33 साल बाद PAK से लौटे कुलदीप के लिए उमड़ा देशवासियों का प्यार, लोगों ने कहा- सच्चे देशभक्त तो ये हैं, सरकार को मदद करनी चाहिए
कुलदीप यादव ने तीन दशक बाद घर के खाने का स्वाद चखा है। वह 28 साल तक पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में जासूसी के आरोप में बंद रहे।
सरबजीत सिंह को पाकिस्तान की जिस कोट लखपत जेल में रखा गया था, कुलदीप यादव ने वहां 28 साल काटे हैं। जेल में रहते हुए वह सरबजीत से हर 15 दिन पर मिल पाते थे। कुलदीप अब वतन आ गए हैं तो पास कुछ भी नहीं। बदन पर जो कमीज थी, वह भी पाकिस्तान सरकार की तरफ से मिली। मार्च 1991 में 'देश के लिए काम करने' पाकिस्तान गए कुलदीप वहां सवा तीन साल बाद गिरफ्तार हुए। फिर सेना की कस्टडी और आखिर में उम्रकैद की सजा। कुलदीप अब रिहा होकर भारत लौट आ गए हैं। अपने इस सपूत की कहानी पढ़कर भारतीय भावुक हैं। आक्रोशित भी कि सरकार ने पाकिस्तान की जेलों में बंद कैदियों के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए। एक उम्मीद और एक मांग भी उठ रही है कि सरकार कुलदीप के बलिदान का थोड़ा मोल चुकाए। लोग चाहते हैं कि कुलदीप को सम्मानित किया जाए।
फेसबुक पर आनंद शंकर पांडेय लिखते हैं कि 'अभिनंदन के साथ पूरा देश था। ये देश का कुलदीपक अकेला लड़ा और जीतकर आया। सच्चा सेनानी और देशभक्त... भारत मां का सपूत।' वहीं कमेंट्स में लोग एक सुर में हैं कि सरकार कुलदीप की मदद करे। अभि पाठक लिखते हैं कि 'बिल्कुल सही। देश के लिए गए थे और किसी तरह जीवित वापस आये हैं तो कम से कम सरकार आर्थिक रूप से पूरी तरह मदद करें और जिम्मेदारी निभाए।'
गोपाल भी लिखते हैं कि सरकार को मदद करनी चाहिए। प्रेम सिंह ने कहा कि 'राज्य सरकार तुरंत जो भी जायज पेंशन बनती हैं शुरू करें, समस्त अनुदान दिए जायें मकान, कारोबार के लिये। केंद्र सरकार एक रिटायर्ड कर्मचारी कम से कम D ग्रेड के समान पेंशन शुरू करे। कुलदीप जी का ये हक बनता है NGO इसमें कुलदीप जी की मदद करें प्लीज।'
धीरेंद्र पांडेय ने लिखा कि 'कुलदीप जी और उन के छोटे भाई मुझे अमृतसर स्टेशन प्लेटफार्म एक पर मिले। मेरा परिचय हुआ। इतना ही बताया मैं पाकिस्तान जेल में 32 साल बंद था। हम एक ही कोच में बडोदरा तक साथ आए। सरकार को मदद करनी ही चाहिए।' राम बाबू मिश्रा ने कहा कि 'सच्चे देशभक्त तो यह लोग है इनको सादर नमन करना चाहिए।'