कर्नाटक चुनाव हारने के बाद भाजपा ने मांगा सभी सांसदों का रिपोर्ट कार्ड
30 मई से 30 जून के बीच एक महीने तक चलने वाले 'विशेष जनसंपर्क अभियान' के अंतर्गत देश के 396 लोकसभा क्षेत्रों में जनता से संवाद किया जाएगा। इसी दौरान प्रदेश की टीमों के द्वारा सांसदों के क्षेत्रों में हुए कार्यों की जानकारी एकत्र की जाएगी।
कर्नाटक में हुई करारी हार से बौखलाई भाजपा ने अपने सभी सांसदों का रिपोर्ट कार्ड मांगा है। सभी प्रदेश अध्यक्षों को एक महीने के भीतर सभी सांसदों के लोकसभा क्षेत्रों में हुए कार्यों की समीक्षा कर एक रिपोर्ट पार्टी की केंद्रीय इकाई को देनी है। सांसदों का रिपोर्ट कार्ड उनके लोकसभा क्षेत्रों में केंद्र सरकार के द्वारा किए गए कल्याणकारी कार्यों की स्थिति, सांसदों की जनता के बीच लोकप्रियता, क्षेत्र में बिताए गए समय और सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता के आधार पर बनाया जाएगा। 2024 में टिकट बंटवारे के लिए यह बड़ा आधार बन सकता है। इसके पूर्व भी एक बार सांसदों और मंत्रियों से अपने-अपने क्षेत्रों में हुए कार्यों की जानकारी मांगी गई थी।
70 कमजोर लोकसभाओं पर फोकस
30 मई से 30 जून के बीच एक महीने तक चलने वाले 'विशेष जनसंपर्क अभियान' के अंतर्गत देश के 396 लोकसभा क्षेत्रों में जनता से संवाद किया जाएगा। इसी दौरान प्रदेश की टीमों के द्वारा सांसदों के क्षेत्रों में हुए कार्यों की जानकारी एकत्र की जाएगी। जिन लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति कमजोर है, उन पर विशेष तौर पर फोकस कर अगले एक वर्ष के अंदर जनसंपर्क किया जाएगा। पार्टी ने 70 ऐसे लोकसभा क्षेत्रों की पहचान की है, जहां पार्टी ने कम अंतर से जीत हासिल की थी। ऐसे सभी लोकसभा क्षेत्रों में विशेष तौर पर कार्य किया जाएगा और जनता से संपर्क स्थापित किया जाएगा।
राजस्थान-छत्तीसगढ़ को लेकर चिंता
पार्टी के अंदर अभी से छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणामों को लेकर चिंता है। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के लंबे समय से सत्ता में रहने के कारण पैदा हुए एंटी इनकमबेंसी फैक्टर की तीव्रता का आकलन किया जा रहा है। राजस्थान में सत्तारूढ़ दल में मचे घमासान के बीच भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को 'वसुंधरा फैक्टर' अभी भी परेशान कर रहा है। 2024 के लोकसभा चुनावों के ठीक पहले इन राज्यों में कमजोर प्रदर्शन पार्टी और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
यही कारण है कि इन राज्यों में बेहतर परिणाम लाने पर गहराई से काम किया जा रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए विशेष जनसंपर्क अभियान के अंतर्गत इन चुनावी राज्यों में पार्टी ध्या्न केंद्रित कर सकती है। प्रधानमंत्री मोदी की ज्यादा जनसभाएं इन्हीं राज्यों में कर हवा को अपने पक्ष में करने की कोशिश की जा सकती है।
अगले चुनावों की चिंता बढ़ी
कर्नाटक चुनाव परिणाम से भाजपा को अगले विधानसभाओं की चिंता बढ़ गई है। भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी इस बात का गहराई से आकलन कर रही है कि कर्नाटक में हुई हार का आगामी लोकसभा चुनाव पर क्या असर पड़ सकता है। इस बात का भी आकलन किया जा रहा है कि इसी वर्ष होने वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।