सीएम योगी नें दिए अयोध्या में नेताओं-अफसरों के रिश्तेदारों के जमीन खरीद की जांच का आदेश
अयोध्या में नेताओं-अफसरों के रिश्तेदारों के जमीन खरीदने की लगातार आ रही शिकायतों के बाद सीएम योगी ने जांच कराने का फैसला।
लखनऊ: अयोध्या में नेताओं-अफसरों के रिश्तेदारों के जमीन खरीदने की योगी सरकार जांच कराएगी। लगातार आ रही शिकायतों के बाद सीएम योगी ने यह फैसला किया है। उन्होंने अपर मुख्य सचिव राजस्व को जमींनो की ख़रीद की जानकारी जुटाने के निर्देश दे दिए हैं।
जांच के दायरे में सबसे अहम मांझा बरहटा गांव से सटे अधिकारियों और नेताओं के परिजनों के भूखंड हैं। अधिग्रहण में इनके भूखंड साफ-साफ कैसे बच गए और अब इनकी कीमत 10 गुना से ज्यादा हो गई है यह सवाल जांच का सबसे बड़ा विषय होगा। नव्य अयोध्या, आधुनिक बस अड्डा और 251 मीटर ऊंची प्रभु श्री राम की प्रतिमा के लिए मांझा बरहटा गांव की जमीन का अधिग्रहण आवास विकास परिषद लखनऊ के माध्यम से सरकार ने शुरू कराया था। मांझा बरहटा में सबसे अधिक भूमि महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट की थी। इसके अधिकांश भूमि पर मांझा बरहटा गांव के कई मजरे बसे हुए हैं, सरकार ने अधिग्रहण के दौरान इन नजरों में बसे लोगों के आवास से लेकर सरकारी स्कूल पंचायत भवन तक को कृषि भूमि मानकर अधिग्रहण के सूचना जारी कर दी और खरीद-फरोख्त भी शुरू करा दी। इसे लेकर ग्रामीण हाईकोर्ट में याचिका किए तब हाईकोर्ट ने गांव का खसरा तलब किया जिसे आज तक मुख्य राजस्व अधिकारी हाई कोर्ट में नहीं दाखिल कर पाए हैं। इस बीच हाल ही में मांझा बरहटा गांव की 242 एकड़ भूमि और अधिग्रहण का प्रस्ताव आवास विकास ने मंजूर कर लिया। लेकिन हर अधिग्रहण के प्रस्ताव में अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदारों द्वारा खरीदी गई भूमि बचती आ रही है। इसके पीछे वजह साफ है कि अधिकारियों और नेताओं ने अधिग्रहण का नक्शा बनने के साथ ही अधिग्रहण क्षेत्र के किनारे-किनारे की जमीन इसी ट्रस्ट से बेहद सस्ते दर पर अपने रिश्तेदारों के नाम खरीद ली।
होटल, बिजनेस कांपलेक्स बनाने के आ रहे ऑफर
मौके पर अब इनकी भूमि की कीमत देखें तो अयोध्या के मंडलायुक्त के ससुर ने 10 दिसंबर 2020 को जो जमीन महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से 21 लाख में 2530 वर्ग मीटर यानी 27222. 8 वर्ग फीट खरीदी थी, जिसकी कीमत मात्र ₹77.14 रुपए प्रति वर्ग फीट होती है, जो अब मौक पर बढ़कर एक हजार रुपए से अधिक हो गई है। श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट द्वारा हाल ही में बागविजैसी खरीदी गई भूमि की कीमत से तुलना करेंगे तो कमाई की राशि और बढ़ जाएगी। इसी तरह अयोध्या के जिलाधिकारी रह चुके के रिश्तेदारों द्वारा खरीदी गई0.379 हेक्टेयर भूमि यानी 40795.8 वर्ग फिट भूमि की कीमत अब करोड़ों में हो गई है। अयोध्या के विधायक के भतीजे तरुण मित्तल की ओर से खरीदी गई 5174 वर्ग मीटर भूमि की कीमत भी आसमान छू रही है, यही हाल गोसाईगंज के विधायक रहे परिजनों के बड़े भूखंड का है। मौके पर जाकर देखा गया तो इनके प्लाट पर कहीं होटल के डिमांड हो रही है तो कहीं बिजनेस कंपलेक्स और बड़ी-बड़ी कॉलोनी बनाने के लिए कारपोरेट घरानों से आफर आ रहे हैं ।
इन सवालों का जवाब देना होगा मुश्किल
कमिश्नर, डीएम, डीआईजी, सीआरओ, एसडीएम जैसे पदों पर रहे अधिकारियों को अधिग्रहण के दौरान अपनी भूमिका को लेकर जांच अधिकारी के सवालों के जवाब देना मुश्किल होगा। सवाल यह है कि अधिकारियों ने अधिग्रहित मांझा बरहटा गांव की बाउंड्री से सटे और चौड़ी चौड़ी सड़कों के प्रस्तावित मानचित्र पर अपने प्लाट की रजिस्ट्री कैसे कराई। क्या यह साबित नहीं करता कि अधिग्रहण की गोपनीयता अपने रिश्तेदारों के जरिए भंग करके कौड़ियों के मोल प्लाट खरीद लिए गए, जिनकी कीमत अब करोड़ों में है। आश्चर्यजनक है कि इन अधिकारियों के प्लाट गांव की चकरोड के किनारे हैं, किसी प्लाट पर पहुंच कर देख खड़ंजा लगा है तो किसी किसी के प्लाट के लिए कोई रास्ता ही नहीं है, लेकिन नव्य अयोध्या के मानचित्र से तुलना करें तो अब इनके प्लाट तक 30 मीटर चौड़ी सड़कें पहुंच रही है। कई इलाके नव्य अयोध्या के व्यावसायिक सिटी से सटे हैं। जांच में यही बातें अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े करती दिखेंगी।
भूमिका गलत मिले तो यह दंड होगा सबसे कारगर
अफसरों की भूमिका गलत मिलने पर भी इसके साक्ष्य जुटाने में जांच टीम को मुश्किलें आएंगी। इन्हें जैसे आम किसान को 15लाख रुपए प्रति हेक्टेयर की खरीद पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने खरीद-फरोख्त पर मांगे जवाब। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिन अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदारों द्वारा अयोध्या में जमीन की खरीद-फरोख्त की गई है उनसे भूमिका को लेकर स्पष्ट जवाब मांगे गए हैं। मुख्यमंत्री के सख्त रुख से अधिकारियों और नेताओं समेत अधिग्रहण को शासन से मानीटर कर रहे हैं अधिकारियों में भी हड़कंप मचा हुआ है।