1 मई से अफगानिस्तान से सेना हटाएगा अमेरिका, पूर्व राष्ट्रपति ओबामा बोले- दोनों देशों के रिश्तों के बीच नए अध्याय की शुरूआत
अफगानिस्तान से सेना हटाने को लेकर बाइडेन सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। 1 मई से अफगानिस्तान से अमेरिका अपनी सेना हटाने की प्रक्रिया शुरू करेगा। यह जानकारी खुद अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ बाइडेन ने दी है। 11 सितंबर तक इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। इस साल 9/11 की घटना के 20 साल पूरे हो जाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि 11 सितंबर के पहले NATO सहयोगी और ऑपरेशनल पार्टनर्स की तरफ से तैनात सेना को हटाया जाएगा। लेकिन हम आतंकवादी हमलों से अपनी नजर नहीं हटाएंगे। इसके अलावा हमेशा आतंकी हमले पर कार्रवाई करने के लिए अमेरिका आगे रहेगा।
सेना हटाने के बाद भी अगर हमला किया तो कार्रवाई करेंगे: बाइडेन
बाइडेन ने कहा कि सेना या उसके भागीदारों पर किसी भी संभावित तालिबान के हमले का जवाब देने के लिए अमेरिका अपने सभी उपकरणों का उपयोग करेगा। तालिबान को पता होना चाहिए कि अगर bu हमला करता है, तो हम पूरी तैयारी के साथ रक्षा करेंगे। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान की मदद के लिए बाकी देश क्या कदम उठाएंगे, उसके लिए सभी से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। खासतौर पर पाकिस्तान से औऱ इसके अलावा रूस, चीन, भारत और तुर्की से भी विस्तार से चर्चा की जाएगी। राष्ट्रपति का यह बयान उस वक्त आया, जब अमेरिका के उच्च अधिकारियों ने अफगानिस्तान में 20 साल बाद युद्ध समाप्ति की घोषणा की है। इसमें बताया गया है कि राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान से सेना हटाने का फैसला किया है।
जबतक विदेशी सेनाएं नहीं हट जाती, हम किसी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा नहीं लेंगे: तालिबान
इधर, तालिबान ने अफगानिस्तान में शांति बहाल की योजना को खारिज कर दिया है। साथ ही सेना हटाने में 6 महीने की देरी की बात कही है। तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद नईम वार्डक ने मंगलवार को कहा था कि तालिबान अफगानिस्तान से जुड़े फैसले लेने वाली दुनिया में किसी भी तरह की कॉन्फ्रेंस से तबतक दूर रहेगा, जब तक विदेशी सेनाएं हट नहीं जाती हैं।
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने की बाइडेन के फैसले की तारीफ
वहीं, इस मसले पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बुधवार को राष्ट्रपति बाइडेन की फैसले की तारीफ की है। साथ ही कहा है कि यह अफगानिस्तान से अमेरिका के रिश्तों का नए अध्याय की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का फैसला सही है। साथ ही अब हमें इस लंबे युद्ध में शामिल अमेरिकियों के असाधारण बलिदानों पर श्रद्धांजलि देने के लिए रुकना चाहिए। साथ ही कहा 9/11 का बदला लेने में शामिल अमेरिकी सेना, राजनयिक और इसके सभी कार्यकर्ताओं पर गर्व करना चाहिए। वहीं, अलकायदा के सुरक्षित आश्रय को नष्ट करने, अफगान सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित करने और अफगानिस्तान के लोगों का सपोर्ट करने के प्रयासों पर भी गर्व कर सकते हैं।
अमेरिका की संसद ने बयान जारी कर कहा- UN में बाइडेन सरकार उइगरों के नरसंहारों का उल्लेख करे
अमेरिका के सभी दलों ने संयुक्त रूप से संसद में बुधवार को एक उइगरों के नरसंहार का मुद्दा उठाया। इसमें चीन में हो रहे उइगरों के खिलाफ नरसंहार का मसला UN में उल्लेख करने की मांग की गई है। साथ ही उनपर हो रहे अत्याचार की निंदा भी की। हाउस के विदेशी मामलों की समिति के चैयरमेन माइकल ग्रेगरी मीक्स और एक अन्य सदस्य माइकल इनाउल ने एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें बाइडेन सरकार से अपील की गई कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र में नरसंहार को रोकने की मांग और सजा के कन्वेंशन के तहत अत्याचारों का उल्लेख करे। साथ ही अमेरिका चीन पर बहुपक्षीय प्रतिबंधो की मांग करता है। उइगरों पर हो रहे अत्याचार मानव अधिकारों का हनन है। दुनिया के सभी लोगों को इसकी निंदा करने और एक साथ आने की जरूरत है।
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