मंकी पाक्स: मुख्यालय ने सभी जिलों के स्वास्थ्य विभाग को जारी किया अलर्ट, विदेशों से आने वाले लोगों के लिए जाएंगे सैंपल
विदेशों में मंकी पाक्स बीमारी के केस सामने आने पर मुख्यालय ने सभी जिलों के स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट कर दिया है। आदेशों पर सीएमओ, पीएमओ ने हिसार स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट जारी किया है कि मंकी पाक्स के लक्षण किसी में दिखे तो तुरंत इस बात की सूचना उच्चाधिकारियों को दे
विदेशों में मंकी पाक्स बीमारी के केस सामने आने पर मुख्यालय ने सभी जिलों के स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट कर दिया है। आदेशों पर सीएमओ, पीएमओ ने हिसार स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट जारी किया है कि मंकी पाक्स के लक्षण किसी में दिखे तो तुरंत इस बात की सूचना उच्चाधिकारियों को दे और इसके सैंपल लेकर जांच के लिए भिजवाए। साथ ही विदेशों से आने वाले लोगों के सैंपल जरुर करवाए जाएं। नागरिक अस्पताल से फिजिशियन डा. अजय चुघ ने बताया कि मंकी पाक्स में बुखार के साथ शरीर में खारीश होती है और एलर्जी होती है, जिससे शरीर पर कई जगह दाने और गांठे हो जाती है।
हालांकि अभी हिसार में एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है जिसमें मंकी पाक्स के लक्षण हो। यह एक गंभीर बीमारी है और किसी भी उम्र में हो सकती है। इसमें बुखार के साथ सिर दर्द, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द, शक्तिहीनता, शरीर पर दाने देखने को मिल रहे है। यह एक वायरल जुनोटिक बीमारी है। यह जानवरों से इंसानों में फैली है और अब इंसान से इंसान में सांस के द्वारा, खांसने, छींकने पर फैल रही है। इसमें लक्षण दिखाई देने से 21 दिन पहले मरीज की ट्रेवल हिस्ट्री जानना जरुरी है।
गौरतलब है कि आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, इटली, पुर्तगाल, स्वीडन आदि देशों में इस बीमारी के केस मिले है। सीएमओ डा. रत्नाभारती ने नागरिक अस्पताल के चिकित्सकों सहित सीएचसी और पीएचसी में चिकित्सकों को भी अलर्ट किया है कि इस तरह के लक्षण किसी में दिखे तो तूरंत जिला सर्विलांस अधिकारी डा. सुभाष खतरेजा को सूचित करें। इस बीमारी की जांच के लिए विदेशों से आने वाले लोगों के सैंपल लिए जाएंगे। सैंपल आईसीएमआर पूणे की लैब में भेजे जाएंगे।
मंकीपॉक्स क्या है
मंकीपॉक्स वायरस के कारण होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है, जो चेचक की तरह ही है। हालांकि, आमतौर पर यह ज्यादा गंभीर बीमारी नहीं है, यह एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है, जो वायरस का एक जीनस है जिसमें वेरियोला वायरस भी शामिल है, जिसके चलते चेचक होता है। इसी परिवार के वैक्सीनिया वायरस का इस्तेमाल चेचक के टीके में किया गया था। आम तौर पर मध्य और पश्चिम अफ्रीका के दूरदराज के हिस्सों में होने वाला यह वायरस पहली बार 1958 में बंदरों में पाया गया था, इंसानों में पहली बार यह मामला 1970 में दर्ज किया गया था।
क्या हैं इसके लक्षण
मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूजन और पीठ दर्द शामिल है। मरीजों में आमतौर पर बुखार आने के एक से तीन दिन बाद दाने निकल आते हैं, यह अक्सर चेहरे से शुरू होता है और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है, जैसे हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों में और इन दाने में खुजली भी होता है। संक्रमण आमतौर पर दो से चार हफ्ते तक रहता है।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स तब फैलता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति, जानवर या वायरस से संक्रमित के संपर्क में आता है। वायरस त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या आंख, नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। मानव-से-मानव में यह आमतौर पर रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स के माध्यम से फैलता है। पशु से इंसानों में यह काटने या खरोंच के माध्यम से फैल सकता है।
क्या है इसका इलाज
मंकीपॉक्स के लिए वर्तमान में कोई प्रमाणित और सुरक्षित इलाज नहीं है, हालांकि अधिकांश मामले हल्के होते हैं। जिन लोगों को वायरस से संक्रमित होने का संदेह है, उन्हें कमरे में अलग-थलग किया जा सकता है। रोगियों को अलग करने के लिए उपयोग किए जाने वाले स्थान और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का उपयोग करके हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स द्वारा निगरानी की जाती है। हालांकि, चेचक के टीके वायरस के प्रसार को रोकने में काफी हद तक प्रभावी साबित हुए हैं।