योगी सरकार ने लिखी थी बाहुबली राजन तिवारी की गिरफ्तारी की पटकथा, सियासत में उतरने की थी तैयारी
माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ गैंगस्टर ऐक्ट के साल 2005 के एक मुकदमे में 17 साल से वॉरंटी होने के बाद भी राजन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी जॉइन करने लखनऊ आया था। शाही पर हुए हमलों के बाद राजन फरारी काटने बिहार चला गया। वहां रिश्ते में उसके मामा लगने वाले गोविंदगंज के विधायक देवेंद्र दुबे के साथ रहा।
बिहार-नेपाल बॉर्डर पर रक्सौल में गिरफ्तार किया गया बिहार का बाहुबली राजन तिवारी यूपी में कभी भाजपा से ही राजनीति शुरू करना चाहता था। उसने कोशिश भी पर सफल नहीं हो सका। कहा जा रहा है कि अब यूपी के टॉप 60 माफिया की लिस्ट में शामिल राजन की गिरफ्तारी की पटकथा यूपी की भाजपा सरकार ने ही लिखी। योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही उसे माफिया घोषित किया गया। एडीजी जोन गोरखपुर अखिल कुमार ने राजन का आपराधिक इतिहास निकलवाया। पता चला कि वह आठ मर्डर, अपहरण, अवैध वसूली समेत 40 से ज्यादा मुकदमों में आरोपित है। 2005 से एक मुकदमे में उसके खिलाफ वॉरंट है। इसी मुकदमे में स्टैंडिंग वॉरंट तामील करवाकर उसकी गिरफ्तारी की गई। अब राजन की गोरखपुर स्थित संपत्तियों का ब्योरा जुटाया जा रहा है।
वॉरंटी होने के बावजूद आया था बीजेपी जॉइन करने
माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ गैंगस्टर ऐक्ट के साल 2005 के एक मुकदमे में 17 साल से वॉरंटी होने के बाद भी राजन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी जॉइन करने लखनऊ आया था। कहा जाता है कि बिहार में रह रहे बीजेपी से जुड़े एक बड़े नेता (जिनका यूपी की राजनीति में खासा दखल था) के जरिए उसकी जॉइनिंग की तैयारी की गई थी। पिछली सरकार में मंत्री रहे एक मौजूदा विधायक ने राजन की जॉइनिंग करवाई थी, लेकिन बाद में पार्टी के दो कद्दावर नेताओं में ठन गई और राजन को पार्टी से बाहर कर दिया गया।
श्रीप्रकाश शुक्ला का साथी था
राजन अपने दो भाइयों के साथ गोरखपुर में रहता था और वहीं पढ़ाई की। गोरखपुर विवि के छात्रसंघ चुनाव के दौरान अध्यक्ष प्रत्याशी के समर्थन में राजन ने जमकर बवाल किया था। तब उसका नाम पहली बार गोरखपुर में चर्चा में आया था, लेकिन अपराध की दुनिया में पहचान 24 अक्टूबर, 1996 में गोरखपुर कैंट से विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही पर हुए हमले से बनी। इस मुकदमे में राजन माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ नामजद हुआ। जब लखनऊ में शाही की हत्या हुई तो उसमें भी राजन, श्रीप्रकाश के साथ नामजद हुआ। राजन पर उस दौरान ताबड़तोड़ कई मामले दर्ज हुए।
फरारी काटने बिहार गया, बन गया विधायक
शाही पर हुए हमलों के बाद राजन फरारी काटने बिहार चला गया। वहां रिश्ते में उसके मामा लगने वाले गोविंदगंज के विधायक देवेंद्र दुबे के साथ रहा। इस दौरान देवेन्द्र की हत्या हो गई। इस हत्याकांड में बिहार के तत्कालीन मंत्री बृज बिहारी प्रसाद का नाम आया। बाद में प्रसाद की भी हत्या हो गई। इस हत्याकांड में भी श्रीप्रकाश और राजन तिवारी का नाम प्रमुखता से आया। यह माना गया कि राजन ने अपने मामा की हत्या का बदला लिया। इस हत्याकांड में गिरफ्तारी के बाद बेउर जेल में रहते हुए राजन ने गोविंदगंज से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 2014 में राजन इस हत्याकांड से बरी हो गया। बाद में कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक अजीत सरकार की हत्या में भी राजन का नाम बिहार के बाहुबली सांसद पप्पू यादव के साथ आया। इस मामले में दोनों बरी हो गए।
जेल पहुंचते ही बताया बीमार, नहीं मिली छूट
पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद राजन को गैंगस्टर कोर्ट में पेश किया, जिसके बाद उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। जेल पहुंचते ही राजन ने खुद को बीमार बताकर अस्पताल में भर्ती करवाने का दबाव बनाया पर जेल प्रशासन ने उसे बैरक में भेज दिया। अब उसे बिहार की रक्सौल जेल से यूपी के फतेहपुर जेल में भेजने की तैयारी चल रही है।