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जज के रोल पर चीफ जस्टिस का बड़ा बयान बोले- 'जज हर पांच साल में जनता से वोट नहीं मांगते, लेकिन...'

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, भले ही न्यायाधीशों को जनता नहीं चुनती, लेकिन समाज में उनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, न्यायपालिका का समाज के विकास में "स्थिर प्रभाव" है।

जज के रोल पर चीफ जस्टिस का बड़ा बयान बोले- 'जज हर पांच साल में जनता से वोट नहीं मांगते, लेकिन...'

समाज में अदालतों की भूमिका पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, अनिर्वाचित न्यायाधीशों की भूमिका महत्वपूर्ण है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं, लेकिन उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। जजों की भूमिका अहम होने के कारण पर चीफ जस्टिस ने कहा, ऐसा इसलिए है क्योंकि न्यायपालिका का समाज के विकास में "स्थिर प्रभाव" है। उन्होंने कहा, समाज प्रौद्योगिकी के साथ तेजी से बदल रहा है।

जज जनता के पास हर पांच साल में वोट मांगने नहीं जाते, लेकिन
चीफ जस्टिस ने ये टिप्पणी एक आलोचना का जवाब देने के दौरान की। बता दें कि हाल के कुछ महीनों में इस बात का जिक्र हुआ है कि अनिर्वाचित न्यायाधीशों को कार्यपालिका के क्षेत्र में अधिक प्रयास नहीं करने चाहिए। चीफ जस्टिस ने भारत के समाज में अदालत के जजों की भूमिका के बारे में दोहराया, "मेरा मानना है कि न्यायाधीशों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है, हालांकि हम निर्वाचित नहीं होते हैं। हम हर पांच साल में लोगों के पास वोट मांगने के लिए वापस नहीं जाते हैं। इसके बावजूद न्यायपालिका का हमारे समाज के विकास में एक स्थिर प्रभाव है। खास तौर पर हमारे युग में, क्योंकि प्रौद्योगिकी के साथ समय बहुत तेजी से बदल रहा है।

किस कार्यक्रम में बोले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
उन्होंने अमेरिका के जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर, वॉशिंगटन और सोसाइटी फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एसडीआर), नई दिल्ली के संयुक्त प्रयास से आयोजित कार्यक्रम में ये टिप्पणियां की। तीसरी तुलनात्मक संवैधानिक कानून चर्चा का टाइटल 'भारत के सर्वोच्च न्यायालयों के परिप्रेक्ष्य और संयुक्त राज्य अमेरिका' रखा गया था।

भारत बहुलतावादी समाज, न्यायाधीशों का तटस्थ रहना बेहद जरूरी
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, न्यायाधीश किसी चीज की आवाज हैं जिसे "समय के उतार-चढ़ाव" से परे रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जजों के पास अदालतों में पारित आदेशों के माध्यम से समाज में स्थिर प्रभाव प्रदान करने की क्षमता है। उन्होंने कहा, "भारत जैसे बहुलवादी समाज के संदर्भ में मेरा मानना है कि हमें अपनी सभ्यताओं, अपनी संस्कृतियों की समग्र स्थिरता में भूमिका निभानी है।"

जनता अदालतों का दरवाजा क्यों खटखटाती है?
उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि के हिस्से के रूप में अदालतें नागरिक समाज और सामाजिक परिवर्तन की खोज के बीच जुड़ाव का केंद्र बिंदु बन गई हैं। उन्होंने कहा, "इसलिए, लोग केवल नतीजों के लिए ही नहीं, बल्कि संवैधानिक परिवर्तन की प्रक्रिया में आवाज उठाने के लिए भी अदालतों का दरवाजा खटखटाते हैं।" चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के मुताबिक, लोग अदालतों में क्यों आते हैं? यह एक जटिल सवाल है और इसके कई कारण हैं। 

विधायिका और कार्यपालिका की भूमिका जज नहीं निभाते
चीफ जस्टिस ने कहा, लोगों का कोर्ट में आना अदालतों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है... क्योंकि देश में शासन की कई संस्थाएं हैं। उन्होंने कहा, संविधान में निश्चित रूप से शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत है। हम विधायिका या कार्यपालिका की भूमिका अपने हाथों में नहीं लेते। उन्होंने कहा, अदालतें ऐसी जगह बन रही हैं जहां लोग समाज के लिए अभिव्यक्ति को बुलंद आवाज देने के लिए आते हैं। उस मकसद के लिए आवाज उठाई जाती है, जिसे लोग हासिल करना चाहते हैं।

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