बाराबंकी की महादेवा वाटिका में सीएम योगी ने लगाए थे पौधे, अब वहां झाड़ियां... SP ने ऐसे साधा निशाना
सीएम योगी आदित्यनाथ ने जिस महादेवा वाटिका में खुद के हाथों से पौधे लगाए थे, वहां अब केवल झाड़ियां बची हैं। इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी ने जोरदार निशाना साधा है। निशाना योगी सरकार पर है। दरअसल, सरकार की ओर से पौधरोपण कार्यक्रम के तहत वाटिका में पौधे लगाए गए थे।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से ऐसी खबर आई है, जिसने सरकार के पौधरोपण अभियान की हकीकत सामने ला दी है। सरकारी लापरवाही पर समाजवादी पार्टी हमलावर हो गई है। दरअसल, अभियान के दौरान रोपे जाने वाले पौधे देखरेख के अभाव में गायब हो चुके हैं। इन पौधों की बाकायदा जियो टैगिंग भी हुई थी, लेकिन अफसरों ने रोपे गए पौधों के संरक्षण में तनिक भी रुचि नहीं ली। महादेवा के ऑडिटोरियम के पास सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से तैयार कराई गई महादेवा वाटिका की भी हकीकत चौंकाने वाली है। यहां साल 2018 में सीएम योगी आदित्यनाथ के हाथों रोपित पौधों को सहेजने में वन विभाग ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। लापरवाही की वजह से महादेवा वाटिका पूरी तरह झाड़ियों में तब्दील हो चुकी है।
समाजवादी पार्टी इस पर हमलावर हो गई। पार्टी की ओर से खबर के हवाले से सवाल पर करारा वार किया गया है। सपा की ओर से कहा गया है कि ये योगी जी के वृक्षारोपण अभियान की हकीकत है। भाजपा सरकार में गिनीज बुक में नाम लिखवाने के लिए किया गया पौधारोपण अभियान झूठा, नकली, लापरवाह और घपले- घोटाले युक्त निकला है। भाजपा शासित योगी सरकार में सिर्फ झूठ, कुशासन, गुंडागर्दी, अपराध और भ्रष्टाचार के पौधे फल- फूल रहे हैं।
पौधे रोपित कराकर भूले वनाधिकारी
साल 2018 में सीएम योगी आदित्यनाथ ने महादेवा से वन महोत्सव की शुरूआत की थी। कार्यक्रम को ऐतिहासिक रूप देने के पूरी कोशिश की गई थी। वन विभाग ने महादेवा ऑडिटोरियम के पीछे महादेवा वाटिका में सीएम से पौधरोपण कराया था। सीएम ने इस वाटिका में भगवान शंकर व मां पार्वती के सबसे प्रिय माने जाने वाले पेड़ों पारिजात, रुद्राक्ष, बेल, पीपल, पाकड़, बरगद के पांच पौधे रोपे थे। इसके अलाव महादेव वाटिका में कुल 400 देव वृक्ष रोपे गए थे। वन विभाग महादेवा वाटिका को भी सहेजने में असफल रहा।
ग्राम पंचायतों में इस साल ही रोपित पौधे गायब
सूरतगंज की ग्राम पंचायतों में इस साल ही 103 ग्राम पंचायतों में तकरीबन दो लाख पौधे रोपने का लक्ष्य था। यह लक्ष्य ग्राम प्रधान व पंचायत सचिवों ने पूरा कर लेने का दावा किया। हालत यह है कि जिन गांवों में पौधे लगाते समय अफसरों ने फोटो खिंचवाएं थे। वो सभी पौधे सिंचाई के अभाव में सूख गए। इधर ग्राम पंचायत मौसंडी में पर्यावरण को बल देने के लिए बंजर भूमि में करीब 1800 पौधे लगवाए गए थे। इनके संरक्षण के नाम पर लाखों रुपये खर्च हुए थे। अफसरों ने पौधों के संरक्षण के नाम पर लाखों रुपये का बंदरबाट कर दिया। अब हालात यह हैं कि एक भी पौधा ऐसा नहीं बचा जो जीवित दिख रहा हो। सभी पौधे देखरेख के अभाव व पानी न मिलने के कारण सूख गए थे।
पौधों की हुई थी जियो टैगिंग
अभियान के तहत रोपे गए पौधों की जियो टैगिंग होनी थी। जियो टैगिंग की गाइड लाइन के मुताबिक, चयनित स्थल पर पौधे लगाकर उनकी जियो टैगिंग में गड्ढे, रोपित पौधे, पौधे की प्रजाति, सिचाई, सुरक्षा व्यवस्था, पौधरोपण वाले स्थान आदि की सूचना दर्ज करानी थी। इसी के साथ रोपित पौधे की संबंधित विभाग द्वारा तीन वर्ष तक सुरक्षा भी करनी थी। बाराबंकी के डीएफओ रुस्तम परवेज कहते हैं कि सीएम साहब ने जहां पर पौधे रोपित किए थे, वहां पर जल भराव के हालात बन गए थे। इससे काफी पौधे नष्ट हुए और फिर नए लगाए गए। फिर देखता हूं कि क्या हालात है। इससे अलग ग्राम पंचायतों में रोपित होने वाले पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी भी पंचायत विभाग की है। ग्राम पंचायत अथवा विभाग मदद मांगेगा तो तकनीकी मदद दी जाएगी।