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Tuesday, September 24, 2024
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बाराबंकी: अतीत के पन्ने खुले, दहशत की वजह से नाती को घर में कैद किया; बेटे हुए लापता, बहुएं घर छोड़ गईं

एक बिस्तर पर पड़ी 20 साल के लड़के की लाश और उस पर रेंगते अनगिनत कीड़े। पास में लगा दूसरा बिस्तर, जमीन पर रखी तेल की कटोरी, पाउडर और कुछ दवाइयां। कुछ दूर खड़ी बुजुर्ग महिला। जिसे सड़ रही लाश से उठती बदबू से कोई परहेज नहीं। वह करीब 10 दिनों से इसी लाश के साथ रह रही थी। ये लाश किसी और की नहीं, महिला के नाती की ही थी।

बाराबंकी: अतीत के पन्ने खुले, दहशत की वजह से नाती को घर में कैद किया; बेटे हुए लापता, बहुएं घर छोड़ गईं

बाराबंकी में 26 जून यानी सोमवार को युवक की सड़ी-गली लाश एक घर से बरामद की गई। लाश के साथ रह रही मृतक की नानी पुलिस के सवालों का जवाब नहीं दे सकी। युवक की मौत कैसे हुई? यह सवाल सबसे बड़ा था। वहीं इस पूरे मामले में नानी की कहानी चौंकाने वाली है।

सबसे पहले एक नजर पूरे मामले पर
हजाराबाग मोहारीपुरवा मोहल्ले के लोग पिछले 5-6 दिन से बदबू से परेशान थे। शक हुआ, तो उन्होंने रविवार को पुलिस को सूचना दी। CO बीनू सिंह फोर्स के साथ मौके पर पहुंचीं। पूछताछ पर पता चला कि होमगार्ड रह चुकीं मिथिलेश मिश्रा (65) के घर से 5-6 दिनों से कोई बाहर नहीं आया है। घर का गेट भी बंद है। पड़ोसियों ने एक-दो बार दरवाजा खटखटाया, मगर खोला नहीं।

पुलिसकर्मियों ने भी मिथिलेश मिश्रा का दरवाजा खटखटाया। लेकिन, कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। इसके बाद पुलिसकर्मी मकान में छत के रास्ते दाखिल हुए। अंदर जाकर देखा, तो कमरे में मिथिलेश मिश्रा अपने नाती प्रियांशु वाजपेयी (20) के शव के पास बैठी थीं। बदबू इतनी ज्यादा थी कि पुलिस वालों को उल्टी होने लगी। वहां एक मिनट भी खड़े रहना मुश्किल हो रहा था।

पूरी तरह सड़ चुकी थी प्रियांशु की डेड बॉडी
CO के मुताबिक, शव पूरी तरह सड़ चुका था। डेड बॉडी 10 दिन पुरानी लग रही है। युवक की मौत का कारण जानने के लिए शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया गया। 

घर वीरान दिख रहा था। कई साल से इस घर की पुताई तक नहीं हुई थी। इस घर के अंदर जल रही लाइटें भी मंद रोशनी दे रही थीं। घर में मौजूद नानी से बात करनी चाही, तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। 

पड़ोसी का कहना है की मिथिलेश ने बसा ली थी अलग दुनिया
पड़ोसियों ने बताया, ''करीब 10 साल से मिथिलेश अपने नाती प्रियांशु के साथ यहां रह रही थी। प्रियांशु बिन मां-बाप का बच्चा था। मिथिलेश के बेटी और दामाद की मौत एक एक्सीडेंट में हो गई थी। तब से वही प्रियांशु को पाल-पोस रही थी। उस समय प्रियांशु की उम्र 5 साल की होगी। दोनों यहां रहते जरूर थे, लेकिन वे किसी से ज्यादा बोलते नहीं थे। मिथिलेश ने अलग दुनिया बसा ली थी, जिसमें सिर्फ वह और उसका नाती था।''

