बिकरू कांड: विकास दुबे की बदौलत पंचर की दुकान चलाने वाला जय बना अरबपति, कई बड़े नेताओं का करने लगा था ये काम
आठ पुलिस कर्मियों की हत्या करने वाले विकास दुबे की बदौलत पंचर की दुकान चलाने वाला जय बाजपेई अरबपति बन गया था। वो कई बड़े नेताओं व शहर के रईसों का काला धन ब्याज पर चलाता था। उसके एक मकान में कई पुलिसकर्मी रहते थे, जो बाद में निलंबित किए गए। जय के पास शहर में 10 से ज्यादा मकान, कई फ्लैट और छह लग्जरी गाड़ियां थीं।
प्रिंटिंग प्रेस में छह हजार रुपये की नौकरी और फिर पंचर की दुकान चलाने वाला जय बाजपेई कुछ ही वर्षों में अरबपति कैसे बना? यह बात हर किसी के जेहन में उठती है। उसको जानने वाले लोगों की मानें तो जय बाजपेई का भाग्य नवंबर 2016 के बाद एकाएक पलट गया। कमेटी और ब्याज के धंधे के चलते वह शहर के कई प्रमुख लोगों के संपर्क में था।
शहर के एक बड़े नेता के यहां भी उसका बहुत आना-जाना रहता था। नोटबंदी के दौरान इस नेता ने करोड़ों रुपये जय को सफेद करने के लिए दिए थे। जय के पास शहर में 10 से अधिक मकान, कई फ्लैट, छह लग्जरी गाड़ियां थीं। उसके एक मकान में कई पुलिसकर्मी रहते थे, जिन्हें बिकरू कांड के बाद निलंबित कर दिया गया था। जय बाजपेई का मकान हर तरह की सुख सुविधा से लैस था।
सूत्रों का कहना है कि जय ने इस रकम से अपने पुश्तैनी घर के पास एक पुराना मकान 46 लाख रुपये में खरीदा। उसी नेता के दम पर तीन महीने में बिना नक्शा पास कराए 12 फ्लैट बनवा दिए। शहर के कई और रईसों ने भी अपनी काली कमाई जय को दे रखी थी। इसमें जो कमजोर पड़ा, उसकी रकम जय ने हजम कर ली। जो तगड़ा बैठा उसे किस्तों में रकम लौटाई।
नेता को भी जय ने विवाद के बाद 30-35 लाख रुपये लौटाए। बताया जाता है कि लोगों को धमकाने के लिए वह विकास दुबे के नाम का सहारा लेता था। विकास का उसके घर आना जाना भी था। जय का पैतृक गांव दिलीप नगर है, जो बिकरू से केवल दो किमी दूर है। वहीं से उसका परिवार विकास दुबे के संपर्क में था।
बताया जा रहा है कि जब जय ब्याज का धंधा कर रहा था, तो विकास ने उसे 40 लाख रुपये दिए थे। इस पर जय एक से डेढ़ फीसदी ब्याज देता था। घटना के कुछ समय पहले दस लाख रुपये के ट्रांजेक्शन की बात भी विकास दुबे के परिवार के एक शख्स और जय के बीच होने की बात सामने आई थी।
जय के पिता की गांव के बाहर पंक्चर की दुकान थी। वहीं पर जय भी बैठता था। साल 2000 में जय की मां पांच बेटों और तीन बेटियों को लेकर कानपुर आ गई थी। यहां ब्रह्मनगर में जय बाजपेई का पुश्तैनी मकान है। मां घर के बाहर पान की दुकान चलाती थी। गांव का एक व्यक्ति जय को प्रिंटिंग प्रेस से कमेटी के धंधे में लाया।
साल 2012 में उसे 100 लोगों की दो-दो हजार रुपये वाली कमेटी शुरू की। इससे मिली रकम वर्तमान में भाजपा से जुड़े एक पार्षद की मदद से ब्याज पर चलाना शुरू कर दिया। जय के परिवार के लोग भी रेहड़ी-पटरी वालों को ब्याज पर पैसा बांटते थे।
इसके बाद जय ने विवादित प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त शुरू की। इसी दौरान सपा के एक नेता के संपर्क में आया और उसका धन भी ब्याज के धंधे में लगाया। धीरे-धीरे ब्याज, नोटबंदी के दौरान काला धन सफेद कराने और विवादित प्रापर्टी खरीदकर जय बाजपेई अरबपति बन गया।
तब अफसरों की जांच रिपोर्ट में सामने आया था
अफसरों की रिपोर्ट में कहा गया कि जय और उसका भाई रजय सपा विधायक के नजदीकी हैं और प्रॉपर्टी व ठेकेदारी का काम करते हैं। जय के खिलाफ कई मुकदमे भी दर्ज हैं। इनमें से थाना बजरिया में है, जो संतलाल कुरील ने हत्या के प्रयास और एससी-एसटी के तहत जय, अजय, रजय व चार अन्य लोगों के खिलाफ कराया था।
इसमें सबूत न मिलने पर फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई है। 20 मई 2017 को केडीए के मुख्य अभियंता की तहरीर पर जय के खिलाफ मकान की सील तोड़कर अवैध निर्माण शुरू कर देने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। मुकदमे में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई है।
पूछताछ में तब जय ने कहा था
बिकरू कांड के बाद पूछताछ में जय ने बताया था कि 15-16 साल पहले वह ब्रह्मनगर में ही एक प्रिंटर के यहां नौकरी करता था। अब बैट्री, इन्वर्टर व कार एसेसरीज की दुकान है। डेढ़ साल पहले होली पर दुबई घूमने गया था। उसने बैंक से लोन लेकर, पुश्तैनी जमीन बेचकर और किरायेदारों से मिली पगड़ी की रकम से जो मकान खरीदे हैं। लगातार दस साल से इनकम टैक्स दे रहा हूं। मकानों का किराया भी आय का स्रोत है।