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5 साल की उम्र में खोया हाथ, शरीर में दर्द और तकलीफ... UPSC क्रैक करने वाली अखिला बीएस की कहानी भर देगी जोश

दुष्यंत कुमार की कविता कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों.. इस पंक्ति का मतलब होता है कोई भी काम कठिन नहीं होता बस जरूरत है सही मन, पक्के इरादे से और कड़ी मेहनत की। इसे सच साबित कर दिखाय है केरल की अखिला बी एस ने।

5 साल की उम्र में खोया हाथ, शरीर में दर्द और तकलीफ... UPSC क्रैक करने वाली अखिला बीएस की कहानी भर देगी जोश

सिविल सेवा परीक्षा 2022 में 760वीं रैंक अखिला बीएस को मिली है। अखिला ने दिव्यांगता को अपनी सफलता में बाधा नहीं बनने दिया। पांच साल की उम्र में एक बस दुर्घटना में अपना दाहिना हाथ गंवाने वाली 28 वर्षीय लड़की ने देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की।

2000 के हादसे में कट गया था हाथ​
कॉटन हिल गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल के पूर्व प्रधानाध्यापक के बुहारी और सजीना बीवी की बेटी अखिला का 11 सितंबर, 2000 को एक्सिटेंड हो गया था। इस दुर्घटना में उसने कंधे से नीचे अपना दाहिना हाथ खो दिया था। उन्हें जर्मनी के डॉक्टरों से परामर्श करने के लिए कहा गया था। हालांकि, भारत में जर्मनी की एक मेडिकल टीम आई थी और उनकी जांच की थी लेकिन उसके हाथ ठीक नहीं हुए।


​बाएं हाथ से लिखा UPSC Exam​
अखिला ने अपने दैनिक कार्यों को अपने बाएं हाथ से करना शुरू किया। उसने पढ़ाई जारी रखी और बाएं हाथ से ही लिखने की शुरुआत की। उसने उच्चतम अंकों के साथ अपनी बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण की। अखिला ने आईआईटी मद्रास से इंटीग्रेटेड एमए किया और उसे बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी।


​तीसरी बार के प्रयास में यूपीएससी में हुईं सफल​
अखिला का यह तीसरा प्रयास था। पहले दो प्रयासों में उसने प्रीलिम्स क्लियर कर लिया था। अपना अनुभव साझा करते हुए अखिला ने कहा कि वह खुश है और उनकी आभारी है, जिन्होंने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। अखिला ने बताया कि उनके एक शिक्षक ने ही उन्हें कलेक्टर के पेशे के बारे में बताया और उन्हें यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया।

​लंबे समय तक नहीं बैठ पाती थीं पर...​
अखिला ने कहा कि चुनौती यह है कि यह बहुत लंबी अवधि की थी और इसके लिए बहुत मेहनत की आवश्यकता होती है। साथ ही, मुझे लंबे समय तक सीधे बैठना भी बहुत मुश्किल लगता था। परीक्षा में लगातार तीन से चार घंटे बैठना मेरे लिए एक कठिन कार्य बन गया था। उन्होंने यह भी कहा कि तैयारी और परीक्षा के दौरान अपने बाएं हाथ का उपयोग करना और कमर दर्द के साथ लगातार बैठना उनके लिए एक कठिन चुनौती थी।


​दर्द को किया नजरअंदाज, IAS का था लक्ष्य​
अखिला ने बताया कि मेरे लिए समस्या तीन-चार घंटे लिखने की थी। मैं थक जाती थी और मेरा शरीर दुखने लगता था। चौथी मुख्य परीक्षा के लिए मुझे लगातार तीन दिन लिखना पड़ता था। यह मेरे लिए एक चुनौती थी। मेरा लक्ष्य आईएएस हासिल करना था। मैंने तय किया कि मैं आगामी परीक्षा की तैयारी करूंगी और जब तक मैं अपनी पसंद की सेवा के लिए नहीं चुनी जाती, तब तक मैंने फैसला किया कि मैं कोशिश करती रहूंगी। मैंने तय किया कि मैं अधिकतम प्रयास करूंगी।


​बैंगलोर में एक साल पढ़ाई​
अखिला ने कहा, 'मैंने एक साल के लिए बैंगलोर के एक संस्थान से कोचिंग ली। इसके बाद मैं केरल वापस आ गई और तिरुवनंतपुरम स्थित संस्थान से मदद ली।' सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान आने वाली चुनौतियों पर बोलते हुए, अखिला ने कहा कि परीक्षा की तैयारी के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ उन्हें कई कठिन समय से भी गुजरना पड़ा।

​टीचर ने दिखाया कलेक्टर बनने का सपना​
अखिला ने कहा, 'आईएएस का सपना मेरे शिक्षक ने मुझे दिया। उन्होंने मुझे कलेक्टर के पेशे के बारे में बताया था। मैं मोहित हो गई थी और सिविल सर्विसेस की तैयारी करने की ठान ली। इस तरह स्नातक होने के ठीक बाद मैंने अपनी तैयारी शुरू कर दी।'


​यूपीएससी टॉपर्स के बारे में पढ़ती रहीं​
अखिला ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं। मैंने 2019 में स्नातक होने के ठीक बाद अपनी तैयारी शुरू की, मैंने 2020, 2021 और 2022 में परीक्षा दी। तीनों बार मैंने प्रीलिम्स क्लियर किया लेकिन दोनों बार सूची में उनका नाम नहीं आया। मैंने हर टॉपर का अनुसरण किया। इस बार यूपीएससी रिजल्ट में मेरा नाम आ गया।'

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