तो क्या इस वजह से फिर बढ़ने लगे हैं कोरोना संक्रमण के मामले? सरकार ने किया स्पष्ट
पिछले कुछ दिनों से रोजाना के मामलों में उतार-चढ़ाव जारी है। कई अध्ययनों में दावा किया जा रहा है कि कोरोना के नए म्यूटेटेड वैरिएंट्स अधिक संक्रामक हैं, यह तीसरी लहर का कारण बन सकते हैं।
दुनिया के कई देशों में कोरोना का संक्रमण एक बार फिर से बढ़ने लगा है। इंग्लैंड और कई अफ्रीकी देशों में कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए फिर से लॉकडाउन जैसी स्थिति बन रही है। भारत की बात करें तो यहां भी पिछले कुछ दिनों से रोजाना के मामलों में उतार-चढ़ाव जारी है। कई अध्ययनों में दावा किया जा रहा है कि कोरोना के नए म्यूटेटेड वैरिएंट्स अधिक संक्रामक हैं, यह तीसरी लहर का कारण बन सकते हैं।
इन्हीं सबके बीच इन दिनों सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर 5जी रेडिएशन को मुख्य कारण बताया जा रहा है। सोशल मीडिया के कई प्लेटफार्म पर वायरल हो रहे इस संदेश में दावा किया जा रहा है कि कोरोना के दोबारा से बढ़ते मामले 5जी रेडिएशन के कारण सामने आ रहे हैं। सरकार को इस प्रकार के परीक्षण पर तत्काल रोक लगानी चाहिए जिससे देश में दूसरी लहर जैसी स्थिति दोबारा से न बनने पाए।
तो क्या वास्तव में 5जी रेडिएशन कोरोना वायरस के संवाहक हो सकते हैं? यह सवाल इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि हाल ही में हुए कुछ अध्ययनों में दावा किया जा रहा है कि ब्लैक कार्बन के साथ कोरोना के वायरस का संचार हो सकता है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है सोशल मीडिया पोस्ट का दावा
सोशल मीडिया पर वायरस पोस्ट में कहा जा रहा है, ''देश में 5जी का परीक्षण कोरोना संक्रमण का प्रमुख कारण है। दूसरी लहर की मुख्यवजह यही 5जी टेस्टिंग रही है जिसके चलते कोरोना संक्रमण ने इतना भयानक रूप ले लिया है। अब एक बार फिर से संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने शुरू हो गए हैं, सरकार को इस प्रकार के परीक्षण पर जल्द से जल्द रोक लगा देनी चाहिए, वरना तीसरी लहर में देश के हालात और भी खराब हो सकते हैं।''
तो क्या वास्तव में कोरोना के मामले 5जी रेडिएशन के कारण तेजी से बढ़ रहे हैं? आइए जानते हैं।
सरकार ने किया स्पष्ट
सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट को लेकर ट्विटर पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इसकी सच्चाई बताई है। मंत्रालय ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए इस तरह के पोस्ट को भ्रामक और झूठा बताया है। मंत्रालय की ओर से स्पष्ट किया गया है कि कोरोना का वायरस रेडिएशन वेब और मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से संचारित नहीं होता है, ऐसे में 5जी नेटवर्क और कोरोना के संक्रमण का कोई संबंध नहीं है। वहीं कोरोना का संक्रमण उन देशों में भी फैल रहा है जहां पर 5जी का मोबाइल नेटवर्क है ही नहीं। ऐसे में पोस्ट का दावा भ्रामक है, लोगों को इसपर बिल्कुल भरोसा नहीं करना चाहिए।