पूर्व CM मांझी ने कहा है कि राम तो काल्पनिक चरित्र थे। उनसे हजार गुणा बड़े तो वाल्मिकी थे जिन्होंने इस चरित्र को गढ़ा। भाजपा ने सहयोगी दल का जताया विरोध
बिहार में एनडीए सरकार के सहयोगी और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने एक बार फिर से विवादित बयान दिया है। उन्होंने बुधवार को दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में भगवान वाल्मीकि को श्रद्धांजलि देने के बाद एक बार फिर दोहराया कि भगवान राम एक काल्पनिक चरित्र थे।हिन्दुस्तान अवामी मोर्चा (HAM) के सुप्रीमो मांझी ने कहा- 'महाकाव्य रामायण के लेखक महर्षि वाल्मीकि राम से हजारों गुना बड़े थे।' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा- 'यह मेरा निजी विचार है और मैं किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता।'
पहले कहा था-रामायण की कहानी सत्य पर आधारित नहीं है
इससे पहले भी मांझी सितंबर में रामायण से जुड़ा विवादित बयान दे चुके हैं। पटना में मीडिया ने उनसे मध्य प्रदेश की तर्ज पर बिहार के स्कूली पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल करने को लेकर सवाल पूछा था।
तब हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष ने पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल करने की जरूरत तो बताई थी, लेकिन साथ ही कहा था- 'रामायण की कहानी सत्य पर आधारित नहीं है।' श्रीराम महापुरुष थे, वह इस बात को भी नहीं मानते। उन्होंने रामायण को काल्पनिक ग्रंथ बताया था।
“जाली SC सर्टिफिकेट पर चुने गए हैं 5 सांसद “
इसके साथ ही उन्होंने एक सनसनीखेज आरोप भी लगाया. जीतनराम मांझी ने कहा कि वर्तमान लोकसभा में जाली SC सर्टिफिकेट पर 5 सांसद चुने गए हैं. उन्होंने कहा कि ‘एक केंद्रीय मंत्री सहित 5 सांसदों को फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीटों से लोकसभा सदस्य चुने गए हैं
मांझी ने कहा कि ये सांसद बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी और निर्दलीय हैं. उन्होंने कहा कि ‘BJP नेता और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, BJP सांसद जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य महास्वामी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद सादिक, TMC सांसद अपरूपा पोद्दार और निर्दलीय सांसद नवनीत रवि राणा जाली प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने के बाद SC कोटे से आरक्षित सीटों पर चुनाव जीते हैं. मांजी ने कहा कि इसी जांच की जानी चाहिए
आरक्षण का फायदा ले रहे जालसाज
उन्होंने कहा- ‘दलितों को नौकरियों और यहां तक की स्थानीय निकाय चुनावों में मिला 15 से 20 प्रतिशत कोटा का लाभ भी जाली जाति प्रमाण पत्र के आधार पर दूसरे लोग हड़प रहे हैं।’ उन्होंने सभी के लिए एक समान स्कूली शिक्षा प्रणाली और दलितों के लिए एक अलग मतदाता सूची बनाने की भी मांग की। मांझी ने कहा- ” समाज के विभिन्न वर्गों के बच्चों के लिए सामान्य स्कूली शिक्षा समानता लाएगी और फिर आरक्षण की आवश्यकता नहीं होगी। यदि ऐसी शिक्षा प्रणाली 10 वर्षों तक लागू कर दी जाएगी तो सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।’
भाजपा ने भी सहयोगी दल पर जताया विरोध
जीतनराम मांझी के बयान से बिहार के भाजपा नेताओं में गुस्सा है और अपने ही सहयोगी दल की ओर से राम पर सवाल खड़ा किए जाने के बाद उनके सामने एक धर्मसंकट भी खड़ा हो रहा है। भाजपा के विधायक और राज्य के पथ निर्माण मंत्री नीतीन नवीन ने कहा कि खुद को सेकुलर दिखाने के चक्कर में कुछ लोग ऐसा कर देते हैं। मांझी का बयान सही नहीं है और सच्चाई के विपरीत है। वहीं भाजपा विधायक हरिभूषण बचौल ने कहा कि राम को नकारने वाले बहुत से लोगों ने अब राम-राम करना शुरू कर दिया है। जो बचे हैं वे भी बहुत जल्द सुधर जाएंगे।
कांग्रेस और राजद ने गठबंधन पर उठाए सवाल
कांग्रेस और राजद के नेताओं ने भाजपा और हम के बीच गठबंधन पर भी सवाल खड़ा किया है। दोनों दलों के नेता भाजपा के साथ ही हम से भी इस मसले पर सवाल पूछ रहे हैं। इनका कहना है कि मांझी अगर इस तरह की सोच रखते हैं तो वे राम के नाम पर विभाजनकारी राजनीति करने वालों के साथ क्यों खड़े हैं। वहीं राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि भाजपा को बताना चाहिए कि वे जीतनराम के साथ हैं या राम के साथ।
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