कभी स्कूल नहीं गया प्रियांशु...उसे अकेले नहीं छोड़ती थी मिथिलेश
बकौल पड़ोसी हमें यह भी पता चला था कि प्रियांशु कभी स्कूल नहीं गया। मिथिलेश जब भी घर से बाहर निकलती, घर का गेट या तो बंद करके जाती या प्रियांशु का हाथ पकड़कर साथ ले जाती थी। वह उसे जीते-जी अपने साये से दूर नहीं करन चाहती थी। पड़ोसी डीएन विश्वकर्मा ने कहा, "प्रियांशु भी ज्यादा किसी से बात नहीं करता था। मिथिलेश खुद होमगार्ड थीं। वह पहले लखनऊ में किराए के मकान में रहती थीं। रिटायर होने के बाद नाती को लेकर करीब 5 साल से यहां रह रही थीं। पहले उनकी हालत ठीक थी।"

अब जाने उस जख्म के बारे में जिसने मिथिलेश को ऐसा बनाया 
मिथिलेश ने की थी दो शादियां
मौके पर पहुंची मिथिलेश की बेटी ममता ने पुलिस के सामने अतीत के पन्ने खोले। उसने बताया, ''मम्मी को मिथिलेश के अलावा रानी भी कहा जाता है। उनकी दो शादियां हुई थीं। पहली शादी महेंद्र मोहन अग्निहोत्री से हुई थी। उनसे चार संतानें हुईं। दो बेटियां ममता और रजनी और दो बेटे दीपू और अरुण।''

रजनी ने बताया, ''सभी संतानों की शादियां हो चुकी थी। ममता और उसके पति राजीव की संतान प्रियांशु था। दोनों की एक्सीडेंट में हुई मौत के बाद मम्मी उसे अपने साथ रखने लगी थी। पापा के निधन के बाद मम्मी ने दूसरा विवाह संत नारायण वर्मा से किया। वह RPF में थे। उनसे और कोई संतान नहीं हुई। कुछ दिन बाद उनका भी निधन हो गया। उनकी पेंशन से मम्मी अपना खर्च चला रही थीं।''

दोनों बेटे हो गए थे लापता... मिथिलेश पड़ गईं अकेले
बताया गया कि दोनों बेटे दीपू और अरुण साथ ही रहते थे। एक दिन दीपू बरेली गया और वहां से लापता हो गया। दूसरा बेटा अरुण बाराबंकी से लापता हो गया। इसके बाद उनकी पत्नियां अपने मायके चली गईं। फिर वे कभी नहीं लौटीं। इसके बाद मिथिलेश अकेले पड़ गई। इसलिए वह बाराबंकी में प्रियांशु के साथ रहने लगीं।

पहले दोनों पतियों की मौत, फिर दोनों बेटों का लापता हो जाना, उससे पहले दामाद और बेटी की मौत ने मिथिलेश को गहरा आघात पहुंचाया। प्रियांशु को भी कहीं कुछ हो न जाए, इसी डर के चलते मिथिलेश ने उसे कभी खुद से दूर नहीं होने दिया।

सोमवार देर रात कराया गया अंतिम संस्कार
पड़ोसियों ने बताया कि जब पुलिस प्रियांशु के शव को ले जाने लगी और उन्होंने मिथिलेश से बताया कि वह मर चुका है, तो मिथिलेश ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया। वह बार-बार कह प्रियांशु के लौट आने की बात कह रही थी। उन्होंने घर को छोड़कर जाने से भी मना कर दिया। उसके रिएक्शन ऐसे थे कि मानो कुछ हुआ ही नहीं।

पोस्टमॉर्टम के बाद प्रियांशु की मौसी ने शव को लेने से मना कर दिया। वहीं मिथिलेश की स्थिति को देखते हुए पुलिस ने सोमवार की देर शाम शव का अंतिम संस्कार करा दिया। प्रियांशु के मौत का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं हो सका है।

बीमार था प्रियांशु, ऐसा मिथिलेश ने पड़ोसी को बताया था
मिथिलेश के पड़ोसी डीएन विश्वकर्मा ने बताया," करीब 9-10 दिन पहले वह बाहर निकली थी तो अकेली थी। मेरी पत्नी ने उनसे पूछा था कि कहां जा रही हो? तो उन्होंने कहा था कि नाती बीमार है। उसे अस्पताल लेकर जाना है, इसलिए रिक्शा लेने जा रही हूं। लेकिन रिक्शे वाले ने आने से मना कर दिया, तो मिथिलेश लौट आई। इसके बाद अपना दरवाजा बंद कर लिया।''

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