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1 मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को लगेगी वैक्सीन; पर डोज कहां हैं?

कोरोना वायरस की दूसरी लहर भयावह होती जा रही है और इसे देखते हुए मांग भी उठ रही थी कि देश में सभी 18+ को वैक्सीनेट किया जाना चाहिए। दो हफ्ते पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह मुद्दा उठाया, जिसे दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी सपोर्ट किया। कांग्रेस ने तो इसके लिए बाकायदा अभियान ही चला दिया। सोमवार देर शाम केंद्र सरकार ने भी फैसला ले लिया कि 18 वर्ष से अधिक आयु वालों को 1 मई यानी श्रम दिवस से वैक्सीनेट किया जाएगा।

1 मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को लगेगी वैक्सीन; पर डोज कहां हैं?

आइए, जानते हैं कि सबको वैक्सीन लगाने का फैसला क्या है और इसमें किस तरह की अड़चनें आ सकती हैं?

सरकार के फैसले के मुताबिक किसे और कैसे मिलेगी वैक्सीन?

  • सरकार पर सभी ओर से दबाव था कि 18+ को वैक्सीनेट करने का फैसला लें। वकील रश्मि सिंह ने तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी लगाई है। अनुरोध किया कि कोरोना की दूसरी लहर घातक हो रही है। 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अशोक भूषण और आर. सुभाष रेड्डी की बेंच इस याचिका पर सुनवाई करने वाली है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय बैठक में 18+ को वैक्सीनेट करने का फैसला किया गया। इसके तहत सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी से जारी होने वाले 50% डोज केंद्र सरकार को मिलेंगे और बाकी 50% स्टॉक्स राज्य सरकारों और खुले बाजार में बिक सकेंगे। वैक्सीन निर्माताओं को 1 मई 2021 से पहले राज्य सरकारों और खुले बाजार में वैक्सीन डोज की कीमत बतानी होगी।
  • वैक्सीन निर्माताओं के 50% डोज राज्य सरकारें, प्राइवेट अस्पताल, औद्योगिक संगठन खरीदेंगे। प्राइवेट अस्पताल वैक्सीनेशन की कीमत तय कर सकेंगे। वहीं जिन केंद्रों पर इस समय 45+ को वैक्सीन डोज दिए जा रहे हैं, वह जारी रहेगा। सरकारी सेंटरों पर फ्री में और प्राइवेट सेंटरों पर 250 रुपए में डोज लगते रहेंगे।
  • कोविड-19 वैक्सीनेशन भी राष्ट्रीय टीकाकरण का हिस्सा होगा। कोविन प्लेटफॉर्म पर निर्धारित प्रोटोकॉल को फॉलो किया जाएगा। साइड इफेक्ट्स की रिपोर्टिंग और अन्य नियम जस के तस लागू होंगे। अस्पतालों और राज्य सरकारों को वैक्सीन डोज के स्टॉक और कीमत रियल-टाइम में रिपोर्ट करनी होगी।
  • वहीं, सरकार ने अमेरिका, जापान, UK और यूरोपीय संघ के साथ ही WHO की ओर से मंजूरी प्राप्त वैक्सीन को आपात मंजूरी देने का फैसला किया है। यह वैक्सीन केंद्र सरकार नहीं खरीदेगी, पर राज्य सरकारें और प्राइवेट अस्पताल खरीद सकेंगे। यानी अगर आपको मॉडर्ना, फाइजर के साथ ही अन्य वैक्सीन लगानी है तो 1 मई के बाद निजी अस्पताल उसकी व्यवस्था आपके लिए कर सकते हैं।
  • केंद्र सरकार अपने हिस्से से ही राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को वैक्सीन डोज देती रहेगी। इसका आधार बनेगा एक्टिव कोविड-19 केसेज और परफॉर्मंस (टीकाकरण की स्पीड)। इसके साथ ही वैक्सीन वेस्टेज रेट को भी इसका आधार बनाया जाएगा। इसके अनुसार स्टेट्स का कोटा तय होगा और केंद्र से उन्हें वैक्सीन डोज मिलते रहेंगे।
  • इस बीच, जिन हेल्थकेयर, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45+ लोगों ने अब तक के सेट-अप में वैक्सीन के पहले डोज लिए हैं, उन्हें दूसरे डोज में प्राथमिकता दी जाएगी। यह नियम सभी स्टेकहोल्डर्स पर लागू होगा। नए नियम 1 मई 2021 से लागू होंगे और समय-समय पर इसकी समीक्षा होगी।
  • नई पॉलिसी से क्या वैक्सीनेशन को रफ्तार मिलेगी?

