होलिका दहन पर भद्रा का साया, दहन के लिए मिलेगा सिर्फ एक घंटा दस मिनट का समय
होलिका दहन के दिन 17 मार्च यानी कल फाल्गुनी पूर्णिमा पर भद्रा का साया रहेगा। इस कारण दहन गोधूलि बेला में नहीं होगा। विद्वानों के मत के अनुसार, होलिका दहन के लिए भद्रा काल के दौरान सिर्फ एक घंटा दस मिनट का वक्त मिलेगा। 18 तारीख को उदयकालिन तिथि फाल्गुन पूर्णिमा ही रहेगी। इसी तिथि को धुलंडी होगी।
होलिका दहन शुभ मुहूर्त
ज्योतिषों ने बताया कि 17 मार्च की दोपहर 1.23 बजे से रात 1.18 बजे तक भद्रा रहेगी। इस बीच भद्रा का पुच्छ काल रात 9.03 से रात 10.13 बजे तक रहेगा। इसके चलते शाम के समय गोधूलि बेला में भद्रा का प्रभाव होने से होलिका का दहन नहीं किया जा सकता। भद्रा योग को शास्त्रों में अशुभ माना गया है। रक्षाबंधन और होली के त्योहार पर भद्रा दोष का विचार किया जाता है। इस बार जब भद्रा पुच्छ काल में रहेगी उस समय होलिका दहन करना श्रेष्ठ होगा। माना जाता है कि पुच्छ काल में भद्रा का प्रभाव कम हो जाता है। भद्रा के समाप्त होने के बाद रात 1.23 बजे के बाद होलिका दहन किया जा सकता है। वहीं, 18 मार्च को सूर्योदय 6:02 होने पर पूर्णिमा भोग करेगी, जबकि 19 मार्च की सुबह प्रतिपदा तिथि का मान मिलेगा। ऐसे में उदयातिथि में प्रतिपदा होने पर रंगभरी होली का महापर्व 19 मार्च को मनाया जाएगा लेकिन कुछ जगहों पर 18 मार्च को भी रंगों का त्योहार मनाया जाएगा।
इस वजह से माना जाता है अशुभ
होली की कथा के अनुसार, भद्रा काल में होलिका दहन को अशुभ माना जाता है। ज्योतिषों ने बताया कि इस समय 23 फरवरी से 24 मार्च तक गुरु तारा अस्त होने से विवाह, गृह प्रवेश, नींव, देव प्रतिष्ठा आदि शुभ कार्य बंद हैं। अब इसी बीच 10 मार्च से होलाष्टक भी लग गया है, जो कि 18 मार्च तक रहेगा। वहीं, दो साल से कोरोना के कारण लोग होली का त्योहार नहीं मना पाए थे। इस बार कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होने के बाद माना जा रहा है कि लोग इस बार त्योहार मनाने के मूड में हैं।