बाराबंकी: रच गया नया इतिहास, बालिका का यज्ञोपवीत कराकर दी गई आचार्य की पदवी; सैंकड़ों लोग बने साक्षी
आचार्य व ज्योतिषाचार्य अखिलेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि शास्त्रों में यज्ञोपवीत संस्कार किसी जाति या महिला पुरुष का बंधन नही है। आज स्त्रियां विवाह,पूजन,कर्मकांड कराने के साथ ही व्यास गद्दी पर बैठती हैं और अंतिम संस्कार में भाग लेती हैं।
बाराबंकी-सीतापुर सीमा पर स्थित मुंडागोपाल आश्रम में कल एक इतिहास रचा गया। अत्यंत साधारण परिवार की खाटी ग्रामीण परिवेश में पली और बढ़ी आरती दीक्षित का यज्ञोपवीत संस्कार कराकर उसे सनातन संस्कृति के अधिकृत आचार्य की पदवी दी गई। मुंडागोपाल आश्रम में चल रहे शतचंडी महायज्ञ के दौरान आचार्य ज्योतिषाचार्य अखिलेश चंद्र शास्त्री ने आरती दीक्षित का यज्ञोपवीत संस्कार कराकर उन्हें पुरुष आचार्यों के समान बैठकर कर्मकांड कराने के लिए आर्शीवचन दिया। बालिका के यज्ञोपवीत संस्कार की चर्चा तो कई दिनों से थी। किंतु उसे देखने के लिए कल भारी संख्या में महिला पुरुष और संभ्रांत नागरिक यहां पहुंचे थे। सबका कहना था कि अवध क्षेत्र में किसी बालिका का यज्ञोपवीत संस्कार पहली बार हो रहा है।
बृहस्पतिवार को हिदायतपुर सिपाह गांव के विचार नाथ दीक्षित की छोटी पुत्री व सच्चिदानंद गुरुकुल माध्यमिक संस्कृत विद्यालय मुंडागोपाल में ज्योतिष की छात्रा आरती दीक्षित ने स्वयं की प्रेरणा से अपना यज्ञोपवीत संस्कार कराने का प्रस्ताव आचार्य और ज्योतिषाचार्य अखिलेश चंद्र शास्त्री से व्यक्त किया। माता-पिता की अनुमति के बाद मुंडागोपाल आश्रम में चल रहे शतचंडी महायज्ञ में यज्ञोपवीत कराने की तैयारी शुरू हो गई। बालिका का यज्ञोपवीत जो सुनता वह सहज में स्वीकार नही करता। चर्चाएं तेज हुईं और कल वह मुहूर्त आया जिसमे बालिका का पूरे विधि-विधान के साथ यज्ञोपवीत हुआ।
इस मौके पर भारी संख्या में लोग जमा हुए। माता-पिता रिस्तेदार और परिवार के लोग भी संस्कार में हंसी-खुशी शामिल ही नही हुए बल्कि पूरी भूमिका अदा की। पिता बोले कि बेटी का यह कदम समाज को एक संदेश और संस्कार देगा। वहीं बेटी ने कहा कि काशी में संपूर्णानंद संस्था द्वारा वहां की छात्राओं को पहले यज्ञोपवीत कराया जा चुका है वही प्रेरणा लेकर हम आगे बढ़े हैं। इस मौके पर महंत सत्यानंद जी,विधायक महमूदाबाद आशा मौर्या, डॉ.रामकुमार गिरी, साधवी निर्मलानंद जी, राजेश मिश्रा, रामसागर, रामाकांत बाजपेई, सावित्री देवी, हीरालाल दीक्षित, शेषमणि मिश्रा समेत भारी संख्या में लोग शामिल हुए।
सनातन संस्कृति के साथ महिला विदुषी परंपरा को आगे बढ़ाएगी आरती
आचार्य व ज्योतिषाचार्य अखिलेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि शास्त्रों में यज्ञोपवीत संस्कार किसी जाति या महिला पुरुष का बंधन नही है। आज स्त्रियां विवाह,पूजन,कर्मकांड कराने के साथ ही व्यास गद्दी पर बैठती हैं और अंतिम संस्कार में भाग लेती हैं। ऐसे में यह तभी फलदायी होता है जब उनका यज्ञोपवीत संस्कार हो जाए। क्योंकि कर्मकांड व्यास गद्दी पर बैठने के लिए वैदिककाल में सनातन संस्कृति में गार्गी, मैत्री,इला समेत अनेकों परम विदुषी ने यज्ञाचार्य की भूमिका निभाई है। महिला अधिकारों की बात पुरुषों के बराबर देने की यह सनातन परंपरा रही है आरती उसी को आगे बढ़ाने का काम करेगी।