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रानी मुखर्जी बोलीं- यह मेरा अपना तरीका था पापा को साथ रखने का

'हिचकी' के तीन साल:फिल्म में रानी मुखर्जी ने इस्तेमाल की थी पिता की वॉकिंग स्टिक, बोलीं- यह मेरा अपना तरीका था पापा को साथ रखने का

रानी मुखर्जी  बोलीं- यह मेरा अपना तरीका था पापा को साथ रखने का

फिल्म 'हिचकी' की तीसरी एनिवर्सरी पर रानी ने खुलासा किया कि अपने पिता की मौत का दुख सहन करने के लिए उन्होंने इस फिल्म के एक नाजुक सीन में किस तरह से उनकी वॉकिंग स्टिक का इस्तेमाल किया था। साथ ही फिल्म के डायरेक्टर सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा ने बताया कि यह फिल्म ब्रैड कोहेन पर आधारित है।

मेरे माता-पिता देखते थे मेरी सारी फिल्में: रानी मुखर्जी

रानी बताती हैं, "मेरे पिता जी का निधन लगभग उसी समय हुआ था जब मैं 'हिचकी' की शूटिंग कर रही थी। मेरे माता-पिता मेरे करियर का अभिन्न एवं अटूट हिस्सा रहे हैं और मेरी फिल्में सबसे पहले वही देखा करते थे। यह ऐसी पहली फिल्म थी, जिसमें मेरा परफॉर्मेंस देखने के लिए मेरे पिता इस दुनिया में मौजूद नहीं थे।"

फिल्म में किया था पिता की वॉकिंग स्टिक का इस्तेमाल

रानी आगे कहती हैं, "तो आखिरी सीन में, जहां मैं सेंट नॉटकर्स स्कूल की प्रिंसिपल के तौर पर रिटायर हो रही हूं, मैंने अपने पिता जी की वॉकिंग स्टिक का इस्तेमाल किया था। यह मेरे लिए बेहद खास लम्हा था, लेकिन यह एक उदास और दुखी करने वाला अहसास भी था। फिल्म में पिता जी को अपने साथ रखने का यह मेरा अपना तरीका था। इसलिए वह सीन मेरी यादों में हमेशा अमर रहेगा।"

भारत में टॉरेट सिंड्रोम के बारे में अवेयरनेस बढ़ा कर मैं बहुत खुश हूं: सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा

रानी मुखर्जी की इंटरनेशनल लेवल पर अप्रिशिएटेड फिल्म में उनको दृढ़ निश्चय वाली एक ऐसी स्कूल टीचर के रूप में दिखाया गया था, जो खुद के नर्वस सिस्टम डिसॉर्डर- टॉरेट सिंड्रोम से जूझते हुए आर्थिक तौर पर पिछड़े तबके के मासूम छात्रों की जिंदगी बदल देती हैं। इस फिल्म के रिलीज होने की तीसरी एनिवर्सरी के मौके पर डायरेक्टर सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा का कहना है कि इस डिसेबिलिटी को लेकर अवेयरनेस पैदा करने की दिशा में 'हिचकी' ने जो असर डाला था, वह उनके लिए गर्व का विषय है।

फिल्म का असर शिक्षकों और छात्रों पर भी देखा गया

सिद्धार्थ ने कहा, "क्या मैंने टॉरेट सिंड्रोम के बारे में अवेयरनेस पैदा की थी? इसका जवाब है कि बिल्कुल पैदा की थी। कई लोग खुल कर सामने आए, अनगिनत लोगों ने मुझे इसके संबंध में पत्र लिखा, क्योंकि उनकी नजर में यह एक उलझन और शर्मिंदगी का विषय था। फिल्म के इतने गहरे असर को देख कर मैं बेहद खुश था। इसका असर शिक्षकों पर और छात्रों पर भी देखा गया। इनके साथ-साथ फिल्म ने हर उस व्यक्ति की जिंदगी को प्रभावित किया जो किसी भी किस्म की डिसेबिलिटी से पीड़ित था। यह भी एक हकीकत है कि हम सभी किसी न किसी विकृति से ग्रस्त होते हैं।"

फिल्म ब्रेड कोहेन पर आधारित है

सिद्धार्थ ने आगे बताया, "रानी ने रिसर्च की, उन लोगों और बच्चों से मिलीं जो टॉरेट से पीड़ित थे। कुछ बच्चे सामने ही नहीं आना चाहते थे, कुछ लोग उनके सामने अपनी घबराहट और शर्मिंदगी जाहिर करने में हिचकिचा रहे थे। यह फिल्म ब्रैड कोहेन पर आधारित है। मुझे लगता है कि ब्रेड कोहेन के साथ काम करने के प्रति रानी का समर्पण, ब्रैड का उनकी मदद करने का तरीका और रानी द्वारा इस समस्या को स्क्रीन करना और समझना गजब का था। वह इतनी इंटेलीजेंट अभिनेत्री हैं कि आपको उन्हें कोई भी चीज एक या दो बार से ज्यादा बताने की जरूरत ही नहीं पड़ती।"

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