पूर्वांचल के बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी का 91 साल की उम्र में निधन: जानिए राजनीतिक सफर
पंडित हरिशंकर तिवारी ऐसी शख्सियत थे, जो छह बार विधायक और पांच बार कैबिनेट मंत्री रहे। सूबे में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार आई, उसने अपनी कैबिनेट में उन्हें जगह दी। पूर्व मंत्री के परिवार में पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल शंकर तिवारी और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी के अलावा एक बेटी हैं।
पूर्वांचल के कद्दावर नेता पंडित हरिशंकर तिवारी के निधन के बाद तिवारी हाता पर उनके समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा। समर्थक अपने प्रिय नेता की एक झलक और अंतिम दर्शन के लिए व्याकुल दिखे। हरिशंकर तिवारी निधन की सूचना मिलते ही भारी संख्या में लोग उनके आवास पर पहुंचने लगे। मंगलवार की शाम 7 बजे पूर्वांचल के बाहुबली और कद्दावर नेता के निधन की सूचना सबको मिली।
निधन की सूचना पाकर लोग उनके धर्मशाला स्थित तिवारी हाता पर पहुंचना शुरू हो गए। दूर दराज से आए हजारों की संख्या में समर्थकों की भीड़ के कारण सड़कों पर जाम लग गया। जाम को हटाने के लिए प्रशासन को उतरना पड़ा। लोग सिर्फ अपने नेता के अंतिम दर्शन करना चाहते थे। समर्थकों के कई राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं का भी तिवारी हाता पहुंचने का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। इसमें बीजेपी, सपा, कांग्रेस, बसपा के कई बड़े नेताओं को यहां देखा गया। इनमें बीजेपी की पूर्व में मेयर सत्या पांडेय, सपा के पूर्व विधायक विजय बहादुर यादव, भानु प्रकाश मिश्रा, सहित अन्य सामाजिक संगठनों के लोग भी पूर्वांचल के कद्दावर नेता को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंच रहे थे।
शेरे पूर्वांचल का निधन
समर्थकों का कहना था कि पंडित हरिशंकर तिवारी सिर्फ एक जाति या दल के नेता नहीं थे, पूर्वांचल की आन बान शान थे। इन्हें हम ब्राह्मण शिरोमणि और शेरे पूर्वांचल के रूप में भी जानते हैं। वह किसी एक पार्टी से बांध कर नहीं रहे, उनकी राजनिति दलगत राजनीति से ऊपर थी। हम अपने नेता और अभिभावक के अंतिम दर्शनों के लिए यहां पहुंचे हैं।
पांच बार कैबिनेट मंत्री रहे हरिशंकर तिवारी
पंडित हरिशंकर तिवारी की राजनीतिक शुरुआत सन 1985 से हुई, जब वह पहली बार चिल्लूपार विधानसभा से विधायक चुने गए। तीन बार कांग्रेस पार्टी से विधायक रहने के बाद उन्होंने अपनी भी एक पार्टी बनाई थी, जिसके तहत वह अकेले विधायक थे। 6 बार विधायक रहे पंडित हरिशंकर तिवारी 5 बार कैबिनेट में मंत्री भी रहे। पंडित हरिशंकर तिवारी की पहचान शुरू से ही एक बाहुबली नेता की रही। इनका विवादों से भी चोली दामन का साथ रहा। कई बार गंभीर और आपराधिक आरोप भी लगे, जिसके तहत कई मुकदमा दर्ज हुए। एक बार हरिशंकर तिवारी ने जेल में रहते हुए भी चुनाव जीता था।
डीडीयू के पूर्व कुलपति ने व्यक्त की शोक संवेदना
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रमेश कुमार मिश्र ने पंडित हरिशंकर तिवारी के निधन पर अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि 'विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के एक सदस्य के रूप में तिवारी जी ने विश्वविद्यालय के विकास में महती योगदान दिया था। ईश्वर उन्हें अपने निकट स्थान दें'।
हिमाचल के राज्यपाल ने जताया शोक
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने पं. हरिशंकर तिवारी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ने कहा कि हरिशंकर तिवारी और मैं कल्याण सिंह की सरकार में एक साथ मंत्री थे। उनके निधन से पूर्वांचल की राजनीति में एक रिक्तता आई है। मैं उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं तथा उनके परिवार को इस दुःख कि घड़ी को सहन करने की भगवान से प्रार्थना करता हूं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने दी श्रद्धांजलि
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि 'पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी जी का निधन, अत्यंत दुखद! ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोक संतप्त परिवार को यह असीम दुख सहने की शक्ति प्रदान करे। भावभीनी श्रद्धांजलि'!
राज्यसभा सदस्य डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल ने जताया शोक
राज्यसभा सदस्य डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल ने ट्वीट कर कहा कि 'पूर्वांचल के एक बड़े स्तंभ पूर्व कैबिनेट मंत्री पं. हरीशंकर तिवारी जी नहीं रहें। अपूर्णीय क्षति , ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिवार को दुःख सहने की शक्ति दें'।
बड़हलगंज में होगा अंतिम संस्कार
91 वर्षीय पंडित हरीशंकर तिवारी अपने पीछे दो बेटे और एक बेटे सहित भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। इनके बड़े पुत्र भीष्म शंकर तिवारी भी सांसद रह चुके हैं।वहीं छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी 2017 विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चिल्लूपार से विधायक चुने गए थे। उनके शव को पैतृक गांव बड़हलगंज के चिल्लू पार स्थित टड़वा ले जाया गया। जहां नेशनल पीजी कॉलेज बड़हलगंज में समर्थकों और दर्शनार्थियों ने पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन किये। इसके बाद बड़हलगंज स्थित मुक्तिधाम पर उनका अंतिम संस्कारकिया गया।