कोरोना: चीन सहित कई यूरोपीय देशों में इस वैरिएंट ने बिगाड़े हालात, चिंता बढ़ाने वाली है इसकी प्रकृति
दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना वायरस एक बार फिर से पैर पसार रहा है। हालिया रिपोर्टस के मुताबिक साल 2020 के बाद चीन में संक्रमण के कारण एक बार फिर से हालात काफी बिगड़ रहे हैं। आलम यह है कि करीब 12 शहरों में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है, जिसके कारण 30 मिलियन से अधिक लोग एक बार फिर से घरों में कैद होने को मजबूर हो गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में स्टील्थ ओमिक्रॉन (BA.2) को इस बढ़ते संकट का प्रमुख कारण माना जा रहा है। ज्यादातर संक्रमित ओमिक्रॉन के बीए.2 वैरिएंट से संक्रमित पाए जा रहे हैं। भारत के नजरिए से भी इसे बड़ी चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। जनवरी-फरवरी में देश के कुछ हिस्सों से बीए.2 वैरिएंट से संक्रमितों के मामलों में उछाल देखा गया था। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक अध्ययनों में ओमिक्रॉन के इस स्ट्रेन को अधिक संक्रामक माना जा रहा है, साथ ही इसकी कुछ प्रकृति चिंता बढ़ाने वाली हो सकती है।
स्टील्थ ओमिक्रॉन से इन देशों में भी बिगाड़े हालात
चीन ही नहीं यूरोप के कई अन्य देशों में भी स्टील्थ ओमिक्रॉन ने हालात बिगाड़ दिए हैं। पिछले कुछ दिनों में ब्रिटेन में भी कोविड मामलों में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। हाल के हफ्तों में जर्मनी में एक दिन में ढाई लाख से अधिक मामले रिकॉर्ड किए गए। वहीं फ्रांस, स्विट्जरलैंड, इटली और नीदरलैंड में भी कोविड संक्रमण के मामलों में तेजी से उछाल की खबरें हैं। इन सभी देशों में ओमिक्रॉन बीए.2 वैरिएंट को मुख्य कारक माना जा रहा है।
चिंता बढ़ाने वाली है इस वैरिएंट की प्रकृति
कोरोना वैरिएंट के इस खतरे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) लगातार नजर बनाए हुए है। स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि बीए.2 वैरिएंट, पहले के ओमिक्रॉन के बीए.1 से अलग है। इसके स्पाइक प्रोटीन और अन्य प्रोटीनों के एमिनो एसिड में अंतर देखा गया है। प्रारंभिक डेटा से पता चलता है कि बीए.2 स्वाभाविक रूप से अधिक संक्रामक हो सकता है। इससे संक्रमण की स्थिति कितनी गंभीर हो सकती है, इस बारे में जानने के लिए फिलहाल अध्ययन किए जा रहे हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तरह के दुनियाभर में यह वैरिएंट तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने की रखता है क्षमता
अध्ययनों से पता चलता है कि ओमिक्रॉन के इस सब-वैरिएंट में कई ऐसे बदलाव देखे गए हैं जो इसको शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से आसानी से बचने के योग्य बनाते हैं। बीए.2 में वह एक म्यूटेशन नहीं है जो कोविड-19 का पता लगाने में मदद करता है। ओमिक्रॉन के "एस" स्पाइक जीन में एक आनुवंशिक विलोपन देखा जा रहा था जिसकी मदद से आरटी-पीसीआर परीक्षण के साथ संक्रमण की पुष्टि कर पाना आसान होता था, हालांकि बीए.2 सब-वैरिएंट में वह एस जीन नहीं है, इस वजह से इसे ट्रैक करना मुश्किल हो सकता है।
भारत के लिए कितना चिंताजनक?
दुनिया के कई देशों में ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट बीए.2 के बढ़ते मामले भारत के लिए भी अलार्मिंग हैं। यहां जनवरी-फरवरी में आई तीसरी लहर के दौरान ओमिक्रॉन के बीए.1 सब वैरिएंट को प्रमुख माना जा रहा था। कुछ रिपोर्ट में स्टील्थ ओमिक्रॉन के भी मामलों की जिक्र मिलता है। ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सभी लोगों को कोरोना के प्रति लगातार सावधानी बरतते रहनी चाहिए। बीए.2 संक्रमण के कारण चक्कर आना और थकान, दो सबसे शुरुआती लक्षण देखे जा रहे हैं। कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करके देश में कोरोना संक्रमण के एक और उछाल के खतरे को कम किया जा सकता है।