देश में कोविड के एक्टिव मामले जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं वह इकोनॉमी के लिए अच्छी बात नहीं है। दरअसल, आर्थिक रूप से अहम इलाकों में छिटपुट लॉकडाउन हो रहा है, वहां नाइट कर्फ्यू लगाया जा रहा है। इसके चलते आर्थिक गतिविधियां घट रही हैं जिससे GDP में हर हफ्ते 1.25 अरब डॉलर यानी 9,400 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। इस बात का जिक्र बार्कलेज ने सोमवार को जारी रिपोर्ट में किया है।
देश में कोविड के एक्टिव मामले जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं वह इकोनॉमी के लिए अच्छी बात नहीं है। दरअसल, आर्थिक रूप से अहम इलाकों में छिटपुट लॉकडाउन हो रहा है, वहां नाइट कर्फ्यू लगाया जा रहा है। इसके चलते आर्थिक गतिविधियां घट रही हैं जिससे GDP में हर हफ्ते 1.25 अरब डॉलर यानी 9,400 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। इस बात का जिक्र बार्कलेज ने सोमवार को जारी रिपोर्ट में किया है।
GDP में करीब 80,000 करोड़ रुपए की कमी आ सकती है
बार्कलेज के लिए रिपोर्ट तैयार करने वाले उसके चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट राहुल बजोरिया कहते हैं, 'अगर कोविड के चलते लगाई जा रहीं पाबंदियां मई अंत तक जारी रहती हैं तो देश की GDP में कुल 10.5 अरब डॉलर (79,238 करोड़ रुपए) की कमी आ सकती है। इस हिसाब से पूरे वित्त वर्ष में नॉमिनल ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) 0.34% घट सकता है जबकि जून क्वॉर्टर में नॉमिनल GDP लगभग 1.4% घट सकता है।'
नॉमिनल GDP के आंकड़ों में महंगाई शामिल रहती है
जीडीपी की नॉमिनल वैल्यू बताती है कि तय समय अवधि में आर्थिक उत्पादन कुल कितना रहा है। इसमें महंगाई के चलते होने वाली बढ़ोतरी का ध्यान नहीं रखा जाता। नॉमिनल वैल्यू में से महंगाई का हिसाब करने पर जीडीपी की रियल वैल्यू मिलती है। यानी अगर GDP सालाना आधार पर 12 पर्सेंट बढ़ती है और उस दौरान महंगाई 6% रहती है तो रियल GDP (12-6%=6%) रहेगी।
बार्कलेज ने बनाए रखा है 11% रियल GDP ग्रोथ का अनुमान
मार्च 2021 में बार्कलेज ने कहा था कि कोविड के चलते दो महीने के लिए भी लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगती है तो इंडियन इकोनॉमी को 5.2 अरब डॉलर (39,257 करोड़ रुपए) के बराबर का प्रोडक्शन लॉस हो सकता है। यह लॉस देश के नॉमिनल GDP के 0.17% के बराबर होगा। हालांकि उसने मार्च 2022 में खत्म होनेवाले वित्त वर्ष में रियल GDP ग्रोथ 11% रहने का अनुमान बनाए रखा है, लेकिन यह भी कहा है कि अगर पाबंदियां सख्त की जाती हैं या अहम इकोनॉमिक सेंटर में लॉकडाउन होता है तो रियल GDP में कमी आएगी।
पिछले 24 घंटों में कोविड के 1,68,912 नए केस सामने आए हैं
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के कोविड ट्रैकर के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में भारत में कोविड के 1,68,912 नए केस सामने आए हैं। इस हिसाब से अमेरिका (1,32,67,359) के बाद इंडिया में कोविड के सबसे ज्यादा 1,35,27,717 केस हैं। इन सबके बीच महाराष्ट्र और दिल्ली सहित कई राज्यों की सरकारों ने अपने यहां लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया है।
मई में कोविड संक्रमण के नए मामलों का बढ़ना रुक सकता है
हालांकि बार्कलेज का यह भी कहना है कि एक्टिव केस के साथ रिकवरी भी बढ़ने से मई में कोविड संक्रमण के नए मामलों का बढ़ना रुक सकता है। इसके अलावा लोगों को कोविड का टीका लगने की रफ्तार में भी तेजी आ सकती है लेकिन उसकी सप्लाई में कमी आने की खबरों से टीकाकरण में थोड़ी दिक्कत आने का अंदेशा हो रहा है।
पाबंदी वाले राज्यों से जीडीपी में लगभग 60% का योगदान
कोविड के केस में हो रही बढ़ोतरी के बीच महाराष्ट्र, गुजरात तमिलनाडु और राजस्थान जैसे आर्थिक रूप से अहम राज्यों में लोगों की आवाजाही पर पाबंदी बढ़ रही है। बार्कलेज का अनुमान है कि जिन इलाकों में लोगों की आवाजाही पर किसी न किसी तरह की पाबंदी लगी है, वहां से देश की जीडीपी में लगभग 60% का योगदान होता है।
एक महीने में 40,000 करोड़ के GVA का लॉस मुमकिन
जहां तक महाराष्ट्र की बात है तो वहां कोविड के चलते लगी पाबंदियों से मार्च 2022 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष में ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (GVA) 0.32% घट सकता है। यह अनुमान हाल ही में केयर रेटिंग्स ने दिया था। उसके मुताबिक, 'एक महीने के लॉकडाउन में लगभग 40,000 करोड़ रुपए के GVA का लॉस हो सकता है।'
क्या है GVA और किस तरह GDP से अलग है?
GVA बताती है कि तय समय अवधि में देश के तमाम आर्थिक क्षेत्रों में कितने रुपए का उत्पादन हुआ है, लेकिन सामान तैयार करने में लगने वाले कच्चे माल की कीमत और दूसरे खर्च के अलावा सेवाएं देने में होने वाले खर्च को घटा लिया जाता है। इससे पता चलता है कि देश के कुल घरेलू उत्पादन में शुद्ध रूप से कितनी बढ़ोतरी हुई है। इसको यूं भी कहा जा सकता है कि GVA देश में होने वाले कुल उत्पादन को निर्माताओं के योगदान जबकि GDP उपभोग की नजर से देखने का तरीका है।
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