देश में वैक्सीन की रफ़्तार 100 करोड़ के पार, जाने क्या हैं इसके मायने ?
देश में करीब 23-24 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने एक भी डोज नहीं लगवाया है। इससे सवाल उठता है कि क्या एक-चौथाई आबादी वैक्सीन लगवाने से डर रही है या इनके पास वैक्सीन की पहुंच नहीं है ?
कोरोना : देश में 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी और आखिरी 20 करोड़ डोज 31 दिन में लगे हैं। बता दें देश की 75% युवा आबादी को कम से कम एक डोज लग चुका है और 31% आबादी को दोनों डोज लग चुके हैं। बता दें दुनिया में सिर्फ चीन ही ऐसा देश है जहां भारत से ज्यादा वैक्सीन लगी हैं। चीन ने 100 करोड़ डोज का आंकड़ा सितंबर में पूरा कर लिया था।
इसके बाद भी यह नहीं भूल सकते कि करीब 23-24 करोड़ वयस्क ऐसे हैं, जिन्होंने एक डोज भी नहीं लिया है। इसका कारण जानना बेहद जरूरी है। एक-चौथाई आबादी वैक्सीन लगाने से हिचक रही है। उनकी हिचक तोड़ना जरूरी है। इसी तरह खबरें आ रही हैं कि लोग दूसरा डोज नहीं लगवा रहे, इस पर फोकस करने की आवश्यकता है। लोगों को समझाना होगा कि पूरी तरह प्रोटेक्शन तभी मिलेगा जब दोनों डोज लगे होंगे।
100 करोड़ डोज पूरे होने पर पूरे देश में जश्न
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कोविड वॉर रूम में स्टाफ से बात की और मिठाई खिलाकर उन्हें बधाई दी है।
मंडाविया आज एक थीम सॉन्ग और फिल्म भी लॉन्च करेंगे। ये कार्यक्रम लाल किले पर रखा गया है। बताया जा रहा है कि इस गाने में गाना कैलाश खेर ने आवाज दी है। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक लाल किले पर 1400 किलो का देश का सबसे बड़ा तिरंगा लगाने की भी उम्मीद है।
बताया जा रहा है कि BJP नेताओं को भी वैक्सीनेशन सेंटर्स पर जाकर हेल्थ वर्कर्स का सम्मान करने के लिए कहा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा गाजियाबाद, महासचिव अरुण सिंह कोयंबटूर और महासचिव दुष्यंत गौतम लखनऊ जाएंगें।
अब तक कैसी रही वैक्सीनेशन की रफ्तार?
देश में 16 जनवरी से वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत हुई। शुरुआती 20 करोड़ वैक्सीन डोज 131 दिन में लगे। अगले 20 करोड़ डोज 52 दिन में दिए गए। 40 से 60 करोड़ डोज देने में 39 दिन लगे। 60 करोड़ से 80 करोड़ डोज देने में सबसे कम, महज 24 दिन लगे।
अब 80 करोड़ से 100 करोड़ होने में 31 दिन लगे हैं। यानी अब रफ्तार कम हो गई है। अगर इसी रफ्तार से वैक्सीनेशन होता रहा तो देश में 216 करोड़ वैक्सीन डोज लगने में करीब 175 दिन और लगेंगे। यानी, 5 अप्रैल 2022 के आसपास ये आंकड़ा हम पार कर सकते हैं।
क्या कोरोना महामारी खत्म हो गई है?
डॉ. कंग के मुताबिक महामारी अब मंद पड़ रही है। यह अब एंडेमिक (स्थानीय महामारी) की शक्ल ले रही है। इसके बाद भी मामले बढ़ने के छोटे-छोटे दौर देखने को मिल सकते हैं। वायरस भी लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है। उस पर काबू रखने के लिए हमें वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ाना होगा। साथ ही मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और वेंटिलेशन जैसे उपायों को बढ़ाना होगा।
डॉ. लहारिया कहते हैं कि दूसरी लहर के बाद सीरो सर्वे में हमने देखा था कि 67.6% लोगों को कोरोना संक्रमण हो चुका है। जिन्हें संक्रमण हो चुका है, उन्हें एक खुराक भी काफी हद तक सुरक्षा देती है। हम उस दिशा में जा रहे हैं, जहां ज्यादातर को संक्रमण या एक खुराक से सुरक्षा मिली हुआ है। इसके बाद भी लंबे समय तक बचाव के लिए तीन-चौथाई आबादी को कम से कम एक खुराक मिलनी चाहिए। दोनों खुराक के बाद ही पूरा प्रोटेक्शन मिलता है।
किन राज्यों में सबसे कम आबादी वैक्सीनेट हुई?
आबादी के लिहाज से सबसे कम वैक्सीनेशन उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में हुआ है। इन तीनों राज्यों की केवल 12% आबादी पूरी तरह से वैक्सीनेट हुई है। झारखंड की 36% आबादी ऐसी है जिसे वैक्सीन की एक डोज दी जा चुकी है, तो बिहार की 37% आबादी को वैक्सीन की एक डोज दी गई है। वहीं, UP की 40% आबादी को वैक्सीन की एक डोज दी गई है।