भारतीय न्याय संहिता के तहत पहली FIR, दिल्ली के रेहड़ी-पटरी वाले पर कमला मार्किट थाने में हुई दर्ज
दिल्ली में नए कानून के तहत पहली FIR कमला मार्किट थाने में दर्ज हुई है. पुलिस ने नए कानून BNS की धारा 285 के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून (New Criminal Law) देश में लागू हो गए हैं. जिसमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल हैं. इसके तहत देश की पहली FIR भी दर्ज कर ली गई है. यह FIR दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है.
न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, यह FIR नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के एक रेहड़ी-पटरी वाले पर की गई है. जो फुटओवर ब्रिज के नीचे अपनी दुकान लगाता था. भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 285 के तहत यह मामला दर्ज किया गया है. शख्स पर फुटओवर ब्रिज के नीचे अवरोध पैदा करने के आरोप लगाए गए हैं.
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The Press Free Journal की रिपोर्ट के मुताबिक, शख्स की पहचान बिहार से ताल्लुक रखने वाले पंकज कुमार के तौर पर की गई है. साथ ही FIR में दर्ज किया गया है कि शख्स ठेले में तम्बाकू और पानी की बिक्री कर रहा था. जिसकी वजह से आने-जाने वाले लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही थी. FPJ की रिपोर्ट के मुताबिक, ये आरोप भी लगाए गए हैं कि जब गश्त लगा रही पुलिस ने दुकानदार से ठेला हटाने के लिए कहा, तो उसने उनकी बात नहीं मानी.
बता दें कि तीन नये आपराधिक कानून आज से देशभर में लागू हो गए हैं, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आ गया और औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो गया. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान ले लिया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नये कानून न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता देंगे जबकि अंग्रेजों (देश पर ब्रिटिश शासन) के समय के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गयी थी. उन्होंने कहा, "इन कानूनों को भारतीयों ने, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाया गया है तथा यह औपनिवेशिक काल के न्यायिक कानूनों का खात्मा करते हैं."
उन्होंने कहा है कि यह बदलाव सभी के लिए न्याय प्रक्रिया में तेजी लाएंगे. उन्होंने ने इस बात पर भी जोर दिया की इन बदलावों को ठीक से लागू करने के लिए, ट्रेनिंग और फॉरेंसिक टीम की भी जरूरत पड़ेगी. वहीं मामले में विपक्ष और कांग्रेस पार्टी का मत है कि यह कानून जल्दबाजी में लागू किए गए हैं. उनका कहना है कि इसमें और सुझावों की जरूरत थी.
मामले को ठीक तरह से समझने के लिए हमने बाराबंकी जिला एवं सत्र न्यायाल्य में प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता सचिन सिंह से बात की. जिनके द्वारा बताया गया की ,तीन पुराने कानूनों की जगह 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून देश में लागू हो गए हैं. जिसमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल हैं. जो क्रमश: ब्रिटिश समय के इंडियन पीनल कोड (IPC), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे.
साथ ही नए कानून लागू होने के बाद न्यायाधीश को ट्रायल खत्म होने के 45 दिन बाद फैसला देना होगा. साथ ही पहली सुनवाई के 60 दिन बाद चार्ज फ्रेम करने होंगे.