भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 403 में से 376 सीटों पर चुनाव लड़ा था। तमाम विरोध और दबाव के बावजूद तीन मंत्रियों सहित 80 विधायकों के टिकट काटे। इसके चलते इन सीटों पर भी नए चेहरों को मौका दिया।
इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को 104 विधानसभा क्षेत्रों में नए चेहरों को मौका देने की रणनीति सफल रही है। इनमें से 80 प्रत्याशियों को सफलता मिली। वहीं भाजपा ने 2017 में हारी हुई 84 सीटों में से 19 सीटों पर 2022 में जीत दर्ज की है। आंकड़े भी बता रहे हैं कि भाजपा यदि प्रत्याशी नहीं बदलती तो चुनाव परिणाम भाजपा के लिए नुकसान दायक हो सकते थे।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 403 में से 376 सीटों पर चुनाव लड़ा था। पार्टी ने तमाम विरोध और दबाव के बावजूद तीन मंत्रियों सहित 80 विधायकों के टिकट काटे। जबकि तीन मंत्री सहित 14 विधायक चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए। इसके चलते इन सीटों पर भी नए चेहरों को मौका दिया। भाजपा ने चुनाव में 104 नए चेहरों को मौका दिया था इनमें से 80 ने चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा जाएंगे।
भाजपा ने 45 मंत्रियों सहित 214 विधायकों को दोबारा टिकट दिया था। इनमें से 170 विधायक (80 प्रतिशत) विधायक चुनाव जीत गए। जबकि 8 मंत्रियों सहित 44 विधायकों को जनता ने पसंद नहीं किया। जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले ही जिस तरह विधायकों के खिलाफ कार्यकर्ताओं और जनता की नाराजगी थी उसके बाद भी यदि 104 नए चेहरों को मौका नहीं दिया जाता तो पार्टी को नुकसान हो सकता था।
भाजपा को 2017 विधानसभा चुनाव में 85 सीटों पर शिकस्त का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने करीब दो वर्ष पहले ही इन सीटों पर चुनावी तैयारी शुरू कर दी थी। पार्टी ने इन 84 में से 69 सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया। करीब दो वर्ष की मेहनत के बूते भाजपा ने 85 में से 19 सीटें जीती है।
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