बस्ती: मंगल ग्रह पर शोध के लिए नासा पहुंची बस्ती की बेटी, बोलीं- अभी सतह पर पांव रखने का है सपना
परास्नातक करने के दौरान अनुश्री ने लखनऊ में बायो एक्सिस डीएनई रिसर्च सेंटर से बायो टेक्नोलॉजी में शाॅर्ट टर्म प्रोजेक्ट का प्रशिक्षण लेकर अपने जीवन की दिशा मोड़ दी। इसी बीच इंग्लैंड की एक निजी संस्था यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्स ने एमएससी का ऑफर दिया, जिसे अनुश्री ने स्वीकार कर लिया।
इंसान कुछ भी ठान ले तो उसे पूरा कर सकता है, मगर इसके लिए लक्ष्य के लिए लगातार परिश्रम व दृढ़ इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। ऐसा ही कुछ गांधी नगर की रहने वाली अनुश्री ने कर दिखाया है। उसका सपना मंगल ग्रह तक जाना है। इसके लिए तमाम कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए अनुश्री नासा जा पहुंची हैं। इससे पहले अनुश्री ने इंग्लैड के काल चेस्टर सिटी में रहकर माइक्रो आइट्रोलॉजी अर्थात स्पेस विषय से पीएचडी की डिग्री इसी साल हासिल की है।
शहर के गांधीनगर निवासी रेलवे के अधिकारी राकेश श्रीवास्तव व सुनीता की इकलौती बेटी 35 अनुश्री कुशाग्र बुद्धि की हैं। परिवार ने उसे भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। वर्ष-2003 में लखनऊ में तैयारी के दौरान कल्पना चावला की अंतरिक्ष अभियान से लौटते समय मौत की घटना ने अनुश्री को झकझोर दिया।
इसी बीच उसने सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए ली गई साइंस की पुस्तक में मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश के बारे में पढ़ा। इसके बाद सिविल सर्विसेज से उसका मन उचट गया और यहीं उसके मन में मंगल ग्रह अभियान में शामिल होने का बीज रोपित हो गया।
परास्नातक करने के दौरान अनुश्री ने लखनऊ में बायो एक्सिस डीएनई रिसर्च सेंटर से बायो टेक्नोलॉजी में शाॅर्ट टर्म प्रोजेक्ट का प्रशिक्षण लेकर अपने जीवन की दिशा मोड़ दी। इसी बीच इंग्लैंड की एक निजी संस्था यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्स ने एमएससी का ऑफर दिया, जिसे अनुश्री ने स्वीकार कर लिया।
वहां पढ़ाई के दौरान अमेरिका की एक निजी कंपनी ने मंगल ग्रह अभियान के लिए यूटा के रेगिस्तान में प्रशिक्षण के लिए प्रस्ताव दिया। यहां भारत से अनुश्री के अलावा सात देशों के प्रशिक्षणार्थियों के साथ मंगल ग्रह के वातावरण में रहने का प्रशिक्षण दिया गया। अनुश्री बताती हैं कि प्रशिक्षण के दौरान उन्हें हैब से बाहर आने पर पंद्रह किलो का स्पेस सूट पहनकर काम कराया जाता था।
दो माह नार्थ पोल यानी उत्तरी ध्रुव के करीब प्रशिक्षण दिया गया, जहां दो माह में कभी रात नहीं देखी। इंग्लैंड में मंगल ग्रह से संबंधित वैज्ञानिक प्रयोग के लिए धरती के 1.1 किमी नीचे नमक की खदान में पंद्रह दिन का प्रशिक्षण मिला।
अनुश्री ने कहा कि उनका जीवन अब मंगल ग्रह पर जीवन की खोज के लिए समर्पित है। कहती हैं कि मिशन अंतरिक्ष का सफर अभी लंबा है। फिर भी मंगल ग्रह के अभियान की पहला पायदान अब मिल गया है। इसी के सहारे मंगल ग्रह तक पहुंचने का सपना साकार होगा।