सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर मामले में सरकार तरफ से हरीश साल्वे की दलीले सुन, योगी सरकार को लागाई फटकार।
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच में यूपी सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है सुप्रीम कोर्ट। कहा जांच अबतक कहां पहुंची है?
लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट असंतुष्टि जताते हुए यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई। इस दौरान यूपी सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे दलील दे रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा नाम के दो वकीलों के पत्र का संज्ञान लेते हुए इस मामले पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था, कि मामले में जांच अबतक कहां पहुंची है, कौन-कौन आरोपी हैं और अबतक उन्हें गिरफ्तार किया गया है या नहीं।
चीफ जस्टिस का सरकार का पक्ष रखने वाले वकील हरीश साल्वे सवाल
शहूर वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार का पक्ष रखते हुए दलील दी कि लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गोली लगने की बात नहीं आई है। पुलिस को वहां दो कारतूस जरूर मिले हैं। संभव है कि आरोपियों की कोई गलत मंशा रही हो। इस पर चीफ जस्टिस ने साल्वे से पुछा अभी तक आरोपियों को कस्टडी में क्यों नही लिया गया? आगे मुख्य न्यायधीश ने यूपी सरकार से कहा कि वो अपने डीजीपी से यह सुनिश्चित करे कि जबतक कोई अन्य जांच एजेंसी इसे संभालती है तबतक मामले के सबूत सुरक्षित रखें। कोर्ट ने कहा है कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच में यूपी सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आरोप 302 (हत्या) का है। आप उसे भी वैसे ही ट्रीट करें जैसे बाकी केसों में मर्डर केस में आरोपी के साथ ट्रीट किया जाता है। इस पर साल्वे ने कहा कि यह 302 का केस हो सकता है। बेंच ने हैरानी जताते हुए पूछा कि 302 हो सकता है? हो सकता है? चीफ जस्टिस ने कहा कि मौके पर चश्मदीद गवाह हैं। हमारा मत है कि जहां 302 का आरोप है, वह गंभीर मामला है, और आरोपी के साथ वैसा ही व्यवहार होना चाहिए जैसे बाकी केसों में होता है। क्या बाकी केस में आरोपी को नोटिस जारी किया जाता है कि आप प्लीज आ जाइए?