ग्रीन कॉरिडोर बनाकर लखनऊ से कानपुर पहुंचाया पेशेंट, 3 जिलों की पुलिस सड़क पर, 150 मिनट की दूरी 60 मिनट में ही तय
एंबुलेंस के पहुंचने से पहले ही चौराहों पर पुलिस ने रास्ता खाली करा दिया। लिंक रोड पर गाड़ियों को पुलिस ने रोके रखा।
थाईलैंड में कानपुर के रीजेंसी हॉस्पिटल के मालिक डॉ. अतुल कपूर के बेटे डॉ. अभिषेक घायल हो गए। उनको गंभीर हालत में एयरलिफ्ट कर रविवार को दिल्ली फिर लखनऊ लाया गया। लखनऊ एयरपोर्ट से कानपुर तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। इस तरह का यह पहला मामला है, जिसमें इतना 75 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बनाया गया। रीजेंसी में डॉक्टर के रीढ़ की हड्डी की सफल सर्जरी की गई है।
पुलिस से मांगी थी मदद
डॉ. अतुल कपूर ने रविवार देर रात बताया कि वह परिवार समेत थाईलैंड घूमने गए थे। वहां गिरने से बेटे की रीढ़ में गंभीर चोट लग गई। आनन-फानन एयर एंबुलेंस से दिल्ली और वहां से लखनऊ आए। लखनऊ से सेफ पैसेज के लिए पुलिस से मदद मांगी गई। पुलिस ने फौरन मदद पहुंचाई। रात करीब 11 बजे ऑपरेशन किया गया। रीजेंसी हॉस्पिटल के एमडी डॉ. अतुल कपूर ने बताया कि ऑपरेशन हो गया है। अब घबराने की बात नहीं है।
लखनऊ, उन्नाव और कानपुर की पुलिस सड़क पर उतरी
लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट से एंबुलेंस को एस्कॉर्ट कर लखनऊ पुलिस कानपुर तक लाई। कानपुर पुलिस ने गंगा बैराज के रास्ते रीजेंसी तक पहुंचाया। 3 जिलों की पुलिस को अलर्ट किया गया था। रास्ते में पड़ने वाले लखनऊ, उन्नाव और कानपुर के सभी थानों में तैनात पुलिस ने एंबुलेंस को सेफ पैसेज उपलब्ध कराया।
पहले से ही तैनात थी पुलिस
सभी चेक पॉइंट्स और चौराहों पर पहले ही पुलिस कर्मियों की तैनाती करके रास्ता क्लियर कर दिया गया था। अमौसी एयरपोर्ट से ALS एंबुलेंस के आगे पुलिस की एस्कॉर्ट फिर उसके बाद पुलिस की दो बाइक रोड का पूरा पैसेज खाली करातीं हुए चलीं।
75 किलोमीटर की दूरी 1 घंटे में तय की
अमौसी एयरपोर्ट से रीजेंसी हॉस्पिटल की दूरी करीब 75 किलोमीटर है। सामान्य तौर पर इतनी दूरी तय करने में 150 मिनट यानी ढाई घंटे लगते हैं। लेकिन, रविवार शाम लखनऊ, उन्नाव और कानपुर की पुलिस की मदद से यह दूरी तय करने में केवल एक घंटे यानी 60 मिनट लगे। ग्रीन कॉरिडोर की वजह से अमौसी से रीजेंसी पहुंचने में डेढ़ घंटे कम समय लगा।
क्या होता है ग्रीन कॉरिडोर
ग्रीन कॉरिडोर एक निश्चित समय के लिए मार्ग को किसी मरीज के लिए खाली कराना या ट्रैफिक कंट्रोल करने को कहते हैं। इसे मेडिकल इमरजेंसी जैसे कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट या मरीज की क्रिटिकल स्थिति को देखते हुए बनाया जाता है।
इसमें रास्ते में पड़ने वाले जिलों की पुलिस मिलकर मरीज को एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल तेज रफ्तार एंबुलेंस से पहुंचाती है। हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए रास्ते पर आने वाले ट्रैफिक को 60-70% तक कम करने की कोशिश करती है। इससे मरीज जल्द से जल्द पहुंच जाता है।