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Wednesday, September 25, 2024
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Diwali 2022: वैधृति येाग में लक्ष्‍मी पूजन, सूर्य ग्रहण के चलते बदलेगा भाई दूज व गोवर्धन पूजा का समय

इस बार दीपावली 24 अक्‍टूबर को मनायी जाएगी। हालांकि सूर्य ग्रहण लगने के कारण भाई दूज और गोवर्धनपूजा में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। दीवाली का पूजन प्रदोष काल काल में करना बेहद शुभ माना जाता है।

Diwali 2022: वैधृति येाग में लक्ष्‍मी पूजन, सूर्य ग्रहण के चलते बदलेगा भाई दूज व गोवर्धन पूजा का समय

प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को प्रकाश का पर्व दीवाली मनाया जाता है। इस दिन प्रभु श्रीराम लंकापति रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे उनके 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या वापस आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाकर खुशी मनायी। इस बार दीवाली पर्व को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, सूर्यग्रहण लगने के कारण भाई दूज और गोवर्धनपूजा में परिवर्तन देखने को मिल रहा है।

प्रदोष काल में पूजन बेहद शुभ
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने दीपावली तिथि की जानकारी देते हुए बताया कि विपुलता, माधुर्य, श्री एवं सौन्दर्य की अधिष्ठात्री महादेवी लक्ष्मी की पूजा तथा ज्योति का पावन पर्व है। दीपावली काम-क्रोध-लोभ-मोह के रूप में जो अंधकार अन्तः में स्थित है, उसे दूर कर अन्तर्मन को आलोकित करने की क्षमता मां लक्ष्मी ही की कृपा से भक्त को प्राप्त होती है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या सोमवार, 24 अक्टूबर को सायं 05:27 मिनट से आरंभ होकर 25 अक्टूबर मंगलवार को सायं 04:16 मिनट तक विद्यमान रहेगी। यद्यपि अमावस्या की उदयातिथि 25 अक्टूबर को है, परंतु अमावस्या तिथि का प्रदोष काल 24 अक्टूबर को ही है। दीवाली का पूजन प्रदोष काल काल में करना बेहद शुभ माना जाता है।

दीपावली 24 को ही मनाई जाएगी
ब्रह्मपुराण में प्रदोष काल से लेकर निशीथकाल तक रहने वाली अमावस्या को श्रेष्ठ कहा गया है। अतः दीपावली पर्व 24 अक्टूबर सोमवार को ही निर्विवाद रूप से सारे देश में मनाया जाएगा। वहीं नरक चतुर्दशी अर्थात छोटी दीवाली एवं धनतेरस 23 अक्टूबर रविवार को 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण होने की वजह से गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर एवं भैया दूज 27 को मनायी जायेगी।

व्‍यापारी व उद्योग जगत को मिलेगी नई ऊर्जा
महामंडलेश्वर स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी महाराज ने दीवाली के शुभ मुहूर्त की पूजा के लाभ एवं व्यवसाय से संबंधित जानकारी देते हुए बताया कि हस्त नक्षत्र दोपहर 02:41 मिनट तक होगा। इसके उपरांत दीपावली पूजा में विहित चित्रा नक्षत्र होगा। हस्त चित्रा नक्षत्र में वैधृति योग का संयोग सुखद रहेगा। हस्त नक्षत्र लघु छित्र संज्ञक और चित्रा मृदु मैत्र संज्ञक है। ये दोनों नक्षत्र व्यापारी और उद्योगपति जगत को नई ऊर्जा प्रदान करेंगे। इस दिन प्रातः 08:20 मिनट से 10:38 मिनट तक वृश्चिक तथा 12:40 मिनट तक धनुः लग्न रहेगा। वृश्चिक लग्न पर देवगुरु बृहस्पति की नवम दृष्टि और धनु: को ग्रह मंगल संपूर्ण दृष्टि से देखता है। वृश्चिक लग्न में ऑटो-मोबाइल वर्कशॉप, तांबा, पीतल, कांसा एवं स्टील का व्यवसाय करने वाले व्यक्ति महालक्ष्मी पूजन करें तो विशेष लाभ होगा।

पूजन के लिए सही समय
कुछ व्यापारी दीपावली पूजन के लिए धनु: लग्न को श्रेष्ठ मानते हैं, क्योंकि धनुः लग्न का स्वामी शुभ ग्रह है। पूर्वाह्न 12:43 मिनट से 02:26 मिनट तक मकर लग्न रहेगा। मकर लग्न में ही अभिजित मुहूर्त भी है। मकर लग्न में स्वगृही शनि और तृतीय स्वगृही देवगुरु बृहस्पति विराजमान होने से लग्न अत्यन्त बलवती समझी जाएगी। इसमें लाभ का चौघड़िया और भी उत्तम है। अभिजित मुहूर्त और लाभ का चौघड़िया चार्टर्ड एकाउंटेन्टों, वकीलों, प्रॉपर्टी डीलरों को अकूत लाभ देने वाला है। अपराह्न 03:50 मिनट तक कुंभ और 04:58 मिनट तक मीन लग्न रहेगा। मीन लग्न का स्वामी देवगुरु बृहस्पति अपने घर में बैठकर तत्काल प्रभाव से उद्योग-धन्धों में दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति कराएगा। इस लग्न में पूजा करने वाले यजमान व कराने वाले द्विजाचार्य भी मालामाल होंगे। मीन लग्न में विशेषकर तेजी मंदी का व्यापार करने वालों, फाइनेंसरों और बैंक वालों को पूजा करनी चाहिए।

दिन एवं रात्रि का संयोग
सायंकाल 04:58 मिनट से 06:50 मिनट तक मेष लग्न रहेगी, इसमें चर का चौघड़िया की उपलब्धि मनोकामना पूर्ति में सहायक रहेगी। स्वामी जी ने बताया कि सांय 5:39 मिनट से रात्रि 8:15 मिनट तक प्रदोषकाल अर्थात दिन एवं रात्रि का संयोग रहेगा जिसमें दिन विष्णुरूप और रात्रि लक्ष्मीरूपा है। प्रदोषकाल में महालक्ष्मी पूजन का सर्वाधिक महत्व होता है। प्रदोषकाल में ही मेष, वृष लग्न और अमृत चर के चौघड़िया भी विराजमान रहेंगे, प्रदोष काल के स्वामी आशुतोष भगवान सदाशिव स्वयं हैं। इसमें चित्रा नक्षत्र से बना मृदु मैत्र संज्ञक योग व्यापारियों व गृहस्थियों के लिए दीपावली, महालक्ष्मी, कुबेर, दवात-कलम, तराजू, बाट, तिजोरी इत्यादि पूजन के लिए अक्षय श्रीप्रद एवं कल्याणकारी सिद्ध होगा। अपनी आस्था व सुविधानुसार किसी शुभ लग्न, शुभ चौघड़िया, महानिशीथकाल और सिंह लग्न में महालक्ष्मी पूजन करना चाहिए। अर्धरात्रि लग्न सिंह 01:27 मिनट से 03:27 मिनट तक तक रहेगी। यह भी व्यापार में विपुल लाभ और लक्ष्मी की स्थिर प्रीति कराने वाली है।

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