IPS अमित लोढ़ा की बढ़ सकती हैं मुसीबतें, 2004 के एक मामले में केस चलाने की तैयारी
बिहार पुलिस में आईजी पद पर तैनात रहे अमित लोढ़ा (Amit Lodha) की किताब ‘बिहार डायरीज’ पर एक वेब सीरीज आई है ‘खाकी : द बिहार चैप्टर’। ये काफी चर्चित हो रही है। इस वेब सीरीज को लेकर आईपीएस चर्चा में हैं। उन्हें निलंबित करते हुए उन पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा-7 के तहत केस दर्ज किया गया है। इसी बीच एक और मामले में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
सीनियर आईपीएस अफसर अमित लोढ़ा (IPS Amit Lodha) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 2004 के एक मामले में उनके खिलाफ केस चलाने के लिए कोर्ट ने सैंक्शन ऑर्डर मांगा है। मामला 2004 का है जब वो नालंदा के एसपी थे। आईपीएस अमित लोढ़ा और बिहार थानाध्यक्ष अरुण कुमार तिवारी के विरुद्ध केस चलाने के लिए कोर्ट ने परिवादी से सैंक्शन ऑर्डर जमा करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई दो जनवरी को होगी।
क्या है पूरा मामला
बिहारशरीफ के पुलपर मोहल्ला स्थित केनरा बैंक के तत्कालीन लिपिक दीपक कुमार ने परिवाद दाखिल किया था। उन्होंने तत्कालीन एसपी रहे अमित लोढ़ा, बिहार थानाध्यक्ष समेत अज्ञात पुलिसकर्मियों पर सीजेएम कोर्ट में परिवाद पत्र दाखिल किया था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि इन्हें बैंक लूट से संबंधित मुकदमों में मुख्य साजिशकर्ता बताया गया, उन्हें आरोपी बनाया। 15 मार्च 2004 को बैंक परिसर से बुलाकर थाना ले जाकर गिरफ्तार कर लिया। कई दिनों तक थाने में बंद रखा था।
शिकायतकर्ता ने लगाए हैं ये आरोप
शिकायतकर्ता का आरोप है कि एसपी और थानाध्यक्ष ने मिलकर उनके साथ मारपीट की और कई सादे कागजात पर हस्ताक्षर लिए। पहले भी यह निर्देश किया जा चुका था। लेकिन, परिवादी ने इस आदेश को जिला जज के यहां चुनौती दी थी। उस पर तुरंत सुनवाई को जजों ने खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट की ओर से दिए गए निर्देश के आलोक में पुराने मामलों की सुनवाई तेजी से की जा रही है।
कोर्ट ने सैंक्शन ऑर्डर मांगा
इसी दौरान मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) देवप्रिय कुमार ने अमित लोढ़ा और थानाध्यक्ष अरुण कुमार तिवारी के विरुद्ध दायर परिवाद पत्र में सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। घटना में संलिप्तता को स्वीकार करने का दबाव बनाया। परिवादी को जब 24 घंटे तक कोर्ट में पेश नहीं किया तो परिजनों ने कोर्ट में वाद दायर कर शिकायत की। परिजनों की ओर से गिरफ्तारी की सूचना न्यायालय में दिए जाने के बाद उसे कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। वहां से उसे जेल भेज दिया गया था।
क्या बढ़ेगी अमित लोढ़ा की मुश्किलें?
वरिष्ठ अधिवक्ता शिवदानी सिंह के माध्यम से सीजेएम कोर्ट में परिवाद पत्र दाखिल किया था। इसमें परिवादी को दोनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सैंक्शन आदेश कोर्ट में जमा करने का निर्देश 29 जून 2005 को ही दिया था। तब से परिवादी की ओर से यह सैंक्शन ऑर्डर आज तक कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया गया। परिवादी ने कोर्ट में अपने मुकदमे में पैरवी करना भी छोड़ दिया है। इसके बाद कोर्ट ने संबंधित अधिवक्ता को भी मुकदमा से संबंधित जानकारी देने को कहा है। पहले भी कोर्ट द्वारा निर्देश दिया गया था। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (Chief Judicial Magistrate) देवप्रिय कुमार ने अमित लोढ़ा और थानाध्यक्ष अरुण कुमार तिवारी के विरुद्ध दायर परिवाद पत्र में सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया है।