लखीमपुर खीरी हिंसा पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जाने क्यों कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार ?
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर यूपी पुलिस को अब तक हुई कार्रवाई का ब्यौरा कोर्ट को देना है. हफ्ते भर पहले सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जांच को लेकर यूपी पुलिस को कड़ी फटकार लगाई गई थी.
लखीमपुर खीरी हिंसा : लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हिंसा में चार किसान सहित आठ लोगों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी। इस केस की जांच कर रही मॉनिटरिंग कमेटी ने सोमवार को अपनी स्टेटस रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी, जिसको आज कोर्ट में पेश किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सवाल
सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने स्टेटस रिपोर्ट सौंपते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 68 गवाहों में से 30 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं और 23 लोगों ने घटना के चश्मदीद होने का दावा किया है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रैली में सैकड़ों किसान थे और सिर्फ 23 चश्मदीद गवाह बने? फिर साल्वे ने जवाब देते हुए कहा कि हमने गवाही के लिए विज्ञापन जारी भी किया। वीडियो सबूत भी मिले हैं। जांच जारी है। हरीश साल्वे ने कहा कि यूपी सरकार सीलबंद लिफाफे में गवाहों के दर्ज बयान दे सकती है।
सीजेआई ने कहा कि अगर आपके पास 23 चश्मदीद गवाह हैं तो हरेक पहलू और संभावना को तलाशिए और कदम बढ़ाइए। सीजेआई ने आगे कहा कि घटनास्थल पर 4000-5000 लोगों की भीड़ थी जिसमें कि सभी स्थानीय लोग थे और यहां तक कि घटना के बाद भी अधिकांश लोग आंदोलन कर रहे हैं। तो फिर, इन लोगों की पहचान में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
न्यायालय इस मामले में अब आठ नवंबर को आगे सुनवाई करेगा।
उच्चतम न्यायालय ने 20 अक्टूबर को कहा था कि लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच एक ‘‘अंतहीन कहानी’’ नहीं होनी चाहिए। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि न्यायालय को ऐसा लग रहा है कि राज्य पुलिस धीमी गति से काम कर रही है। गवाहों को संरक्षण प्रदान करने का निर्देश भी दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'गवाहों की सुरक्षा सबसे अधिक जरुरी '
सीजेआई ने आगे कहा कि वहां जुटी भीड़ में बहुत से लोग सिर्फ सही जानकारी देने से कतराएंगे। मजबूत गवाहों की पहचान जरूरी है। क्या कोई गवाह घायल भी है? वीडियो का परीक्षण जल्दी करवाइए। नहीं तो हमें लैब को निर्देश देना होगा। इसमें गवाहों की सुरक्षा सबसे अधिक जरूरी है। हम गवाहों की सुरक्षा का निर्देश देते हैं। सभी गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करवाए जाएं।