 फिट चौड़ाई में नींव की कुल चार लेयर तैयार हो चुकी है। जबकि पांचवी लेयर का निर्माण कार्य चल रहा है। राममंदिर की नींव कुल 44 लेयर में भरी जानी है। लेयर निर्माण का कार्य 24 घंटे चल रहा है, इसके लिए 12-12 घंटों के दो शिफ्टों में 50 से अधिक मजूदर व इंजीनियरों की ड्यूटी लगाई गई है। अक्तूबर के अंत तक नींव भराई का कार्य पूरा करने का लक्ष्य है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने राममंदिर निर्माण की प्रगति साझा करते हुए बताया कि राममंदिर की नींव भराई के लिए लेयर निर्माण का काम तेज कर दिया गया है। 50 फिट गहराई से एक लाख 20 हजार घनफीट मलबा निकाला जा चुका है। अब इस गहरे गड्ढे को भरने का काम हो रहा है। दो शिफ्टों में दिन रात काम चल रहा है। 400 फिट लंबाई व 300 फिट चौड़ाई वाले राममंदिर के गर्भगृह स्थल को भरने के लिए अब तक चार लेयर डालने का काम पूरा किया जा चुका है। जबकि पांचवी लेयर का काम जारी है। एक लेयर ढालने से लेकर सुखाने तक में चार से पांच दिन लग जाते हैं। ऐसी कुल 44 लेयर डाली जानी है। बताया कि फिल्ड मटेरियल की एक फिट लेयर पहले बिछाई जाती है। फिर इसे रोलर के जरिए दो इंच दबाया जाता है। जब लेयर की मोटाई दस इंच की हो जाती है तब एक लेयर तैयार हो जाती है। इसे आरसीसी रोलर कंपैक्ट कंक्रीट प्रणाली कहते हैं। कहा कि इस बीच हुई बरसात की वजह से काम प्रभावित हुआ है। उम्मीद है कि अक्तूबर के अंत तक नींव भराई का काम पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी मजूदर व इंजीनियर पूरी प्रतिबद्धता से जुटे हैं। वे रामलला का कार्य कर रहे हैं इसलिए उन पर परमात्मा की विशेष कृपा है। हर दिन काम शुरू करने से पहले रामलला की पूजा जरूर की जाती है। इनसेट परकोटा निर्माण में वास्तुदोष का हो रहा निवारण - चंपत राय ने बताया कि राममंदिर परिसर को चौरस बनाने के लिए आवश्यक जमीन खरीदी जा रही है। परकोटा निर्माण में आ रही वास्तु दोष की बाधा का निवारण किया जा रहा है। मंदिर परिसर के चारों तरफ परकोटा का निर्माण होना है। परकोटे को सीधे करने के लिए ट्रस्ट ने कौशल्या भवन व फकीरे राम मंदिर का बैनामा सहमति के आधार पर करा लिया है। परकोटा को चौरस बनाने के लिए अब तक जितनी जमीन की आवश्यकता थी ट्रस्ट ने उतनी जमीन खरीद ली है। अब केवल पश्चिम दिशा का कोना ठीक होना बाकी है, जल्द ही इसका भी समाधान हो जाएगा। नींव भराई का काम पूरा होने के बाद परकोटे का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
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