रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अमित शाह के "खुले दरवाजे" निमंत्रण का मजाक उड़ाया। चौधरी ने कहा कि यह केवल उत्तर प्रदेश में जाटों को अलग-थलग करने और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की एक युक्ति है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी आज मुजफ्फरनगर में हैं। पिछले दो दिन से भाजपा की ओर से जयंत चौधरी को ऑफर दिए जाने को लेकर वेस्ट यूपी की सियासत गर्म है। शुक्रवार को जयंत चौधरी भाजपा पर एक और वार किया। जयंत ने कहा कि अमित शाह बातें तो मीठी कर रहे हैं लेकिन भाजपा के न्योते से साजिश की बू आ रही थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस जयंत चौधरी ने कहा कि "यह चुनाव सिर्फ मेरे लिए जरूरी नहीं है, यह चुनाव देश के अस्तित्व के लिए जरूरी है।" उन्होंने बीजेपी पर भी हमला बोला और कहा की "अमित शाह के 'ऑफर' पर जयंत ने कहा कि साथ आने के उस न्योते में से साजिश की बू आ रही थी।" जयंत चौधरी ने कहा कि, "यूपी चुनाव 2022 में उन किसानों में चेतना जगी है जिनके साथ सालों से न्याय नहीं हुआ है और वे लोग चाहते हैं कि RLD आगे बढ़े।"
अमित शाह के घर गलत चुनने वाले बयान पर जयंत चौधरी ने कहा कि, "शाह ने बात तो मीठी की लेकिन उसके पीछे उनकी मंशा राजनीतिक साजिश वाली लगी, जिसमें से षड्यंत्र की बू आ रही थी।"
बता दें कि अमित शाह ने कहा था कि, "जयंत चौधरी सही हैं लेकिन उन्होंने घर (सपा गठबंधन) गलत चुन लिया है। उनके लिए बीजेपी गठबंधन के दरवाजे खुले हैं। इसपर जयंत ने कहा कि, "शाह चाहते हैं कि जाट वोट बंट जाए, जबकि RLD जाट राजनीति नहीं करती।" जयंत ने आगे कहा कि, "शाह हमें जाट नेता का टैग देना चाहते हैं जबकि वह वहां तक ही सीमित नहीं है। साथ ही शाह अल्पसंख्यक वर्ग को गलत संदेश देना चाहते हैं।
जयंत ने आगे कहा कि, "शाह यह भ्रम पैदा करना चाहते हैं कि मैं चुनाव के बाद बीजेपी के साथ जा सकता हूं, इसलिए अल्पसंख्यक बसपा या ओवैसी को वोट दें। शाह चाहते हैं कि हरियाणा की तरह जाट यूपी में भी बंट जाएं। हम भाईचारे, लोगों को जोड़ने की बात कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी कैराना पलायन आदि का जिक्र करके उस बंटवारे को जिंदा रखना चाहती है।
बीजेपी के साथ ना जाने का फैसला जयंत चौधरी ने जल्दी तो नहीं कर लिया? इस सवाल पर जयंत ने कहा कि अभी उनकी जो उम्र है अगर वह उसमें भविष्य के हिसाब से दूरगामी फैसले नहीं लेंगे तो ठीक नहीं होगा। जयंत ने यह भी माना कि हो सकता है कि टिकट बंटवारे में उनसे कुछ गलतियां हुई हों लेकिन ऐसा होता ही है।
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