पंजाब कांग्रेस का विवाद सुलझाने के लिए पार्टी हाईकमान द्वारा शनिवार को चंडीगढ़ में शाम पांच बजे बुलाई गई विधायक दल की बैठक से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने पद से दे सकते हैं इस्तीफा
पंजाब कांग्रेस का विवाद सुलझाने के लिए पार्टी हाईकमान द्वारा शनिवार को चंडीगढ़ में शाम पांच बजे बुलाई गई विधायक दल की बैठक से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने समर्थक सभी विधायकों को बैठक में उपस्थित रहने के लिए कह दिया है जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिद्धू द्वारा बुलाई गई विधायकों की बैठक से ठीक पहले सोनिया गांधी से कहा है कि वह "इस तरह का अपमान काफी है, यह तीसरी बार हो रहा है। मैं इस तरह के अपमान के साथ पार्टी में नहीं रह सकता।"
माना जा रहा है कि विधायक दल की बैठक में विरोधी खेमे ने कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग जोरशोर से उठाने की रणनीति बना ली है। कहा जा रहा है कि विरोधी खेमा विधायक दल की बैठक के दौरान ही फ्लोर टेस्ट की मांग करेगा, ताकि कैप्टन पर दबाव बनाया जा सके। इस बीच यह अटकलें भी शुरू हो गई है कि कैप्टन विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक वह इसकी घोषणा अपने समर्थक विधायकों की बैठक के बाद कर सकते हैं। वहीं, आपको बता दें कि कांग्रेस आलाकमान के आदेश पर आज नवोज सिंह सिद्धू के समर्थक विधायकों की आज एक महत्वपूर्ण बैठक शाम पांच बजे बुलाई गई है। इस बैठक में अमरिंदर सिंह के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित होने की संभावना है।
हालांकि मौजूदा हालात में कांग्रेस हाईकमान के लिए कैप्टन को अलग-थलग करना आसान नहीं रह गया है। इस समय पंजाब कांग्रेस के कुल 80 विधायकों में से कैप्टन विरोधी खेमे में 40 विधायक हैं जबकि इतने ही विधायक कैप्टन के साथ हैं। यदि कैप्टन अपने समर्थक विधायकों के साथ इस्तीफा देकर अलग हो गए तो पंजाब में कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी और केंद्र सरकार के लिए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा, क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस विधायक दल के दो-फाड़ होने के बाद किसी भी दल के पास इतने विधायक नहीं रहेंगे कि वह अपने दम पर या किसी दूसरे दल के सहयोग से सरकार बना सकें।
उधर, कांग्रेस हाईकमान के लिए भी आगे कुआं पीछे खाई जैसी स्थिति बन गई है। हाईकमान अगर कैप्टन पर विश्वास जताता है तो उसे नाराज खेमे को साथ जोड़े रखना मुश्किल हो जाएगा। विरोधी खेमे के विधायकों ने अगर इस्तीफा दिया तब भी पार्टी हाईकमान के लिए पंजाब में अपनी सरकार बचा पाना संभव नहीं रहेगा क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह अल्पमत में आ जाएंगे।
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