कैबिनेट बैठक में लिया गया बड़ा फैसला... यूपी के शहरों में विशेष सुविधाओं के लिए अब देना होगा शुल्क
बुधवार को कैबिनेट बैठक में कई एहम फैसले लिए गए, जिसमें विशेष सुविधाओं पर शुल्क देय प्रमुख था। इसके अतरिक्त बैठक में अन्य कई फैसलों पर निर्णय लिया गया।
शहरों में मेट्रो, रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आरआरटीएस) और स्टेडियम जैसी विशिष्ट सुविधाओं के लिए नए आवंटियों से 'विशेष सुख सुविधा शुल्क' लिया जाएगा। इसके अलावा नए मास्टर प्लान में स्वत: अपग्रेड हुए भूउपयोग के एवज में संबंधित भूखंड मालिकों से 'नगरीय उपयोग प्रभार' भी वसूला जाएगा। इसके लिए बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास अधिनियम-1973(संशोधन) अध्यादेश-2023 को मंजूरी दे दी गई।
उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 में मौजूदा समय की जरूरतों के मद्देनजर बदलाव किया गया है। इस समय प्रदेश में 59 शहरों का मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। अभी महायोजना में आने वाले अवैध निर्माणों का भी भूउपयोग बिना किसी शुल्क के अपग्रेड हो जाता है। इससे प्राधिकरणों को आर्थिक नुकसान होता है। इसे ध्यान में रखते हुए नगरीय भूउपयोग प्रभार का प्रावधान किया गया है। अब तक विकास शुल्क की परिभाषा में सड़क, सीवर लाइन, विद्युत आपूर्ति और जलापूर्ति जैसी सुविधाएं ही शामिल थीं। अब इसमें मेट्रो, आरआरटीएस, स्टेडियम, रिवर फ्रंट सहित मेगा परियोजनाएं भी शामिल की गई हैं। इसे संशोधित अधिनियम में 'विशेष सुख सुविधा' के तौर पर परिभाषित किया गया है। इस समय 59 शहरों का मास्टर प्लान तैयार हो रहा है।
छोटे उद्यमियों को 5 लाख का दुर्घटना बीमा
कैबिनेट ने 'मुख्यमंत्री सूक्ष्म उद्यमी दुर्घटना बीमा योजना' को भी मंजूरी दे दी। इसके तहत सरकार प्रदेश के एमएसएमई उद्यमियों को 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर देगी। क्लेम का निस्तारण एक माह में होगा। प्रदेश में सिर्फ 15 फीसदी एमएसएमई इकाइयां ही उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि बीमा योजना के लिए 18 वर्ष से 60 वर्ष के सूक्ष्म श्रेणी के उद्यमी आवेदन कर सकते हैं। योजना का लाभ उन उद्यमियों को ही मिलेगा, जो जीएसटी विभाग द्वारा संचालित व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना का लाभ पाने के पात्र नहीं हैं।
छोटे शहरों में 12.50 एकड़ पर टाउनशिप
कैबिनेट ने नई टाउनशिप पॉलिसी को भी मंजूरी दे दी। इसके तहत दो लाख से कम आबादी वाले शहरों में 12.50 एकड़ में टाउनशिप विकसित की जा सकेंगी। पहले ये सीमा 25 एकड़ थी। बड़े शहरों में टाउनशिप के लिए क्षेत्रफल की सीमा 25 एकड़ ही रखी गई है। अब तक लागू 500 एकड़ जमीन की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। टाउनशिप नीति में हॉरिजेंटल विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। ग्रीन बेल्ट, पार्क और अन्य सुविधाओं सहित सड़कों की चौड़ाई और अन्य नागरिक सुविधाएं विकसित करने सहित कई मानक भी इस नीति में तय किए गए हैं।