गर्मी के साथ बढ़ने लगी बिजली की डिमांड, पिछले बीस दिनों में दो हजार मेगावॉट बिजली की डिमांड बढ़ी
दो साल से मरम्मत काम पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाया है इसकी वजह से ट्रांसफॉर्मर और तार में फॉल्ट भी आने लगी है.
गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली डिमांड बढ़ने लगी है। इसके साथ ही गांव से लेकर शहर और तहसील स्तर पर फॉल्ट भी शुरू हो गए हैं। पिछले बीस दिनों में दो हजार मेगावॉट बिजली की डिमांड बढ़ी है। 18 से 20 मार्च के करीब जहां डिमांड अधिकतम 19 हजार मेगावॉट थी, वह अब बढ़ कर 22 हजार मेगावॉट तक पहुंच गई है। पिछले दो साल से मरम्मत काम पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाया है। इसकी वजह से ट्रांसफॉर्मर और तार में फॉल्ट भी आने लगी है।
लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में फॉल्ट की संख्या बढ़ने लगी है। गोमती नगर के निवासियों ने उनके यहां पिछले 10 दिन से कोई ऐसा दिन नहीं जाता, जब चार से पांच बार बिजली नहीं कटती है। उन्होंने बताया कि 10 से 20 मिनट के लिए बिजली जरूर जाती है। कई बार घंटों लाइट नहीं रहती है। उन्होंने बताया कि इसको लेकर शिकायत की गई, लेकिन समस्या का हल नहीं निकल पाया है।
इसके अलावा जानकीपुरम इलाके भी परेशानी बढ़ गई है। आशियाना, चौक, बालागंज, बालाघाट, इंदिरा नगर सेक्टर नौ, पटेल नगर, इस्माइलगंज, रेलवे बरहा कॉलोनी, ऐशबाग, मड़ियांव, जानकीपुरम सेक्टर एफ, जानकीपुरम विस्तार, खदरा, नक्खास समेत कई इलाकों के लोग मध्यांचल कस्टमर केयर के 1912 नंबर पर फोन पर फोन करते हैं। बड़ी बात यह है कि यहां से उनको पर्याप्त जानकारी नहीं मिल पाती है।
25 हजार मेगावॉट तक जा सकता है लोड
गर्मी बढ़ने के साथ बिजली का लोड बढ़ता ही जाएगा। बताया जा रहा है कि इस बार प्रदेश का लोड 25 हजार मेगावॉट तक जा सकता है। ट्रांसमिशन लाइन की क्षमता तो इस लोड के बर्दाश्त करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन लोकल स्तर पर ट्रांसफॉर्मर और अन्य उपकरणों की स्थिति ठीक नहीं है। इसकी वजह से आने वाले दिनों में फॉल्ट की संख्या बढ़नी तय है। प्रदेश स्तर पर मरम्मत के लिए बजट भी नहीं आ पाया था। जूनियर इंजीनियर संगठन अपने पत्र में कई बार इसका जिक्र कर चुका है।
मध्यांचल कस्टमर केयर पर चार हजार से ज्यादा शिकायत आई
बताया जा रहा है कि मध्यांचल कस्टमर केयर के 1912 नंबर पर प्रतिदिन औसतन तीन से चार हजार शिकायतें आती है। इसमें करीब 60 फीसदी शिकायत बिजली कटने की होती है। यहां कार्यरत एक कर्मचारी ने बताया कि फॉल्ट होने की स्थिति में सबसे पहले 1912 पर सूचना देने को कहा गया था, लेकिन एसडीओ और जेई ऐसा नहीं करते हैं। ऐसे में कई बार जब उपभोक्ता फोन करता है, तो उसको जानकारी देने में समय लग जाता है।