34 कंपनियां फिर भी सुपरटेक दिवालिया, जानें ट्विन टावर के मालिक आरके अरोड़ा की कहानी
सुपरटेक कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने साल 2022 के मार्च महीने में दिवालिया घोषित कर दिया था। बता दें कि सुपरटेक नाम से आरके अरोड़ा के पास कई कंपनी है लेकिन जिसे एनसीएलटी ने दिवालिया घोषित किया है।
नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर को आज ब्लास्ट कर दिया गया है। एक जानकारी के मुताबिक मलबे से कंपनी को करोड़ों का मुनाफा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुपरटेक ट्विन टावर को बनाने वाले मालिक की कंपनी सुपरटेक दिवालिया भी घोषित हो चुकी है। आइए जानते हैं कपंनी के दिवालिया होने की कहानी और इसके मालिक आरके अरोड़ा के बारे में।
नोएडा के ट्विन टावर को बनाने वाली कंपनी सुपरटेक है और इसके फाउंडर आरके अरोड़ा हैं। आरके अरोड़ा 34 अन्य कंपनियों के भी मालिक हैं। इसके अलावा आरके अरोड़ा ने कब्रगाह बनाने-बेचने के लिए भी कंपनी खोली है। साथियों के साथ मिलकर 7 दिसंबर 1995 को इस कंपनी की शुरुआत की थी। कंपनी ने 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। इनमें मेरठ, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र और दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के कई शहर शामिल हैं।
1999 में खोली कंपनी
जानकारी के मुताबिक सुपरटेक लिमिटेड के अस्तित्व में आने के ठीक 4 साल बाद 1999 में उनकी पत्नी संगीता अरोड़ा ने सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोली। वहीं आर के अरोड़ा ने बेटे के साथ मिलकर अलग-अलग सेक्टरों में पांव जमाने के लिए कंपनियां खोली। सुपरटेक कंपनी को ही 2004 में नोएडा अथॉरिटी ने एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन आवंटित की थी।
2022 में कंपनी घोषित हुई दिवालिया
बता दें कि सुपरटेक कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने साल 2022 के मार्च महीने में दिवालिया घोषित कर दिया था। बता दें कि सुपरटेक नाम से आरके अरोड़ा के पास कई कंपनी है, लेकिन जिसे एनसीएलटी ने दिवालिया घोषित किया है। वह रियल एस्टेट में काम करने वाली सुपरटेक है जिसने ट्विन टावरों का निर्माण किया है।
432 करोड़ रुपये का है कर्ज
एक जानकारी के मुताबिक सुपरटेक पर करीब 432 करोड़ रुपये का कर्ज है। यह कर्ज यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में बने बैंक के कंसोशिर्यम से लिया गया था। कर्ज नहीं चुकाने पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसके बाद NCLT ने बैंक की याचिका स्वीकार कर इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया का आदेश दिया था।