'साहब! अब समय मिला है?' देर से आए डॉक्टर से बस इतना कहा, जमकर हुई पिटाई... BRD कॉलेज का मामला
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों की गुंडई कम होने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामले में बीती रात डॉक्टरों ने मरीज सहित तीमारदारों की जमकर पिटाई की। डॉक्टरों ने इस दौरान मरीज के यूरिनल पाइप को भी खींच कर बाहर फेंक दिया सूचना पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह तीमारदारों और मरीज की जान बचाई।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर इतने बेखौफ हो गए हैं कि उन्हें अब किसी का कोई खौफ नहीं है। ताजा मामला महाराजगंज के मरीज और उनके तीमारदारों को मेडिकल कॉलेज परिसर में दौड़ा-दौड़ा कर पीटे जाने का है, जहां मारपीट के दौरान मरीज का यूरिनल पाइप तक निकालकर फेंक दिया गया। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने इलाज से ज्यादा कहीं मारपीट में महारत हासिल कर रखी है क्योंकि इनके इलाज के चर्चों से ज्यादा इनके मारपीट के कारनामे हमेशा सामने आते रहते हैं।
पिछले कई सालों से जूनियर डॉक्टरों के तीमारदार और मरीजों के साथ मारपीट के कई मामले सामने आते रहे हैं। विगत कुछ महीने पहले ही एक दिव्यांग दंपती के साथ भी इन डॉक्टरों ने जमकर मारपीट की थी। मामला बहुत चर्चा में भी था लेकिन इन डॉक्टरों के खिलाफ उस वक्त भी कुछ नहीं हुआ। डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई न होना उनके मनोबल को लगातार बढ़ाता जा रहा है, जिसकी परिणति एक बार फिर देखने को मिली, जब महाराजगंज जिले की एक 55 वर्षीय महिला को उसके परिजनों ने भर्ती कराया।
घंटों बीत जाने के बाद भी जब कोई डॉक्टर उन्हें अटेंड नहीं करने आया तो परिवार के सब्र का बांध टूट गया। 4 घंटे बाद जूनियर डॉक्टर के पहुंचने पर परिजन ने पूछा कि साहब अब समय मिला है? बस इतनी सी बात पर डॉक्टर गाली-गलौज पर उतर आया। उसके कुछ अन्य साथियों ने मिलकर तीमारदारों को कमरे में बंद कर जमकर पिटाई की। इस दौरान उन्होंने मरीज को भी नहीं बख्शा और उसका यूरिनल पाइप निकालकर बाहर फेंक दिया। मरीज के साथ आए कुछ और लोग जो बाहर बैठे थे, उन्होंने शोरगुल सुना और अंदर आए तो उन्हें भी दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने बीच-बचाव कर तीमारदारों और मरीज को वहां से निकाला।
क्या कहना है परिजनों का
मरीज के भतीजे कृष्णा का कहना है कि मैंने अपनी बहन के साथ बीच बचाव की कोशिश की तो मुझे और मेरी बहन को भी लात-घूंसे से बुरी तरह पीटा गया। मैंने अपनी बहन के साथ किसी तरह भाग कर अपनी जान बचाई। सूचना पर यदि पुलिस नहीं पहुंची होती तो डॉक्टरों ने ना जाने हमारे अन्य परिजनों के साथ क्या किया होता?
मामले में प्राचार्य का बयान बेहद निराशाजनक है
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य गणेश कुमार का कहना है कि जूनियर डॉक्टरों को भी चोटें आई हैं। पुलिस को तहरीर दी गई है। मरीज के परिजनों की तरफ से शिकायत मिलने के बाद जांच बैठाई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एक जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों का ऐसा बयान कहीं न कहीं डॉक्टरों की गलती के बावजूद उस पर पर्दा डालने और उल्टे पीड़ितों को ही दोषी ठहराने जैसा है।