बाराबंकी: कचरा प्लांट में कूड़े में लगी आग से जीना मुहाल, 300 मीटर रेंज 'नो डेवलपमेंट जोन', फिर भी बसे कॉलेज और कॉलोनी
आग के कारण उठ रहे धुएं के गुबार से आसपास के लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
बाराबंकी जिले में करोड़ों की लागत से बना कचरा निस्तारण प्लांट पिछले कई सालों से बंद पड़ा है। इसके चलते शहर से निकलने वाले कूड़े का निस्तारण नहीं हो रहा और यहां कचरे का अंबार लग गया है। उसी कूड़े में अब भयंकर आग लग गई है। आग के कारण उठ रहे धुएं के गुबार से आसपास के लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
इसके साथ ही कूड़े की दुर्गंध से भी लोग परेशान हैं। स्कूलों को तीन दिनों के लिए बंद करा दिया गया है। हालांकि अब बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि जब कचरा प्लांट के 300 मीटर की रेंज में नो डेवलपमेंट जोन घोषित है तो यहां प्लांट से सटी इतनी घनी कॉलोनी और स्कूल बने कैसे इसकी परमीशन किससे ली गई है।
पिछले एक साल से बंद है प्लांट
बाराबंकी शहर के ककरहिया में नगर पालिका द्वारा स्थापित कचरा निस्तारण प्लांट से जुड़ा है। यह कूड़ा निस्तारण प्लांट पिछले करीब एक साल से पूरी तरह से बंद है। शहर से रोज 30 से 40 टन कूड़ा उठान होती है। इसी वजह से कूड़ा प्लांट परिसर में एक हजार टन से ज्यादा कूड़े का पहाड़ डंप हो गया है, जिसमें लगी आग के कारण धुएं का गुबार उठ रहा है। हालांकि, इन सबके बीच एक बड़ा सवाल और खड़ा हो रहा है कि जब इस नगरीय ठोस अपशिष्ट के प्रोसेसिंग प्लांट के चारों ओर 300 मीटर की दूर तक के इलाके को नो डेवलपमेंट जोन घोषित किया गया था।
प्लांट के बाहर लगा है नोटिस बोर्ड
इस कचरा निस्तारण प्लांट के चारों ओर एकदम सटी हुई कॉलोनी कैसे बसा दी गई। प्लांट के बाहर लगे नोटिस बोर्ड पर साफ लिखा है कि इस क्षेत्र में किसी भी तरह का विकास कार्य नहीं कराया जा सकता। फिर किसकी मंजूरी से यहां मकानों और स्कूलों को बना दिया गया, यह भी जांच का विषय है। क्योंकि अगर यह घर और स्कूल न बने होते तो लोगों को इस तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़ता।