'मेरे लिए नीतीश सीएम की कुर्सी भी छोड़ दें तो नहीं करुंगा साथ में काम', इतना क्यों बमके हुए हैं पीके?
बिहार की सियासत में एक वक्त ऐसा था कि सीएम नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की जोड़ी की कसमें खाई जाने लगी थीं। लेकिन अब हाल ये है कि दोनों एक दूसरे को देखना तक नहीं चाहते। आखिर ऐसा क्या हुआ? अब तो पीके काफी बड़ी बात कह गए हैं।
चुनावी रणनीतिकार से राजनीतिक कार्यकर्ता बने प्रशांत किशोर ने बुधवार को कहा कि वह नीतीश कुमार के लिए काम नहीं करेंगे, भले ही नीतीश कुमार उनके लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दें। दो साल तक जेडीयू के उपाध्यक्ष रहे किशोर ने मंगलवार को दावा किया था कि उन्होंने पार्टी का नेतृत्व करने के लिए नीतीश के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। 2 अक्टूबर को पश्चिम चंपारण के भिथिहारवा स्थित गांधी आश्रम से शुरू हुई बिहार में चल रही पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर जमकर और लगातार हमला बोल रहे हैं।
सीएम की कुर्सी भी छोड़ दें नीतीश तो साथ नहीं आउंगा- पीके
अपनी 'पदयात्रा' के तहत बुधवार को गौनाहा प्रखंड के जमुनिया गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए किशोर ने कहा, 'नीतीश जी ने मुझे यह कहने के लिए अपने घर बुलाया कि मैं उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी हूं। कई लोगों ने उनसे (नीतीश) मिलने के मेरे फैसले की आलोचना की। लेकिन मैं उनसे कहने गया था कि वह मुझे कितना भी बड़ा प्रस्ताव दें, मैं जनता से किए गए वादे से पीछे नहीं हटूंगा, भले ही वह (नीतीश) मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दें।'
पीके कर रहे लोगों से अपील
लोगों से अपने चुनावी मताधिकार का सावधानी से प्रयोग करने की अपील करते हुए, किशोर ने कहा 'अगली बार, प्रशांत किशोर, मोदी (पीएम नरेंद्र मोदी) या नीतीश को अपना वोट न दें। उस व्यक्ति को वोट दें जो आपके बेहतर भविष्य के लिए काम करने में सक्षम है।' इससे पहले मंगलवार को प्रशांत किशोर ने जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह पर तीखा हमला किया था और बाद में उन्हें 'दलाल' (दलाल) करार दिया था और दावा किया था कि उन्होंने जेडीयू का नेतृत्व करने के लिए नीतीश के हालिया प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था।