'आस्था के साथ खिलवाड़ पाप है...' विवेक अग्निहोत्री ने विवादों के बीच घिरी फिल्म 'आदिपुरुष' को लेकर दिया बड़ा बयान
ओम राउत की फिल्म आदिपुरुष पर शुरू हुई कॉन्ट्रोवर्सी थमने का नाम नहीं ले रही है। फिल्म के डायलॉग और सीन्स पर लगातार विवाद चल रहा है। अब आदिपुरुष को लेकर फिल्ममेकर और सीबीएफसी मेंबर विवेक अग्निहोत्री ने बात की है। उन्होंने बताया कि आखिर रिलीज के पहले सेंसर बोर्ड ने फिल्म पर आपत्ति क्यों नहीं जताई।
प्रभास, कृति सेनन और सैफ अली खान स्टारर आदिपुरुष साल 2023 की सबसे चर्चित फिल्म बन गई है। हालांकि, फिल्म अपनी खासियत नहीं, बल्कि कमियों के कारण सुर्खियां बटोर रही है। रिलीज के बाद फिल्म के सीन और डायलॉग पर खूब घमासान मचा था।
आदिपुरुष को लेकर अब सीबीएफसी बोर्ड के सदस्य और फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने बात की है। उन्होंने खुलासा किया कि क्या केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने फिल्म के उन सीन्स और डायलॉग पर आपत्ति नहीं जताई, जिन्होंने लोगों की भावनाओं को आहत किया। इसके साथ ही विवेक ने फिल्म के पूरे विवाद के बारे में भी बात की।
आदिपुरुष पर सेंसर बोर्ड ने क्यों नहीं जताई आपत्ति ?
आदिपुरुष के बारे में बताते हुए विवेक अग्निहोत्री ने खुलासा किया कि उन्होंने अभी तक फिल्म नहीं देखी है। उन्होंने कहा, “मैं सीबीएफसी बोर्ड का हिस्सा हूं। हम प्रमाणन के लिए फिल्म नहीं देखते हैं। फिल्म को आम लोग देखते हैं। मुझे नहीं पता कि फिल्म का किस स्तर पर क्या हुआ और इसे किसने देखा। मैंने अभी तक फिल्म नहीं देखी है। मैं 'द वैक्सीन वॉर' की शूटिंग में व्यस्त था। मैंने कुछ दिन पहले ही फिल्म पूरी की है। इसलिए, मुझे फिल्म के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।"
आदिपुरुष पर क्या बोले विवेक ?
उन्होंने आगे कहा, “यदि आप मेरे पिछले बयान देखेंगे तो पाएंगे कि मैं आम तौर पर किसी और की फिल्म के बारे में बात नहीं करता हूं। मैं दूसरों की बनाई जा रही फिल्मों पर कभी कोई राय नहीं देता, चाहे वह अच्छी हो या बुरी। हालांकि, मैं कहूंगा कि आस्था के मामले काफी संवेदनशील होते हैं।”
आस्था के आगे सारे लॉजिक फेल जाते हैं
विवेक अग्निहोत्री ने आदिपुरुष द्वारा लोगों की आस्था आहत होने के बारे में बात करते हुए आगे कहा, “आस्था की जो चीजें हैं, उसमें हमें बहुत ही जिम्मेदार और संवेदनशील रहना चाहिए। आपकी क्या आस्था है, किसी की क्या आस्था है... जैसे किसी का बच्चा है और मां को लगता है कि मेरा बच्चा दुनिया में सबसे सुंदर है, तो मुझे कोई हक नहीं है बोलने का कि वो थोड़ा कम सुंदर है या सुंदर नहीं है। वो मां की आस्था और प्रेम है। प्रेम और आस्था के मामले में सारे लॉजिक फेल हो जाते हैं और उसपर ठेस पहुंचाना, उसको आहत करना, आपने आप में पाप-पूर्ण कार्य है।"