भूतल के 80 प्रतिशत पत्थर तैयार, मकर संक्रांति 2024 तक गर्भगृह में स्थापित होंगे रामलला
प्रस्तावित आकार-प्रकार के अनुरूप गढ़े जाने के बाद उन्हें राजस्थान से रामजन्मभूमि परिसर तक लाया गया है। अगले वर्ष यानी 2023 के अंत तक यह परस्पर संयोजित हो मंदिर के भूतल के रूप में आकार ग्रहण कर लेंगे।
भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का काम गति पकड़ चुका है। इसके बीच में ही श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की भवन निर्माण समिति भी लगातार इसकी प्रगति जानने के लिए बैठक करती रहती है। भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र ने आज लगातार दूसरे दिन सर्किट हाउस के साथ ही रामजन्मभूमि क्षेत्र में ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय व निर्माण एजेंसी के अधिकारियों के साथ बैठक की और कार्य प्रगति की जानकारी ली।
अयोध्या में इस बार राम जन्मोत्सव के अवसर पर गर्भगृह में रामलला के मुख मंडल तक सूर्य की रश्मियां पहुंचाने की भी तैयारी तैयारी पूरी है। कार्य की गति देखकर लग रहा है कि मकर संक्रांति 2024 पर रामलला को नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में रामलला को स्थापित कर दिया जाएगा।
अयोध्या में रामजन्मभूमि पर निर्माणाधीन मंदिर के भूतल में लगने वाले 80 प्रतिशत पत्थर तैयार हैं। प्रस्तावित आकार-प्रकार के अनुरूप गढ़े जाने के बाद उन्हें राजस्थान से रामजन्मभूमि परिसर तक लाया गया है। अगले वर्ष यानी 2023 के अंत तक यह परस्पर संयोजित हो मंदिर के भूतल के रूप में आकार ग्रहण कर लेंगे।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की योजना गर्भगृह सहित मंदिर के संपूर्ण भूतल का निर्माण अगले वर्ष के अंत तक पूरा करने की है और 2024 की मकर संक्रांति के अवसर पर रामलला को नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाना है।
राम मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक इस लक्ष्य के अनुरूप शुक्रवार से शुरू हुई है। कल से लेकर आज तक में मंदिर निर्माण की प्रगति पर विचार-विमर्श किया गया। इस बैठक में सेंट्रल बिङ्क्षल्डग रिसर्च इंस्टीट््यूट के विशेषज्ञ भी उपस्थित रहे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस भावना को साकार करने का विश्वास व्यक्त किया, जिसके अनुसार राम जन्मोत्सव के अवसर पर यानी चैत्र शुक्ल नवमी की मध्याह्न बेला में गर्भगृह में विराजे रामलला के मुख मंडल पर सूर्य की रश्मियां पड़ने की अपेक्षा की जा रही है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र के अनुसार रिसर्च इंस्टीट्यूट के सदस्य मंदिर निर्माण में लगे विशेषज्ञों के साथ यह सुनिश्चित करने में सफल होने को हैं कि रामलला के मुख मंडल पर उनके जन्मोत्सव की बेला में सूर्य की किरणें पड़ें।
परिक्रमा मार्ग का भी किया निरीक्षण
राम मंदिर निर्माण समिति की नजर संपूर्ण अयोध्या के भी विकास पर है। इसी लक्ष्य और दायित्व को ध्यान में रख कर मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने अयोध्या के पंचकोसी एवं 14 कोसी परिक्रमा मार्ग का भी निरीक्षण किया। अब भव्य मंदिर और नव्य अयोध्या निर्मित किए जाने के बीच रामनगरी के परिक्रमा मार्ग को भी विस्तृत किएए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है।