    • मुश्किल है। पहला सवाल तो यही होगा कि जब राज्यों के पास वैक्सीन के डोज ही नहीं हैं, तो 1 मई के बाद ऐसा क्या हो जाएगा जो सबको डोज दिए जा सकेंगे? सरकार ने कुछ राज्यों की मांग पर यह फैसला तो ले लिया, पर सबके लिए वैक्सीन डोज उपलब्ध कराना फिलहाल बहुत मुश्किल रहने वाला है।
    • इसे इन आंकड़ों से समझ सकते हैं कि 19 अप्रैल की सुबह 8 बजे तक 12.38 करोड़ डोज दिए जा चुके हैं। इनमें 10.73 करोड़ पहले डोज हैं, जबकि 1.64 करोड़ दूसरे डोज। जनगणना के आंकड़ों के अनुसार हेल्थकेयर, फ्रंटलाइन वर्कर्स और देश की पूरी 45+ आबादी को वैक्सीनेट करने के लिए अभी करीब 46 करोड़ वैक्सीन डोज और चाहिए।
    • अभी वैक्सीन डोज की उपलब्धता की क्या स्थिति है?

      • 1 अप्रैल के बाद टीकाकरण को रफ्तार तो मिली। 5 अप्रैल को सबसे ज्यादा रिकॉर्ड 45 लाख डोज दिए गए थे, पर उसके बाद औसतन 30 लाख डोज ही दिए जा सके। वैक्सीन की कमी की ही वजह से दिन-ब-दिन यह आंकड़ा घटता रहा, जबकि बढ़ते केस के हिसाब से नंबर बढ़ने चाहिए थे।
      • कई शहरों में वैक्सीनेशन सेंटर पर लोग जा तो रहे हैं, पर वहां डोज है नहीं। कुछ सेंटरों पर तो राशनिंग की जा रही है। वैक्सीन के डोज की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने 12 अप्रैल को रूसी वैक्सीन स्पुतनिक V को मंजूरी दी। साथ ही विदेशों में स्वीकृत वैक्सीन कंपनियों को भी भारत में डोज उपलब्ध कराने की अपील की।
      • अभी वैक्सीन डोज की उपलब्धता की क्या स्थिति है?

        • 1 अप्रैल के बाद टीकाकरण को रफ्तार तो मिली। 5 अप्रैल को सबसे ज्यादा रिकॉर्ड 45 लाख डोज दिए गए थे, पर उसके बाद औसतन 30 लाख डोज ही दिए जा सके। वैक्सीन की कमी की ही वजह से दिन-ब-दिन यह आंकड़ा घटता रहा, जबकि बढ़ते केस के हिसाब से नंबर बढ़ने चाहिए थे।
        • कई शहरों में वैक्सीनेशन सेंटर पर लोग जा तो रहे हैं, पर वहां डोज है नहीं। कुछ सेंटरों पर तो राशनिंग की जा रही है। वैक्सीन के डोज की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने 12 अप्रैल को रूसी वैक्सीन स्पुतनिक V को मंजूरी दी। साथ ही विदेशों में स्वीकृत वैक्सीन कंपनियों को भी भारत में डोज उपलब्ध कराने की अपील की।
        • इस समय भारत में जितने भी डोज दिए गए, उनमें 91% हिस्सेदारी कोवीशील्ड की रही। इसे दुनिया का सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने बनाया था। अब कच्चे माल की कमी की वजह से वह भी प्रोडक्शन नहीं बढ़ा पा रहा है। वहीं, भारत बायोटेक को भी प्रोडक्शन तेज करने में दिकक्त हो रही है। सरकार ने बायोमेडिकल रिसर्च बॉडी हॉफकिन इंस्टीट्यूट से कोवैक्सिन बनाने को कहा है। ताकि कमी को दूर किया जा सके।

        .. तो आखिर कब तक मिल सकेगी सबको वैक्सीन?

        • केंद्र सरकार के नए फैसले से साफ है कि वह सरकारी सेट-अप में सिर्फ 45+ को ही वैक्सीनेट करेगी। बाकी लोगों को वैक्सीनेट करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों और प्राइवेट सेक्टर पर छोड़ दी गई है। यानी अब आपका राज्य तय करेगा कि 18+ को वैक्सीन लगाने का खर्चा कौन उठाएगा?
        • वैसे, विशेषज्ञों ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे प्राइवेट क्षेत्र भी वैक्सीनेशन से जुड़ जाएगा और जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट किया जा सकेगा। इस समय वैक्सीन डोज कम हैं, पर स्पुतनिक V के साथ ही फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन मार्केट में आते ही यह कमी भी दूर हो जाएगी।
        • इसके अलावा 6 वैक्सीन के भारत में ट्रायल्स चल रहे हैं। उनके क्लिनिकल ट्रायल्स का फैसला भी कुछ महीनों में आ जाएगा। तब निश्चित तौर पर वैक्सीन डोज की कमी नहीं होगी।

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