दिल्ली शराब नीति केस- आप सांसद संजय सिंह को जमानत :सुप्रीम कोर्ट में ED ने बेल का विरोध नहीं किया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी। मनी लॉन्ड्रिंग केस में संजय सिंह को पिछले साल 4 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। संजय सिंह के वकील ने कहा कि वे केस में अपने रोल से जुड़ा कोई बयान नहीं देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी। मनी लॉन्ड्रिंग केस में संजय सिंह को पिछले साल 4 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। संजय सिंह के वकील ने कहा कि वे केस में अपने रोल से जुड़ा कोई बयान नहीं देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ED से सवाल किया था कि क्या संजय सिंह को और ज्यादा दिन जेल में रखे जाने की जरूरत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि गवाहों के सामने उनके बयान हुए। 6 महीने तक वे जेल में रहे। ED ने अदालत से कहा कि हमें कोई ऐतराज नहीं है। इसके बाद अदालत ने संजय सिंह को जमानत देने का फैसला सुनाया।
दिल्ली शराब घोटाला केस में इसी साल जनवरी में ED ने अपनी चार्जशीट में संजय सिंह का नाम जोड़ा था। मई 2023 में संजय सिंह ने दावा किया कि ED ने उनका नाम गलती से जोड़ दिया है। ED ने इस पर कहा- हमारी चार्जशीट में संजय सिंह का नाम चार जगह लिखा गया है। इनमें से तीन जगह नाम सही लिखा गया है। सिर्फ एक जगह टाइपिंग की गलती हो गई थी।
संजय सिंह पर क्या है आरोप
ED की चार्जशीट में संजय सिंह पर 82 लाख रुपए का चंदा लेने का जिक्र है। इसको लेकर ही 4 अक्टूबर को ED उनके घर पहुंची थी और उनसे 10 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।। दिल्ली शराब नीति केस में ED की दूसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट 2 मई को जारी की गई थी। जिसमें AAP सांसद राघव चड्ढा का भी नाम सामने आया था। हालांकि उन्हें आरोपी नहीं बनाया।
संजय सिंह की मां राधिका सिंह ने क्या कहा
संजय सिंह की मां राधिका सिंह ने कहा- आज सुबह संजय से मिले थे। लेकिन इस बारे में (जमानत) कुछ नहीं बताया। भगवान ने हमारी सुन ली। उस दिन के बारे में मत पूछिए जब हमारा लड़का हमारे सामने गया, हम बहुत रोए हैं। जो ईमानदार रहता है उसकी भगवान कभी ना कभी सुनते हैं।
राधिका संह ने कहा- बिना किसी सबूत के ऐसे ही हमारे लड़के को पकड़ ले गए। वो बीमार है, पेट में तकलीफ है। हमारा बेटा निर्दोष है, ईमानदार है उसे बेल तो मिलनी ही थी। वैसे तो उसे जेल जाना ही नहीं था। लेकिन जबरदस्ती पकड़ कर ले गए थे। संजय जब घर आएंगे तो उसका दिल से स्वागत करेंगे।
शराब नीति घोटाला के बारे में सिलसिलेवार जानिए...
1. नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू हुई
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इस नीति से शराब की दुकानें निजी हाथों में चली जाएंगी। सिसोदिया से जब नई नीति लाने का मकसद पूछा गया तो उन्होंने दो तर्क दिए। पहला- माफिया राज खत्म होगा। दूसरा- सरकारी खजाना बढ़ेगा।
17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति 2021-22 लागू कर दी गई। इससे शराब कारोबार से सरकार से बाहर हो गई और ये बिजनेस निजी हाथों में चला गया। कई बड़े डिस्काउंट देने से शराब की जमकर बिक्री हुई। इससे सरकारी खजाना तो बढ़ा, लेकिन इस नई नीति का विरोध होने लगा।
2. जुलाई 2022 में शराब नीति में घोटाला का आरोप लगा
8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नई शराब नीति में घोटाला होने का आरोप लगाया। उन्होंने इससे जुड़ी एक रिपोर्ट एलजी वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी। इसमें बताया गया कि सिसोदिया ने लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। उधर, LG ने भी कहा है कि उनकी और कैबिनेट की मंजूरी के बिना ही शराब नीति में बदलाव कर दिए।
3. अगस्त 2022 को CBI और ED ने केस दर्ज किया
एलजी सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर CBI जांच की मांग की। 17 अगस्त 2022 को जांच एजेंसी ने केस दर्ज किया। इसमें मनीष सिसोदिया, तीन रिटायर्ड सरकारी अफसर, 9 बिजनेसमैन और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया। सभी पर भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं के तहत केस दर्ज किया।
19 अगस्त को सिसोदिया के घर और दफ्तर समेत सात राज्यों के 31 ठिकानों पर छापेमारी की। इस पर सिसोदिया ने दावा किया कि सीबीआई को कुछ नहीं मिला। इधर, 22 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने CBI से मामले की जानकारी लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया।
4. जुलाई 2022 सरकार ने नई नीति को रद्द किया
विवाद बढ़ता देख 28 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को रद्द कर दिया। फिर से पुरानी नीति लागू करने का फैसला लिया। 31 जुलाई को सरकार ने कैबिनेट नोट में बताया कि शराब की ज्यादा बिक्री के बाद भी सरकार की कमाई कम हुई, क्योंकि खुदरा और थोक कारोबारी शराब के धंधे से हट रहे थे।
5. फरवरी 2023 को CBI ने सिसोदिया को गिरफ्तार किया
सिसोदिया के पास एक्साइज डिपार्टमेंट था, इसलिए उन्हें कथित तौर पर इस घोटाले का मुख्य आरोपी बनाया गया। कई बार पूछताछ के बाद जांच एजेंसी ने 26 फरवरी को उन्हें गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल वे जेल में हैं। CBI ने सिसोदिया पर आरोप लगाया कि एक्साइज मिनिस्टर होने के नाते उन्होंने मनमाने और एकतरफा फैसले लिए, जिससे खजाने को भारी नुकसान पहुंचा और शराब कारोबारियों को फायदा हुआ।