प्राचीन मिस्र में गाय पालने का चलन था। खुदाई में मिट्टी से बनी गाय की एक सुंदर कलाकृति भी पुरातत्वविदों को मिली है। सोर्सः जही हावास
अब डीटेल में समझते हैं कि खुदाई में क्या मिला और उनका महत्व क्या है? सबसे पहले जानिए मिला क्या...
- 10 फीट ऊंची ज्यों की त्यों खड़ी दीवारें।
- प्रशासनिक इलाके घेरे सांप जैसी दीवार।
- रास्तों के किनारे-किनारे बने मकान।
- दफन किए गए एक शख्स की कब्र।
- कमरों के भीतर दफन की गई गाय और बैल की कब्र।
- एक बड़ी बेकरी, जिसमें भट्ठी और स्टोरेज है।
- मिट्टी की ईंट बनाने की कार्यशाला।
- कांच और धातु को ढालने के लिए सांचे।
- काले कीट यानी गुबरैला जैसे प्राचीन मिस्र के पवित्र ताबीज और अंगूठियां।
- रंगीन मिट्टी के बर्तन।
- शराब के घड़े
- मिट्टी की ईंटें, जिन पर अमेनोटेप-3 की कारतूश अंकित हैं। (कारतूश प्राचीन मिस्र की वो अंडाकार चित्रलिपि थी जिन पर कोई शाही नाम ही लिखा होता था)
- कताई और बुनाई करने वाले औजार।
- सजावटी कलाकृति
शहर का नाम एटन है और अमेनोटेप-3 ने इसे बसाया था
एटन को बसाने वाला अमेनोटेप-3 मिस्र के 18वें राजवंश का नौवां फैरों था। वह ईसा पूर्व 1391 से ईसा पूर्व 1353 के बीच सत्ता में था। इसे मिस्र का सुनहरा दौर कहा जाता है। तब मिस्र अपनी शक्ति और सांस्कृतिक देन में चरम पर था। पुरातत्वविद हावास का कहना है कि यह प्राचीन मिस्र का सबसे बड़ा प्रशासनिक और औद्योगिक शहर था। अब तक किसी भी पुरातन शहर की खुदाई में इतनी भारी मात्रा में मिट्टी के बर्तन और ऐसी कलाकृति नहीं मिली हैं।
दक्षिणी हिस्से में मिली बड़ी बेकरी, कर्मचारियों के लिए बनता था खाना
शहर के दक्षिणी हिस्से में एक बड़ी बेकरी यानी रसोई घर भी मिला है। जिसमें खाना पकाने और तैयारी करने की जगह है। यहां भट्ठी और मिट्टी के बर्तन रखने की जगह है। इस बेकरी के आकार को देखकर आसानी से कहा जा सकता है कि यह बड़ी संख्या में कर्मचारियों को खाना मुहैया कराने के काम आती थी।
उत्सव मनाने के लिए मांस रखने के कंटेनर पर दर्ज मिली खास जानकारी
पुरातत्वविदों को शहर में मिट्टी का एक कंटेनर मिला है, जिसमें तकरीबन 10 किलो सूखा या उबला हुआ मांस रखा था। इस पर लिखा है, "वर्ष 37, यह सजा हुआ मीट तीसरे हेब सेड उत्सव के लिए खा (Kha) की पशु-शाला वाले बूचड़खाने लाया गया, जिसे कसाई लुवी ने तैयार किया है।" हेब सेड उत्सव प्राचीन मिस्र में फैरों का शासन बरकरार रखने के लिए मनाया जाता था। पुरातत्वविद जही हावास का कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण जानकारी है। इसमें दो लोगों के नाम हैं जो अमेनोटेप -3 और उसके बेटे अखेनातेन के सह-शासन के दौरान शहर में रहते और काम करते थे
दफनाए गए इंसान के पैर रस्सी से बंधे थे और हाथों के पास थे हथियार
खुदाई में एक शख्स की कब्र भी मिली, जिसमें दफन शख्स के हाथों के पास हथियार रखे थे। उसके पैर रस्सी से बांधे गए थे। दफन करने का यह तरीका परंपरा से काफी अलग माना जा रहा है। इसी तरह एक गाय और बैल भी कमरों के भीतर अलग तरीके से दफन मिले हैं।
जिग-जैग दीवार से आने-जाने का सिर्फ एक ही रास्ता
शहर के दूसरे हिस्से की खुदाई जांच अभी चल रही है, लेकिन यह हिस्सा प्रशासनिक और आवासीय नजर आ रहा है। इसमें सोच-सझकर बनाए गए बड़े भवन नजर आ रहे हैं। इस इलाके को घेरकर बनाई गई जिग-जैग आकार की एक व्यवस्थित दीवार भी मिली है। करीब 10 फीट ऊंची इस दीवार को केवल एक ही जगह से पार किया जा सकता है। यह दीवार नियंत्रित सुरक्षा व्यवस्था का सबूत है।
शहर के तीसरे इलाके में वर्कशॉप मिलीं
शहर के तीसरे इलाके में कारखाने भी मिले हैं, जिनमें मिट्टी की ईंट बनाने की जगह भी शामिल है। पुरातत्वविदों को यहां ढालने के लिए सांचे यानी कास्टिगं मोल्ड्स भी मिले हैं। यहां शायद ताबीज और नाजुक सजावटी चीजें बनती थी। यहां कताई और बुनाई के उपकरणों के साथ धातु और कांच से सामान बनाने के भी सबूत मिले हैं।
अभी पूरी खुदाई होना बाकी, पांच साल लग सकते हैं
पुरातत्वविद हावास का कहना है कि शहर में मंदिर और कब्र, दोनों की सजावट का सामान बनाने के लिए व्यापक गतिविधियों के सबूत मिले हैं। हालांकि शहर के इस उत्तरी हिस्से की पूरी खुदाई अभी होनी है। उन्होंने बताया कि खुदाई सितंबर 2020 में शुरू हुई थी। इसे पूरा होने में पांच साल तक का समय लग सकता है।
आखिर में खाली कर दिया गया था एटन
एटन को अंततः खाली कर 400 किमी उत्तर में अमरना में बसाया गया था। इसकी वजह आज भी पुरातत्वविदों के लिए पहेली बनी हुई है।