रूस ने पाकिस्तान को झटका देते हुए भारत को एक विश्वसनीय सहयोगी करार दिया है। रूस ने बुधवार को कहा कि भारत के साथ उसकी कोई मत भिन्नता या गलतफहमी नहीं है। पाकिस्तान के साथ स्वतंत्र संबंधों के आधार पर हमारा सीमित सहयोग है
रूस भारत के साथ अपने पारंपरिक रिश्ते को लेकर सजग है। ऊर्जा, सुरक्षा, उद्योग जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय रिश्तों को ज्यादा प्रगाढ़ बनाने की कोशिश भी हो रही है लेकिन जहां तक पाकिस्तान का सवाल है तो रूस उसके साथ भी अपने रिश्तों को एक दिशा देना चाहता है। रूस का यह भी कहना है कि भारत के साथ रिश्ते काफी व्यापक हैं जबकि पाकिस्तान के साथ रिश्तों का दायरा बहुत सीमित है। इसके साथ ही रूस को इस बात की भी चिंता है कि भारत उस समूह का सक्रिय सदस्य है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नई रणनीति लागू कर रहा है। भारत में रूस के राजदूत निकोलाय कुदाशेव ने बुधवार को भारत-रूस के रिश्तों के हालात पर प्रेस कांफ्रेंस में अपनी भावनाएं प्रकट कीं।
भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत
कुदाशेव ने कहा कि भारत के साथ उसकी कोई मत भिन्नता या गलतफहमी नहीं है। भारत रूस का विश्वसनीय सहयोगी है। भारत और रूस के बीच संबंध बेहद मजबूत हैं। पाकिस्तान के साथ स्वतंत्र संबंधों के आधार पर हमारा सीमित सहयोग है।
अमेरिकी प्रतिबंध गैरकानूनी
रूस से एस-400 केे सौदे पर अमेरिका की सख्ती को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'भारत और रूस दोनों किसी तीसरे देश की तरफ से लगाये जाने वाले प्रतिबंधों को गैरकानूनी मानते हैं। कुछ देश इस तरह के तरीके सिर्फ दबाव बनाने और अनुचित प्रतिस्पद्र्धा को बढ़ावा देने के लिए करते हैं। यह एक तरह का ब्लैकमेल भी है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हाल ही में हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई है।' कुदाशेव पिछले हफ्ते ही एस. जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच हुई बातचीत का हवाला दे रहे थे।
एस-400 की खरीद बेहद जरूरी
सनद रहे कि लावरोव की भारत यात्रा से दो हफ्ते पहले अमेरिका के रक्षा मंत्री ऑस्टिन नई दिल्ली आये थे। रूस से एस-400 खरीदने के भारत के फैसले को लेकर उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि मेरी भारतीय पक्ष से इस बारे में बात नहीं हुई है लेकिन हम अपने सभी सहयोगियों से आग्रह करेंगे कि वो रूस से कोई हथियार नहीं खरीदें। भारत अपने रणनीतिक हितों के लिए पांच अरब डॉलर में की जा रही एस-400 की पांच यूनिटों की खरीद को काफी महत्वपूर्ण मानता है लेकिन हाल के दिनों में अमेरिकी दबाव की वजह से असमंजस बना हुआ है।
भारत के साथ रिश्ते व्यापक
रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने नई दिल्ली के साथ ही इस्लामाबाद की भी यात्रा की थी। रूस के उप राजदूत रोमन बाबुशकिन से जब पूछा गया कि क्या इसे भारत व रूस के रिश्तों में क्षरण के तौर पर देखा जाए तो उनका जवाब था, बिल्कुल नहीं। भारत के साथ रिश्ते काफी पुराने व व्यापक हैं जबकि पाकिस्तान के साथ सीमित दायरे वाला रिश्ता है। इनका एक दूसरे से कोई ताल्लुक नहीं है।
भारत पाक के बीच सीजफायर का समर्थन
बाबुशकिन ने कहा कि पाकिस्तान के साथ रूस शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य है। आतंकवाद के खिलाफ हमारा एक समान एजेंडा है, हम पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई प्रशिक्षण व हथियारों की मदद कर रहे हैं। रूस शिमला समझौते व लाहौर घोषणापत्र का समर्थन करता है जो भारत व पाकिस्तान को आपसी मतभेद को विमर्श से सुलझाने का रास्ता देता है। हाल ही में भारत व पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुआ है जिसका भी हम समर्थन करते हैं।
मोदी पुतिन के बीच शिखर वार्ता की तैयारी शुरू
उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली शिखर वार्ता का भी जिक्र किया जिसकी तैयारी अभी से शुरू हो गई है। इस बैठक में सहयोग के भावी रोडमैप पर सहमति बनाने की कोशिश होगी। उन्होंने भारत के स्पुतनिक वैक्सीन को मंजूरी देने की सराहना करते हुए आपात उपयोग से दोनों देशों की विशेष साझेदारी के नए आयाम खुलेंगे। इसके अलावा, रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बकुशकिन ने कहा कि रूस पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत और चीन के तनाव कम करने के लिए अपनी सेनाओं को पीछे करने के फैसले से उत्साहित है।
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