लखीमपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार, जाने क्या कहा कोर्ट ने ?
उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की जा रही जांच उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में कराने का सोमवार को सुझाव दिया और कहा कि जांच उनकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रही है।
लखीमपुर हिंसा मामले में आज तीसरी बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ UP सरकार की अब तक की जांच से संतुष्ट नहीं है। इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने एक अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हमें यह कहते हुए दुख है कि दो FIR 219 और 220 को ओवरलैप कर एक 'विशेष' आरोपी को लाभ दिया जा रहा है।
CJI ने स्टेटस रिपोर्ट पर भी पूछा सवाल
CJI एनवी रमना ने कहा कि हमने स्टेटस रिपोर्ट देखी है। स्टेटस रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं है, हम जो उम्मीद कर रहे थे वैसे कुछ नहीं है। 10 दिन का समय दिया गया था। कोई प्रगति नहीं हुई। बस कुछ गवाहों के बयान हुए। लैब रिपोर्ट भी नहीं आई। फोन रिकॉर्ड का परीक्षण भी नहीं हुआ। इस पर यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि लैब ने 15 नवंबर तक रिपोर्ट देने को कहा है।
जांच से खुश नहीं सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट लखीमपुर हिंसा की जांच से खुश नहीं है। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि हमारी अपेक्षा के अनुरूप जांच नहीं की जा रही है| कोर्ट नेइसके लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज रंजीत सिंह और राकेश कुमार जैन की नियुक्ति की जा सकती है।
CJI ने किए 5 सवाल
- मोबाइल टावर से मोबाइल डेटा का क्या हुआ?
- केवल आरोपी आशीष मिश्र का ही मोबाइल मिला?
- बाकी आरोपियों के मोबाइल का क्या हुआ?
- अन्य आरोपी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे ?
- हमने 10 दिन का समय दिया, लैब की रिपोर्ट भी नहीं आई?