कोरोना: देश में 90 फीसदी बढ़े केस, फिर बढ़ सकती है सख्ती
उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के कुछ जिलों में संक्रमण बढ़ने का असर राष्ट्रीय स्तर पर दिख रहा है। 11 से 17 अप्रैल के बीच दिल्ली के दक्षिणी जिले में साप्ताहिक संक्रमण दर 6.26 फीसदी तक पहुंच गई है।
कोरोना की चौथी लहर का डर सताने लगा है। देश में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में 90 फीसदी का उछाल आया है। वहीं, राजधानी दिल्ली में जनवरी के बाद सोमवार को पहली बार संक्रमण दर 7.72 फीसदी पहुंच गई है। वहीं, लगातार दूसरे दिन 500 से ज्यादा संक्रमित मिले। बीते 24 घंटों में 501 मरीज मिले।
इस बीच, बढ़ते मामलों को देखते हुए यूपी सरकार ने राजधानी लखनऊ समेत दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, बुलंदशहर व बागपत और हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत व झज्जर में सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। नौ राज्यों के 34 जिले रेड जोन में हैं।
पिछले 24 घंटे में 2,183 नए केस मिले हैं। जबकि, बीते दिन 1150 नए मरीज मिले थे। 24 घंटे में 214 की मौत हुई व 1,985 लोग स्वस्थ भी हुए। राहत की बात है कि संक्रमितों की तुलना में भर्ती होने वालों की दर कम है। साथ ही, मृत्युदर में भी बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा। विशेषज्ञ इसका कारण टीकाकरण को बता रहे हैं।
यूपी: लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ बुलंदशहर व बागपत में सख्ती
हरियाणा: गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत व झज्जर में मास्क को लेकर फिर से पाबंदी
रेड जोन: नौ राज्यों के 34 जिले रेड जोन में
अस्पतालों में कोविड के अधिकांश बिस्तर खाली
अस्पतालों में कोविड रोगियों के अधिकांश बिस्तर खाली हैं और मृत्यु दर भी सबसे कम है। शायद इसी के चलते अब तक ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) कानून को लेकर सरकार ने प्रतिबंधों पर कोई फैसला नहीं लिया है।
सतर्कता पर जोर
स्वास्थ्य विभाग ने चिंता जताते हुए कोविड सतर्कता नियमों पर अधिक जोर देने की बात कही है। विभाग के अनुसार, मास्क लगाने, भीड़ से दूरी आदि को लेकर जिला वार अभियान चलाए जाएंगे, ताकि लोग लापरवाही न बरतें।
चौथी लहर की संभावना नहीं
आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने अपने गणितीय सूत्र मॉडल के आधार पर दावा किया है कि फिलहाल कोरोना की चौथी लहर आने की संभावना नहीं है। उनका कहना है कि वायरस के जो पुराने म्यूटेंट हैं, वही अपना असर दिखा रहे हैं। टीकाकरण और 90 प्रतिशत लोगों में नेचुरल इम्युनिटी विकसित हो चुकी है। इस वजह से पुराना म्यूटेंट ज्यादा असरदार होगा, ऐसी संभावना नहीं नज़र आ रही कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों पर इसका प्रभाव ज्यादा नजर आ सकता है। यह जरूर है कि लोग सुरक्षात्मक प्रक्रिया में लापरवाही बरतेंगे तो ये म्यूटेट फिर से अपना असर दिखा सकते हैं।