बिल में हेराफेरी... अडानी ग्रुप को लेकर अब सरकारी एजेंसियों में घमासान, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
हाल में अमेरिका की एक शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg Research ने अडानी ग्रुप पर गंभीर आरोप लगाए थे। अब सरकारी एजेंसियों में भी अडानी ग्रुप को लेकर घमासान मचा है। डीआरआई ने अडानी ग्रुप की कुछ कंपनियों पर करोड़ों की हेराफेरी का आरोप लगाया था। लेकिन ट्रिब्यूनल ने इसे खारिज कर दिया।
अडानी ग्रुप (Adani Group) की कंपनियों को लेकर अब सरकारी एजेंसियों में ही घमासान मच गया है। डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (DRI) ने कस्टम्स, एक्साइज एंड सर्विसेज टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (CESTAT) के एक ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। डीआरआई ने अडानी ग्रुप की दो कपनियों के खिलाफ बिल को बढ़ाचढ़ाकर पेश करने का आरोप लगाया था लेकिन CESTAT ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। ट्रिब्यूनल की मुंबई बेंच ने जुलाई से अगस्त के बीच अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों अडानी पावर महाराष्ट्र (APML), अडानी पावर राजस्थान (APRL) और महाराष्ट्र ईस्टर्न ग्रिड पावर ट्रांसमिशन कंपनी (MEGPTCL) को राहत दी थी। डीआरआई ने APML और APRL मामले में पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी।
सूत्रों ने ईटी को बताया कि MEGPTCL के मामले में भी इसी तरह की अपनी दायर की जा सकती है। एक सूत्र ने कहा कि डीआरआई ने इस संबंध में अपने पेरेंट डिपार्टमेंट सीबीआईसी के पास भी एक प्रपोजल भेजा है। अपील में अडानी ग्रुप की कंपनियों के साथ-साथ तीन लोगों के भी नाम हैं। इसमें गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद शांतिलाल अडानी का नाम भी है। यह अपनी 11 नवंबर को फाइल की गई थी। हाल में आई अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg Research की रिपोर्ट में डीआरआई की जांच का जिक्र किया गया था। इस रिपोर्ट के कारण अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है और उसका मार्केट कैप 10 लाख करोड़ रुपये रह गया है। 24 जनवरी को यह 19.2 लाख करोड़ रुपये था।
3974.12 करोड़ रुपये की हेराफेरी
15 मार्च, 2014 को डीआरआई ने एक कॉमन शो कॉज नोटिस भेजकर आरोप लगाया था कि दुबई की कंपनी EIF, APML, APRL का आपस में रिश्ता है। EIF की होल्डिंग कंपनी EIH है जिसका कंट्रोल विनोद अडानी के पास है। वह अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरहोल्डर भी हैं। अडानी पावर लिमिटेड के जरिए अडानी एंटरप्राइजेज के पास एपीएमएल और एपीआरएल का मालिकाना हक है। कारण बताओ नोटिस में कहा गया था कि इन कंपनियों ने फॉरेन एक्सचेंज की हेराफेरी की है। एपीएमएल और एपीआरएल ने मशीनरी और इक्विपमेंट के आयात में हेराफेरी की। आयात किए गए सामान की असल कीमत 3187.61 करोड़ रुपये थी जबकि इसका बिल 7161.73 करोड़ रुपये का बनाया गया। इस तरह EIF के जरिए 3974.12 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। हालांकि अडानी ग्रुप का कहना है कि विनोद अडानी ग्रुप के प्रमोटर नहीं हैं।
अडानी ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा कि मई 2014 में डीआरआई ने एपीएमएल और एपीआरएल को ओवर वैल्यूएशन के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया था। अगस्त 2017 में डीआरआई की एडजुकेटिंग अथॉरिटी ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। कस्टम्स डिपार्टमेंट की अपील पर CESTAT ने जुलाई 2022 में अपील को खारिज कर दिया था। अभी इस मामले की सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है। जुलाई 2021 में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा था कि डीआरआई अडानी ग्रुप की कुछ कंपनियों के खिलाफ जांच कर रहा है। जुलाई 2022 में ट्रिब्यूनल ने अपने ऑर्डर में कहा कि विभाग ने भारतीय बैंकों की विदेश में स्थित ब्रांचेज से मिले दस्तावेजों के आधार पर ये आरोप लगाए हैं। यह कानून के मुताबिक सर्टिफाइड नहीं है।