बाराबंकी: ठंड में रैन बसेरों तक नहीं पहुंच पा रहे लोग, कोई झाड़ियों के बीच तो कोई खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर
जिला प्रशासन रैन बसेरों में व्यवस्थाओं के लाख दावे कर रहा है, फिर भी बाराबंकी में कड़ाके की ठंड में आज भी लोग सड़कों के किनारे खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में शीतलहर के साथ ठंड का पूरी तरीके से आगाज हो चुका है। कड़ाके की ठंड लोगों के लिए अगले कुछ दिनों में और परेशानी का सबब बनने वाली है, लेकिन ये परेशानी उन लोगों के लिए और बड़ी है, जो लोग सड़कों पर रात बिताते हैं। जिला प्रशासन रैन बसेरों में व्यवस्थाओं के लाख दावे कर रहा है, फिर भी बाराबंकी में कड़ाके की ठंड में आज भी लोग सड़कों के किनारे खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं।
रात तकरीबन 1 बजे बाराबंकी में स्टेशन रोड, पुलिस लाइन, छाया चराया, अस्पताल और बस स्टॉप समेत ऐसे कई इलाके मिले जहां आज भी बेघर सड़कों पर सो रहे हैं। इनमें रिक्शेवाले और बच्चे भी शामिल हैं। इनके लिए अभी भी पर्याप्त नाइट शेल्टर्स की व्यवस्था नहीं हो पाई है।
रिक्शेवालों ने लगाया आरोप
जबकि रिक्शेवालों का आरोप है कि उनसे रैनबेसरों में सोने के लिए 40 रुपए मांगे जाते हैं। वहीं कुछ लोग हमें ऐसे भी मिले जो झाड़ियों के बीच सो रहे थे। इनका कहना है कि बिना आधार कार्ड के रैन बसेरों में सोने नहीं देते। वह आज आधार कार्ड नहीं लाए हैं, इसलिए वहां नहीं गए।
महिलाओं के लिए नहीं है कोई सुविधा
हालांकि इस ठंड में गरीबों को आश्रय देने के लिए बाराबंकी जिला प्रशासन ने कई जगहों पर रैन बसेरा बनाए हैं। इसमें गरीब-बेसहारा पुरुष और महिलाएं दोनों के रहने के लिए व्यवस्था है। रियलिटी चेक में यहां व्यवस्थाएं भी ठीक-ठाक मिलीं। लेकिन यहां तक तमाम लोग पहुंच नहीं पा रहे हैं। इसके अलावा महिलाओं के लिए बने रैन बसेरों में पुरुष केयर टेकर रखे गए हैं। जिसके चलते जरूर महिलाओं को असुविधा हो रही है।