जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई अहम फैसले, जीएसटी के दायरे से बाहर ही रहेंगे पेट्रोलियम उत्पाद
वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण की अध्यक्षता में शुक्रवार को लखनऊ में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं। पेट्रोल और डीजल पर काउंसिल में चर्चा हुई लेकिन जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला नहीं किया गया।
लखनऊ: नरेन्द्र मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण की अध्यक्षता में शुक्रवार को लखनऊ में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं। बैठक खत्म होने के बाद निर्मला सीतारमण ने बैठक में फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना की जीवन रक्षक दवाओं पर अब 31 दिसंबर तक जीएसटी की छूट रहेगी। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर काउंसिल में चर्चा हुई लेकिन जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला नहीं किया गया है। इसलिए अभी पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी से बाहर ही रहेंगे।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने बताया कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में फैसला लिया गया कि कैंसर की दवाओं पर भी जीएसटी घटा दिया जाए। अब इन दवाओं पर 12 से घटाकर पांच फीसद जीएसटी लिया जाएगा। इसी प्रकार सभी तरह के पेन पर 18 फीसद जीएसटी होगा। बायो डीजल पर जीएसटी 12 से घटाकर पांच फीसद की गई। वहीं, पौष्टिकता से भरपूर फोर्टिफाइड चावल पर 18 से पांच फीसद जीएसटी किया गया।
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जीएसटी काउंसिल की बैठक में सात राज्यों के उप मुख्यमंत्री शामिल हुए हैं। इनमें अरुणाचल प्रदेश के चौना मेन, बिहार के उप मुख्यमंत्री राज किशोर प्रसाद, दिल्ली के मनीष सिसोदिया, गुजरात के नितिन पटेल, हरियाणा के दुष्यंत चौटाला, मणिपुर के युमनाम जोए कुमार सिंह और त्रिपुरा के जिष्णु देव वर्मा शामिल हैं। इसके अलावा कई राज्यों के वित्त या फिर मुख्यमंत्री की ओर से नामित मंत्री भी शामिल हुए हैं। केन्द्र सरकार ने एक देश -एक दाम के तहत पेट्रोल-डीजल, नेचुरल गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया था। इसी को लेकर बैठक में चर्चा की गई।
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उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में उत्तर प्रदेश की तरफ से अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि इंफोर्समेंट और तकनीकी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाए। समय के साथ कानूनों में आवश्यक परिवर्तन स्वाभाविक है। आम लोगों के जनजीवन को आसान बनाने के लिए नियमों एवं कानूनों में संशोधन व परिवर्तन किया जाना चाहिए। जिससे कि आम आदमी पर बोझ न पड़े। उत्तर प्रदेश ने कोविड-19 के बाद बेहतर प्रदर्शन किया है।
बैठक से पहले ही उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने संकेत दिया था कि वह पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध करेंगे। काउंसिल की बैठक से पहले वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा था कि उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के अंतर्गत लाने के खिलाफ है। उनके साथ में बैठक में शामिल छह अन्य राज्यों के वित्त मंत्री पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में शामिल करने पक्ष में नहीं हैं। इससे तो तय है कि बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाने का प्रस्ताव अगर रखा भी जाता है तो वह खारिज हो सकता है।
लखनऊ के होटल ताज में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) काउंसिल की 45वीं बैठक केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में जैसे ही पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया तो कई राज्य इसके विरोध में खड़े हो गए। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, छत्तीसगढ़, केरल समेत ज्यादातर राज्यों ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर ही रखने को कहा है। ऐसे में तो यह प्रस्ताव खारिज हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के के दायरे में लाया जाता है तो पेट्रोल 28 रुपए और डीजल 25 रुपए तक सस्ता हो जाएगा। इसके विपरीत राज्यों का राजस्व बढ़ाने का बड़ा जरिया भी इसके कर से मिलने वाला धन है।