बाराबंकी: सिर्फ नाम का सौ बेड का अस्पताल, एंबुलेंस में होते प्रसव
अस्पताल प्रशासन की मानें तो चिकित्सकों के 32 पद स्वीकृत हैं लेकिन 16 कार्यरत हैं, इनमें से 3 मेडिकल अवकाश पर है, दो से तीन डॉक्टर प्रतिदिन अवकाश पर रहते हैं। एक चिकित्सक को महिला अस्पताल से संबद्व कर दिया गया है। मौके पर दस चिकित्सक ही रहते हैं जिनमें सिर्फ एक महिला चिकित्सक है। अब ऐसे में क्या उम्मीद की जाए।
सौ बेड के अस्पताल को शुरू हुए पांच साल हो गए लेकिन प्रसूता के उपचार की सुविधा यहां मुहैया नहीं हो पाई। हालात ये हैं कि यहां से रेफर के बाद जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही एंबुलेंस में प्रसव हो जाता है। अस्पताल प्रशासन स्टॉफ की कमी बताकर जिम्मेदारी से हाथ खड़े कर लेता है।
सिरौलीगौसपुर में बने इस अस्पताल में प्रसूताओं के लिए बने वार्ड खाली पड़े हैं। यदि परिजन किसी को लेकर भूलवश अस्पताल पहुंच जाते हैं तो अस्पताल प्रशासन आनन-फानन रेफर का पर्चा थमा देता है।
अस्पताल प्रशासन की मानें तो चिकित्सकों के 32 पद स्वीकृत हैं लेकिन 16 कार्यरत हैं, इनमें से 3 मेडिकल अवकाश पर है, दो से तीन डॉक्टर प्रतिदिन अवकाश पर रहते हैं। एक चिकित्सक को महिला अस्पताल से संबद्व कर दिया गया है। मौके पर दस चिकित्सक ही रहते हैं जिनमें सिर्फ एक महिला चिकित्सक है। अब ऐसे में क्या उम्मीद की जाए।
एंबुलेंस में हो रहे प्रसव
-जदवापुर निवासी कुमकुम को प्रसव पीड़ा होने पर 18 नंवबर को परिवारीजन उपचार के लिए संयुक्त चिकित्सालय पहुंचे तो यहां पर इलाज की सुविधा न होने की बात कहकर रेफर कर दिया गया। परिजन एंबुलेंस से जिला महिला अस्पताल लेकर आ रहे थे कि रास्ते में प्रसव हो गया।
- केवलापुर निवासी सीमा को प्रसव पीड़ा पर 28 नवंबर को परिजन उपचार के लिए संयुक्त चिकित्सालय पहुंचे। यहां से एंबुलेंस से जिला महिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया रास्ते में एंबुलेंस में ही प्रसव हो गया। जिले में एंबुलेंस से अभी तक करीब 28 हजार प्रसूताओं को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इनमें से करीब 150 प्रसव पीड़िताएं ऐसी है जिनके एंबुलेंस में ही प्रसव हो गया।
चिकित्सकों और स्टॉफ की कमी के चलते प्रसव पीड़िताओं को उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही थी, ये सच है। लेकिन अब सभी प्रकार की कमियों को दूर कर लिया गया है। सीएमओ का भी इसमें पूरा सहयोग मिल रहा है जल्द ही अस्पताल में डिलिवरी शुरू करा दी जाएगी। -डॉ. नीलम गुप्ता, सीएमएस संयुक्त चिकित्सालय, सिरौलीगौसपुर
बेंच पर लिटाकर किया जाता है इलाज
कोटवाधाम। संयुक्त चिकित्सालय सिरौलीगौसपुर में बेहतर उपचार मिले इसकी उम्मीद करना बेमानी होगा। यहां पर आने वाले मरीजों को बिना जांच के बेंच पर लिटाकर ग्लूकोज की बोतल टांग दी जाती है। प्रसव पीड़िताओं के लिए व्यवस्था है लेकिन कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है। अस्पताल के आसपास दलाल घूमते रहते हैं और जैसे ही कोई प्रसव पीड़िता नजर आती है, उसे बहला फुसलाकर निजी अस्पताल में भर्ती करा देते हैं।