बदायूं: रजिया सुल्तान वाली मस्जिद को हिंदू महासभा ने बताया नीलकंठ मंदिर, याचिका पर ASI ने लगाईं 4 आपत्तियां
बदायूं में 800 साल पुराने जामा मस्जिद को लेकर हिंदू महासभा ने दावा किया है कि इसे प्राचीन शिव मंदिर को तोड़कर बनाया गया है। इस मस्जिद में रजिया सुल्तान का जन्मस्थान माना जाता है। इसे लेकर एएसआई ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है।
उत्तर प्रदेश के बदायूं (Badaun) में 800 साल पुराने जामा मस्जिद (Jama Masjid Badaun) को लेकर दावा किया गया है कि इसे शिव मंदिर को तोड़कर बनाया गया है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने बीते साल 8 अगस्त को इसे लेकर बदायूं की सिविल कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। याचिका में मांग की गई थी कि इस दावे के प्रकाश में मस्जिद का सर्वे किया जाना चाहिए ताकि सच को सामने लाया जा सके। हिंदू महासभा के इस दावे को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने खारिज कर दिया है। एएसआई ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा है कि मस्जिक प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रॉविजन) ऐक्ट-1991 के तहत संरक्षित है और 15 अगस्त 1947 की तारीख की इसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।
बता दें कि हिंदू महासभा की अपील पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने 2 सितंबर 2021 को मामले को लेकर एक सिविल केस दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही जामा मस्जिद इंतेजामिया कमिटी, यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड, यूपी पुरातत्व विभाग और केंद्र तथा उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा था।
एएसआई के वकील ने क्या दिया जवाब?
कोर्ट में डीजीसी (सिविल) संजीव कुमार वैश ने केंद्र सरकार और एएसआई की ओर जवाब दाखिल किया है। उन्होंने बताया कि हमने इस अपील के खिलाफ चार आपत्तियां दर्ज कराई हैं। अब कोर्ट फैसला करे कि यह अपील सुनवाई के लायक है भी या नहीं। उन्होंने बताया कि पहली आपत्ति तो यही है कि इस केस में एएसआई लखनऊ को पार्टी बनाया गया है जबकि यह मस्जिद एएसआई मेरठ डिविजन के अंतर्गत आती है।
दूसरी आपत्ति ये है कि मस्जिद को प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट-1991 के तहत संरक्षण प्राप्त है। तीसरी आपत्ति है कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम-1904 की उपधारा-3 के तहत सरकार ने एक ऑफिशल गजट में अधिसूचना जारी करके मस्जिद को संरक्षित घोषित किया था। चौथी आपत्ति प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम-1958 के तहत की गई है, जो कहती है कि संरक्षित स्मारकों के 'स्वरूप' को बदला नहीं जा सकता है।
हिंदू पक्ष के वकील क्या बोले?
हिंदू पक्ष के वकील विवेक कुमार ने कहा, 'एएसआई ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया है कि संपत्ति उनकी है और याचिका को सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा-7 और 11 के प्रावधानों के अनुसार शुरुआती चरण में ही खारिज कर दिया जाना चाहिए। हमने कहा कि अगर संपत्ति एएसआई ने अधिग्रहीत की है तो ये धाराएं लागू नहीं होंगी क्योंकि हम केवल हिंदू परंपराओं के अनुसार परिसर के अंदर पूजा करने की अनुमति चाहते हैं।' उन्होंने आगे कहा कि हम मामले की सुनवाई की अगली तारीख से पहले कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर देंगे। मामले में अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी। यह मस्जिद मुसलमानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे साम्राज्ञी रजिया सुल्तान का जन्मस्थान माना जाता है। वहीं, हिंदुओं का दावा है कि यह मस्जिद नीलकंठ के एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।